"कल दुनिया में हम हों न हों..."
कल दुनिया में हम हों न हों,
हर बात में, हर जज़्बात में,
हमारी थोड़ी सी मौजूदगी रहेगी।
वो रास्ते जिन पर हम साथ चले थे,
आज भी उन्हें छूकर हवा कुछ कहेगी।
वो छांव, वो धूप, वो बचपन की बात,
वो हर मुलाक़ात दिल में रह जाएगी।
चाय की चुस्की पर जो हँसी बाँटी थी,
वो कप फिर से अकेला न होगा कभी।
हमारी मुस्कान कहीं तस्वीरों में बसी होगी,
तो कहीं किसी शाम की खामोशी में सजी होगी।
जो सपने हमने आँखों में सँजोए थे,
वो किसी और की आँखों में पलेंगे।
हमारे अधूरे ख्वाब, हमारी अधूरी बातें,
किसी और की ज़ुबां से निकलेंगे।
वो दोस्ती, जो हर मोड़ पर साथ थी,
कभी पन्नों में, कभी दिलों में जी उठेगी।
हम जो भी थे—सच्चे, सीधे या दीवाने,
हमारी कहानियाँ ज़माने को सीख देंगी।
वक़्त चाहे जितना आगे निकल जाए,
एक कोना हमारा हमेशा जिंदा रहेगा।
कल दुनिया में हम हों न हों,
मगर हमारी रूह हर दुआ में शामिल रहेगा।
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