शैतान की तो बस यही तमन्ना है कि शराब और जुए की बदौलत तुममें बाहम अदावत व
दुश्मनी डलवा दे और ख़ुदा की याद और नमाज़ से बाज़ रखे तो क्या तुम उससे
बाज़ आने वाले हो (91)
और ख़ुदा का हुक्म मानों और रसूल का हुक्म मानों और (नाफ़रमानी) से बचे
रहो इस पर भी अगर तुमने (हुक्म ख़ुदा से) मुँह फेरा तो समझ रखो कि हमारे
रसूल पर बस साफ़ साफ़ पैग़ाम पहुँचा देना फर्ज़ है (92)
(फिर करो चाहे न करो तुम मुख़तार हो) जिन लोगों ने ईमान कुबूल किया और
अच्छे (अच्छे) काम किए हैं उन पर जो कुछ खा (पी) चुके उसमें कुछ गुनाह नहीं
जब उन्होंने परहेज़गारी की और ईमान ले आए और अच्छे (अच्छे) काम किए फिर
परहेज़गारी की और नेकियाँ कीं और ख़ुदा नेकी करने वालों को दोस्त रखता है
(93)
ऐ ईमानदारों कुछ शिकार से जिन तक तुम्हारे हाथ और नैज़ें पहुँच सकते हैं
ख़ुदा ज़रुर इम्तेहान करेगा ताकि ख़ुदा देख ले कि उससे बे देखे भाले कौन
डरता है फिर उसके बाद भी जो ज़्यादती करेगा तो उसके लिए दर्दनाक अज़ाब है
(94)
(ऐ ईमानदारों जब तुम हालते एहराम में हो तो शिकार न मारो और तुममें से जो
कोई जान बूझ कर शिकार मारेगा तो जिस (जानवर) को मारा है चैपायों में से
उसका मसल तुममें से जो दो मुन्सिफ आदमी तजवीज़ कर दें उसका बदला (देना)
होगा (और) काबा तक पहुँचा कर कुर्बानी की जाए या (उसका) जुर्माना (उसकी
क़ीमत से) मोहताजों को खाना खिलाना या उसके बराबर रोज़े रखना (यह जुर्माना
इसलिए है) ताकि अपने किए की सज़ा का मज़ा चखो जो हो चुका उससे तो ख़ुदा ने
दरग़ुज़र की और जो फिर ऐसी हरकत करेगा तो ख़ुदा उसकी सज़ा देगा और ख़ुदा
ज़बरदस्त बदला लेने वाला है (95)
तुम्हारे और काफि़ले के वास्ते दरियाई शिकार और उसका खाना तो (हर हालत
में) तुम्हारे वास्ते जायज़ कर दिया है मगर खुश्की का शिकार जब तक तुम
हालते एहराम में रहो तुम पर हराम है और उस ख़ुदा से डरते रहो जिसकी तरफ
(मरने के बाद) उठाए जाओगे (96)
ख़ुदा ने काबा को जो (उसका) मोहतरम घर है और हुरमत दार महीनों को और
कुरबानी को और उस जानवर को जिसके गले में (कुर्बानी के वास्ते) पट्टे डाल
दिए गए हों लोगों के अमन क़ायम रखने का सबब क़रार दिया यह इसलिए कि तुम जान
लो कि ख़ुदा जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है यक़ीनन (सब)
जानता है और ये भी (समझ लो) कि बेशक ख़ुदा हर चीज़ से वाकि़फ है (97)
जान लो कि यक़ीनन ख़ुदा बड़ा अज़ाब वाला है और ये (भी) कि बड़ा बख़्षने वाला मेहरबान है (98)
(हमारे) रसूल पर पैग़ाम पहुँचा देने के सिवा (और) कुछ (फजऱ्) नहीं और जो
कुछ तुम ज़ाहिर बा ज़ाहिर करते हो और जो कुछ तुम छुपा कर करते हो ख़ुदा सब
जानता है (99)
(ऐ रसूल) कह दो कि नापाक (हराम) और पाक (हलाल) बराबर नहीं हो सकता अगरचे
नापाक की कसरत तुम्हें भला क्यों न मालूम हो तो ऐसे अक़्लमन्दों अल्लाह से
डरते रहो ताकि तुम कामयाब रहो (100)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
01 अप्रैल 2025
शैतान की तो बस यही तमन्ना है कि शराब और जुए की बदौलत तुममें बाहम अदावत व दुश्मनी डलवा दे और ख़ुदा की याद और नमाज़ से बाज़ रखे तो क्या तुम उससे बाज़ आने वाले हो
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