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10 फ़रवरी 2025

कॉर्निया प्रत्यारोपण से बहु को मिली रोशनी, तो परिवार के सभी लोगों का नेत्रदान संकल्प

  कॉर्निया प्रत्यारोपण से बहु को मिली रोशनी, तो परिवार के सभी लोगों का नेत्रदान संकल्प
2. कॉर्निया प्रत्यारोपण से मिली नई जिंदगी,परिवार के सदस्यों ने लिए नेत्रदान देहदान संकल्प
3. दान की आँख से,दुबारा बसंत देख पायी,कोटा की चारुल,परिवार के सभी सदस्यों का नेत्रदान संकल्प

बिना आंखों के जिंदगी की कल्पना करना भी बेकार है, यह उसके लिए तो ज्यादा दुख भरी घटना है, जिसकी हंसती मुस्कुराती, जिंदगी में अचानक से अंधता जैसा अभिशाप आ जाता है ।

सरस्वती कॉलोनी, कैथूनीपोल, कोटा निवासी उषा अग्रवाल की बहू चारुल अग्रवाल (36 वर्षीया) को बीते एक वर्ष से कॉर्निया के खराब होने की समस्या (केरेटोकोनस) के कारण दिखाई देना धीरे-धीरे बंद हो गया था। जिसकी मुस्कान से पूरे घर में रौनक बनी रहती थी,अचानक और उसके साथ आयी इस परेशानी से पूरे घर में उदासी का माहौल हो गया था ।

इसी दौरान कुछ माह पहले ही शाइन इंडिया फाउंडेशन के ज्योति मित्र संजय लाठी,राहुल लखोटिया,गिरीश माहेश्वरी के माध्यम से संस्थापक डॉ कुलवंत गौड़ को पता चला कि, चारुल अग्रवाल की दोनों आंखों की रोशनी जा चुकी है,और अब कार्निया प्रत्यारोपण ही उसका एकमात्र इलाज है, डॉ गौड़ ने तुरंत ही परिवार के सदस्यों से संपर्क कर संस्था के सहयोगी अस्पताल गोमाबाई नेत्रालय,नीमच में चारुल अग्रवाल का पंजीकरण करा दिया ।

दो माह के इंतजार के बाद, चारुल अग्रवाल की एक आंख में संस्था के सहयोग से नि:शुल्क कॉर्निया प्रत्यारोपण संपन्न हुआ । उसके बाद से आज वह 80 प्रतिशत तक देख पा रही है । चिकित्सकों के हिसाब से,अगले एक महीने में,उनको पूरी तरह से,दिखाई देने लगेगा।

नेत्रदानी परिवार को धन्यवाद देते हुए,चारुल ने कहा कि, यदि दिवंगत के नेत्रदान का पुण्य कार्य,शोक के समय में नहीं होता तो,मेरा दुबारा इस दुनिया को देखना संभव नहीं था । मैं भी इस संसार को अपनी मृत्यु के बाद कुछ दे सकूं, इसलिए मैंने अपने पति संदीप अग्रवाल के साथ देहदान का संकल्प लिया है ।

सास उषा अग्रवाल ने कहा कि,नेत्रदान से मिली आंख से हमारी चारुल के चेहरे पर फिर मुस्कान आयी है । मेरे घर की रौनक वापस आई है, हम नहीं जानते, किसकी आँख से मेरी बहु की दुनिया दुबारा रौशन हुई है,पर वह जो भी है, ईश्वर उस पुण्यात्मा को मोक्ष प्रदान करें ।

बीते दिनों चारुल के परिवार के सदस्यों ने, डॉ कुलवंत  गौड़ को घर पर बुलाकर नेत्रदान के संबंध में सारी प्रक्रिया को विस्तार से जाना,उसके बाद परिवार के 15 सदस्यों ने स्वेच्छा से नेत्रदान का संकल्प पत्र भरा। इस दौरान चारुल के पिता हितेश जैन,माता मधु जैन, सासू मां चंद्रावल उषा,जेठ राजीव ,दोनों बेटियां लावण्या,वैष्णवी और करीबी रिश्तेदार हिमानी,अभय सहित अनिल मेघवाल,कन्हैया लाल,कैलाश राठौर ने अपने नेत्रदान संकल्प पत्र भरे । इन सभी के बीच चारुल और संदीप ने देहदान का संकल्प पत्र भरा।

पत्नि की आंखों से रौशनी का चला जाना,और दुबारा उसकी आंखो में रौशनी आने के दौरान पूरे टाइम संदीप अग्रवाल उनके साथ रहे,अपने अनुभव बताते हुए कहा कि,मृत हुए व्यक्ति की आंखों का दुबारा किसी की आंखो में जीवित हो जाना,एक चमत्कार से कम नहीं है । मैं भी चाहता हूं कि,मेरा यह जीवन किसी के काम आए,इसलिए पत्नि चारुल के साथ देहदान का संकल्प लिया। हमारी मृत्यु के बाद आँखें,त्वचा और शरीर दान हो जाए,बस यही अंतिम इच्छा है ।

अंत में डॉ गौड़ ने नेत्रदान देहदान संकल्प पत्र भरने वाले सभी लोगों को संस्था की ओर से प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मानित किया।

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