सूरए अबस मक्का में नाजि़ल हुआ और इसकी बयालीस (42) आयतें हैं
ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान रहम वाला है
वह अपनी बात पर चीं ब जबीं हो गया (1)
और मुँह फेर बैठा कि उसके पास नाबीना आ गया (2)
और तुमको क्या मालूम शायद वह (तालीम से) पाकीज़गी हासिल करता (3)
या वह नसीहत सुनता तो नसीहत उसके काम आती (4)
तो जो कुछ परवाह नहीं करता (5)
उसके तो तुम दरपै हो जाते हो हालाँकि अगर वह न सुधरे (6)
तो तुम जि़म्मेदार नहीं (7)
और जो तुम्हारे पास लपकता हुआ आता है (8)
और (ख़ुदा से) डरता है (9)
तो तुम उससे बेरूख़ी करते हो (10)
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