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16 अप्रैल 2024

(जो) चीज़ें (बीज वग़ैरह) ज़मीन में दाखि़ल हुयी है और जो चीज़ (दरख़्त वग़ैरह) इसमें से निकलती है और जो चीज़ (पानी वग़ैरह) आसामन से नाजि़ल होती है और जो चीज़ (नज़ारात फरिश्ते वग़ैरह) उस पर चढ़ती है (सब) को जानता है और वही बड़ा बख़्शने वाला है

 खु़दा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
हर कि़स्म की तारीफ उसी खु़दा के लिए (दुनिया में भी) सज़ावार है कि जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है (ग़रज़ सब कुछ) उसी का है और आख़ेरत में (भी हर तरफ) उसी की तारीफ है और वही वाकि़फकार हकीम है (1)
(जो) चीज़ें (बीज वग़ैरह) ज़मीन में दाखि़ल हुयी है और जो चीज़ (दरख़्त वग़ैरह) इसमें से निकलती है और जो चीज़ (पानी वग़ैरह) आसामन से नाजि़ल होती है और जो चीज़ (नज़ारात फरिश्ते वग़ैरह) उस पर चढ़ती है (सब) को जानता है और वही बड़ा बख़्शने वाला है (2)
और कुफ्फार कहने लगे कि हम पर तो क़यामत आएगी ही नहीं (ऐ रसूल) तुम कह दो हाँ (हाँ) मुझ को अपने उस आलेमुल ग़ैब परवरदिगार की क़सम है जिससे ज़र्रा बराबर (कोई चीज़) न आसमान में छिपी हुयी है और न ज़मीन में कि क़यामत ज़रूर आएगी और ज़र्रे से छोटी चीज़ और ज़र्रे से बडी (ग़रज़ जितनी चीज़े हैं सब) वाजे़ए व रौशन किताब लौहे महफूज़ में महफूज़ हैं (3)
ताकि जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और (अच्छे) काम किए उनको खु़दा जज़ाए खै़र दे यही वह लोग हैं जिनके लिए (गुनाहों की) मग़फेरत और (बहुत ही) इज़्ज़त की रोज़ी है (4)
और जिन लोगों ने हमारी आयतों (के तोड़) में मुक़ाबिले की दौड़-धूप की उन ही के लिए दर्दनाक अज़ाब की सज़ा होगी (5)
और (ऐ रसूल) जिन लोगों को (हमारी बारगाह से) इल्म अता किया गया है वह जानते हैं कि जो (क़ुरान) तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से तुम पर नाजि़ल हुआ है बिल्कुल ठीक है और सज़ावार हम्द (व सना) ग़ालिब (खु़दा) की राह दिखाता है (6)
और कुफ़्फ़ार (मसख़रेपन से बाहम) कहते हैं कि कहो तो हम तुम्हें ऐसा आदमी (मोहम्मद) बता दें जो तुम से बयान करेगा कि जब तुम (मर कर सड़़ गल जाओगे और) बिल्कुल रेज़ा रेज़ा हो जाओगे तो तुम यक़ीनन एक नए जिस्म में आओगे (7)
क्या उस शख़्स (मोहम्मद) ने खु़दा पर झूठ तूफान बाँधा है या उसे जुनून (हो गया) है (न मोहम्मद झूठा है न उसे जुनून है) बल्कि खु़द वह लोग जो आख़ेरत पर ईमान नहीं रखते अज़ाब और पहले दरजे की गुमराही में पड़े हुए हैं (8)
तो क्या उन लोगों ने आसमान और ज़मीन की तरफ भी जो उनके आगे और उनके पीछे (सब तरफ से घेरे) हैं ग़ौर नहीं किया कि अगर हम चाहे तो उन लोगों को ज़मीन में धँसा दें या उन पर आसमान का कोई टुकड़ा ही गिरा दें इसमें शक नहीं कि इसमें हर रुझू करने वाले बन्दे के लिए यक़ीनी बड़ी इबरत है (9)
और हमने यक़ीनन दाऊद को अपनी बारगाह से बुज़ुर्गी इनायत की थी (और पहाड़ों को हुक्म दिया) कि ऐ पहाड़ों तसबीह करने में उनका साथ दो और परिन्द को (ताबेए कर दिया) और उनके वास्ते लोहे को (मोम की तरह) नरम कर दिया था (10)

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