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12 जुलाई 2023

ऑटो में घुमाते घुमाते कर दिया 3000 लोगों को नैत्रदान-देहदान के लिये जागरूक

 

ऑटो में घुमाते घुमाते कर दिया 3000 लोगों को नैत्रदान-देहदान के लिये जागरूक
2. ऑटो चालक ने,एक साल में हज़ारों को किया नैत्रदान देहदान के लिये जागरूक
नेत्रदान अंगदान और देहदान के क्षेत्र में संभाग की एकमात्र अग्रणी संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन के देहदान जागरूकता अभियान में भी अब कई लोग अपना सहयोग देने लगे हैं ।
3 वर्ष पूर्व महावीर नगर तृतीय निवासी, रविंद्र सिंह ने अपनी बेटी इंद्रजीत कौर के देहदान संकल्प से प्रेरणा लेकर अपना स्वयं का भी देहदान संकल्प पत्र भरा था । रविंद्र की पत्नी का काफी समय पहले देहांत हो जाने के बाद से एक बेटा और बेटी की सारी जिम्मेदारी भी इन्हीं पर आ गई थी ।
रविंद्र पिछले 20 सालों से ऑटो चला कर अपने घर का खर्च चलाते हैं,सुबह 5:00 से ऑटो लेकर निकलते हैं, उसके बाद रात को घर आने का कोई पता नहीं रहता है।
उनका समय घर से ज्यादा तो,ऑटो में बीतता है,दिन भर अलग-अलग शहरों से आई हुई सवारियों को अपने ऑटो में बिठाना और उनके मनचाहे स्थान पर छोड़ना, यह उनका प्रतिदिन का कार्य है, फिर चाहे किसी भी तरह का मौसम हो या परिवार में कोई भी परेशानी हो, रविंद्र कभी भी अपना ऑटो चलाने का काम बंद नहीं करते हैं ।
बेटी से प्रेरित होकर जब उन्होंने अपना देहदान का संकल्प पत्र भरा तो,उसके उपरांत शाइन इंडिया फाउंडेशन की ओर से दिए गये, प्रशस्ति पत्र को उन्होंने अपने ऑटो में ही लगा कर रख लिया,अब जब भी कोई सवारी के ऑटो में आकर बैठती है,तो वह देहदान के विषय में एक बार रविंद्र जी से जरूर बात करती है । देहदान के साथ रविंद्र नेत्रदान के बारे में भी पूरी जानकारी विस्तार से बताते हैं ।
देहदान का संकल्प पत्र भरे हुए,आज रविंद्र को 3 साल से ज्यादा का समय हो चुका है,अब तक करीब सभी उम्र, धर्मों के 3000 से भी ज्यादा लोगों को देहदान के प्रति जागरूक कर चुके हैं । उनमें से कई लोगों ने अपने-अपने शहरों में जा कर देहदान के संकल्प पत्र भी भरे हैं,कोटा में भी इनके कार्यों से प्रेरित होकर, 5 लोगों ने देहदान के संकल्प पत्र भरें हैं ।
अपने आपको गौरवान्वित महसूस करते हुए रविंद्र का कहना है की, मेरी मृत्यु के बाद मेरा शरीर तो मेडिकल कॉलेज में अध्ययन कर रहे ,भावी चिकित्सकों को मिल जाएगा, परंतु मेरे जीवन काल में मैंने जितने भी लोगों को देहदान के प्रति जागरूक किया,उनमें से यदि कुछ की मृत देह भी मेडिकल कॉलेज को मिलती है, तो मेरा मनुष्य जन्म सफल होगा।
शाइन इंडिया संस्था के संस्थापक डॉ कुलवंत गौड़ ने बताया कि,देहदान के कार्य को वृहद स्तर पर बढ़ाने के लिए संस्था के सदस्य नित नए प्रयोग कर रहे हैं । सबसे अधिक सफल प्रयोग रहा,"मिस्ड कॉल से देहदान अभियान" जिसके अंतर्गत हाड़ौती संभाग से पिछले 2 साल में, 200 से अधिक लोग अपना देहदान का संकल्प पत्र भर चुके हैं ।


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