और जिन औरतों को ताअय्युन मेहर और हाथ लगाए बगै़र तलाक़ दे दी जाए उनके साथ जोड़े रुपए वगै़रह से सुलूक करना लाजि़म है (241)
(ये भी) परहेज़गारों पर एक हक़ है इसी तरह ख़़ुदा तुम लोगों की हिदायत के वास्ते अपने एहक़ाम साफ़ साफ़ बयान फरमाता है (242)
ताकि तुम समझो (ऐ रसूल) क्या तुम ने उन लोगों के हाल पर नज़र नही की जो
मौत के डर के मारे अपने घरों से निकल भागे और वह हज़ारो आदमी थे तो ख़़ुदा
ने उन से फरमाया कि सब के सब मर जाओ (और वह मर गए) फिर ख़़ुदा न उन्हें
जिन्दा किया बेशक ख़ुदा लोगों पर बड़ा मेहरबान है मगर अक्सर लोग उसका शुक्र
नहीं करते (243)
और मुसलमानों ख़़ुदा की राह मे जिहाद करो और जान रखो कि ख़़ुदा ज़रुर सब कुछ सुनता (और) जानता है (244)
है कोई जो ख़़ुदा को क़र्जे़ हुसना दे ताकि ख़़ुदा उसके माल को उस के
लिए कई गुना बढ़ा दे और ख़ुदा ही तंगदस्त करता है और वही कशायश देता है और
उसकी तरफ सब के सब लौटा दिये जाओगे (245)
(ऐ रसूल) क्या तुमने मूसा के बाद बनी इसराइल के सरदारों की हालत पर
नज़र नही की जब उन्होंने अपने नबी (शमूयेल) से कहा कि हमारे वास्ते एक
बादशाह मुक़र्रर कीजिए ताकि हम राहे ख़़ुदा में जिहाद करें (पैग़म्बर ने)
फ़रमाया कहीं ऐसा तो न हो कि जब तुम पर जिहाद वाजिब किया जाए तो तुम न लड़ो
कहने लगे जब हम अपने घरों और अपने बाल बच्चों से निकाले जा चुके तो फिर
हमे कौन सा उज़्र बाक़ी है कि हम ख़ुदा की राह में जिहाद न करें फिर जब उन
पर जिहाद वाजिब किया गया तो उनमें से चन्द आदमियों के सिवा सब के सब ने
लड़ने से मुँह फेरा और ख़़ुदा तो ज़ालिमों को खूब जानता है (246)
और उनके नबी ने उनसे कहा कि बेशक ख़़ुदा ने तुम्हारी दरख़्वास्त के
(मुताबिक़ तालूत को तुम्हारा बादशाह मुक़र्रर किया (तब) कहने लगे उस की
हुकूमत हम पर क्यों कर हो सकती है हालाकि सल्तनत के हक़दार उससे ज़्यादा तो
हम हैं क्योंकि उसे तो माल के एतबार से भी फ़ारगुल बाली {ख़ुशहाली} तक
नसीब नहीं (नबी ने) कहा ख़ुदा ने उसे तुम पर फज़ीलत दी है और माल में न सही
मगर इल्म और जिस्म का फैलाव तो उस का ख़ुदा ने ज़्यादा फरमाया हे और ख़ुदा
अपना मुल्क जिसे चाहें दे और ख़ुदा बड़ी गुन्जाइश वाला और वाकि़फ़कार है
(247)
और उन के नबी ने उनसे ये भी कहा इस के (मिनाजानिब अल्लाह) बादशाह होने
की ये पहचान है कि तुम्हारे पास वह सन्दूक़ आ जाएगा जिसमें तुम्हारे
परवरदिगार की तरफ से तसकीन दे चीजें और उन तब्बुरक़ात से बचा खुचा होगा जो
मूसा और हारुन की औलाद यादगार छोड़ गयी है और उस सन्दूक को फ़रिश्ते उठाए
होगें अगर तुम ईमान रखते हो तो बेशक उसमें तुम्हारे वास्ते पूरी निशानी है
(248)
फिर जब तालूत लश्कर समैत (शहर ऐलिया से) रवाना हुआ तो अपने साथियों से
कहा देखो आगे एक नहर मिलेगी इस से यक़ीनन ख़ुदा तुम्हारे सब्र की आज़माइश
करेगा बस जो शख्स उस का पानी पियेगा वह मुझे (कुछ वास्ता) नही रखता और जो
उस को नही चखेगा वह बेशक मुझ से होगा मगर हाँ जो अपने हाथ से एक (आधा
चुल्लू भर के पी) ले तो कुछ हर्ज नही बस उन लोगों ने न माना और चन्द
आदमियों के सिवा सब ने उस का पानी पिया ख़ैर जब तालूत और जो मोमिनीन उन के
साथ थे नहर से पास हो गए तो (ख़ास मोमिनों के सिवा) सब के सब कहने लगे कि
हम में तो आज भी जालूत और उसकी फौज से लड़ने की सकत नहीं मगर वह लोग जिनको
यक़ीन है कि एक दिन ख़ुदा को मुँह दिखाना है बेधड़क बोल उठे कि ऐसा बहुत
हुआ कि ख़ुदा के हुक्म से छोटी जमाअत बड़ी जमाअत पर ग़ालिब आ गयी है और
ख़ुदा सब्र करने वालों का साथी है (249)
(ग़रज़) जब ये लोग जालूत और उसकी फौज के मुक़ाबले को निकले तो दुआ की ऐ
मेरे परवरदिगार हमें कामिल सब्र अता फरमा और मैदाने जंग में हमारे क़दम
जमाए रख और हमें काफिरों पर फतेह इनायत कर (250)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
09 जून 2023
और जिन औरतों को ताअय्युन मेहर और हाथ लगाए बगै़र तलाक़ दे दी जाए उनके साथ जोड़े रुपए वगै़रह से सुलूक करना लाजि़म है
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)