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16 मई 2022

नियमों का सरलीकरण हो तो हाडोती में गति पकड़ सकता है देहदान

 नियमों का सरलीकरण हो तो हाडोती में गति पकड़ सकता है देहदान

2. परिजनों के त्याग को सुन भावुक हो गए देहदानी परिवार,12 लोगों ने सपत्निक लिया देहदान संकल्प
3. संभाग के 40 देहदानी परिवारों का सम्मान समारोह संपन्न,मुंबई से आये पार्श्व गायकों के गीतों ने किया जागरूक


कोटा संभाग में देहदान की जागरूकता को बढ़ाने के उद्देश्य से महादानी दधीचि देहदान समिति, कोटा द्धारा संभागीय स्तर पर देहदान करने वाले परिवारों का एक विशाल सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सुश्री शीतल धनखड आयुक्त-राज्य सूचना आयोग,जयपुर व विशिष्ट अतिथि श्रीमति चंद्रप्रभा अग्रवाल,दधिचि देहदान समिति,नई दिल्ली ने माँ सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलित किया,उदघोषिका अनीता डांगी ने आए हुए सभी अतिथियों,देहदानी परिवारों व श्रोताओं का स्वागत किया । महादानी देहदान समिति के अध्यक्ष प्रदीप दाधीच,जिला महामंत्री गोपाल शर्मा ने आये हुए मेहमानों का स्वागत किया। 

मुख्य अतिथि सुश्री शीतल धनखड, चंद्र प्रभा अग्रवाल,महामंडलेश्वर अर्नाकुलम शक्ति पीठ की माता जी,कबीर आश्रम से गुरूजी प्रभाकर जी ने कोटा संभाग से आए हुए सभी 40 देहदानी परिवारों का प्रशस्ति पत्र देकर सम्मान किया । 

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि सुश्री शीतल धनखड ने कहा कि, मेडिकल कॉलेज को सुचारू रूप से चलाने के लिये जितनी आवश्यकता "छात्रों' की होती है,उतनी ही आवश्यकता अध्ययन करने के लिए "मृत देह" की भी होती है,परंतु दान में यदि मृतदेह ना मिले तो भावी चिकित्सकों का अध्ययन करना बहुत मुश्किल का काम है । शोक की घड़ी में शोकाकुल परिवार का अपने परिजन की मृत देह को मेडिकल कॉलेज को सुपुर्द करना गर्व होने के साथ-साथ एक प्रेरणादायक,प्रशंसनीय व साहसिक कार्य है ।

कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि श्रीमति मंजुप्रभा अग्रवाल जी (दधीचि देहदान समिति,नई दिल्ली) ने बताया कि देहदान के लिए आज के समय में हर वह व्यक्ति तैयार है,जिसको देहदान के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त है, मेडिकल कॉलेज के साथ सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से ही देहदान के कार्य को बढ़ावा दिया जा सकता है,देहदान संकल्प की प्रक्रिया को यदि सरल बनाया जाये,तो कोटा संभाग में भी देहदान का प्रतिशत कई गुना तक बढ़ सकता है । दिल्ली की दधीचि देहदान समिति अभी तक 700 से ज्यादा देहदान करवा चुकी है,यह सभी जागरूकता कार्यशालाओं के कारण ही संभव हुआ । आमजन के मन से सभी तरह की भ्रांतियों को दूर करना होगा,देहदान की उपयोगिता को बताना होगा,तब ही जाकर मेडिकल कॉलेज के लिये मृत देह की जरूरत को पूरा करना संभव होगा ।


देहदान जागरूकता के इस कार्यक्रम में संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन का भी पूरा सहयोग रहा है, संस्था के द्वारा हाड़ौती संभाग के नेत्रदानी परिवारों व नैत्रदान-अंगदान-देहदान का संकल्प ले चुके लोगों को भी इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था,जिससे पूर्व से संकल्प ले चुके लोग,देहदान के प्रति भी जागरूक हो । संस्था के द्धारा हाड़ौती संभाग से अभी तक 10,000 से ज्यादा लोग नैत्रदान संकल्प व 170 लोग देहदान संकल्प ले चुके हैं।

सम्मान समारोह के कार्यक्रम के उपरांत संगीत निर्देशक बृजेश दाधीच के नेतृत्व में संगीत संध्या का कार्यक्रम भी रखा गया जिस का संचालन उद्घोषक एंड डी शर्मा ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत गीतांजलि संस्था के अध्यक्ष विश्वामित्र जी ने अपनी " जिस पत्थर पर सिंदूर लगा वह पूजा जाएगा " कविता से की,उसके उपरांत मुकेश की आवाज में राजीव मल्होत्रा जी ने "जीना इसी का नाम है" गीत गाया । लता की आवाज में शुभांगी ने " जहाँ पर सवेरा हो",मुंबई से आए किशोर की आवाज में गाने वाले विजय अमीन जी ने "रुक जाना नहीं तू कहीं हार के" मार्कण्डेय दाधीच ने रफी की आवाज में दिल कहे रुक जा रे रुक जा,गीत गाया । लता की आवाज में गरिमा गुप्ता ने "शीशा हो या दिल हो" आज शरद तैलंग जी ने मन्ना डे की आवाज में " अपने लिए जिये तो क्या जिये" गीत गाया । 

संगीत संध्या के अंत में मुंबई से आए प्रसिद्ध पार्श्वगायक कोटा निवासी शैल हाड़ा ने अपने गीतों से जोरदार समा बांध दिया, सांवरिया,खली बली, गंगूबाई के गीतों ने श्रोताओं को नाचने के लिए मजबूर कर दिया । शैल हाड़ा ने भी अपने शब्दों में विचार प्रकट करते हुए कहा कि,मेरा सौभाग्य है कि, मैं देहदानी परिवारों के इस कार्यक्रम का हिस्सा बना मैं स्वयं इस कार्यक्रम में आकर अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ। 

शाइन इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ कुलवंत गौड़ ने बताया कि कार्यक्रम में  12 दंपतियों ने अपने देहदान संकल्प पत्र भरने की घोषणा की । कार्यक्रम में शहर के सभी बड़े सम्मानीय नागरिक गण,पुलिस अधिकारी ,चिकित्सक व राजकीय अधिकारी मौजूद थे ।

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