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प्रोफेसर जावेद की बेगम ने
परिन्दों की दुकान पर...
एक तोता पसन्द किया... और
उसका मूल्य पूछा...
दुकानदार ने कहा... मोहतरमा... कीमत तो इसकी अधिक नहीं है...!
लेकिन!!
यह अब तक तवायफों के कोठे पर रहा है...
इसलिए!!!
मेरी राय है कि...
आप इसे रहने ही दें...
कोई और तोता ले लें...
प्रोफेसर साहब की बेगम को वह तोता कुछ ज़्यादा ही भा गया था...
कहने लगीं...
भाई...!
इसे भी तो पता चले...
कि शरीफों के घर कैसे होते हैं...?
उन्होंने उस तोते और पिंजरे की कीमत अदा की...
और
पिंजरे में बंद उस तोते को लेकर घर आ गईं...
बेगम साहिबा ने घर आकर...
तोते वाले उस पिंजरे को...
ड्राइंग रूम में...
एक उचित जगह लटका दिया...
तोते ने इधर उधर आंखें घुमाईं...
और बोला...
"वाह नया कोठा...!
ये कोठा तो उस कोठे से और भी अच्छा है...!!
वाह...! पसंद आया...!! बहुत सुंदर है...!!!
बेगम को अच्छा तो नहीं लग...! लेकिन वो ख़ामोश रहीं...!!
थोड़ी देर में उनकी दोनों बेटियां कालेज से लौट कर घर आईं...
उन्हें देख कर...
तोता बोला...
ओहो...!
नई लड़कियां आईं हैं...!!
बेगम को गुस्सा तो बहुत आया...! लेकिन...!!
वो अपने गुस्से को पी गईं...!!!
सोचा कि...
एक-दो दिन में...
अपने तोते को सुधार लेंगी...
शाम को...
प्रोफेसर साहब...
अपने समय पर घर लौटे...
जैसे ही उन्होंने...
ड्राईंग रूम में कदम रखा...
तोता हैरत से चीख़ उठा...
*अरे वाह...*
*जावेद!!*
*तूँ!!!...*
*यहाँ भी आता है...?*
……और फिर...
चिराग़ों में रौशनी न रही...
इस हादसे के बाद से...!
जावेद साहब घर से लापता हैं...!!
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