जी प्रधानमंत्री आप हैं तो मुमकिन है 1
जी हाँ आदरणीय प्रधानमंत्री साहिब , आज देश के आम लोग , मुट्ठी भर लोगों को अगर छोड़ दें , तो बाक़ी को , रोज़गार , भूख ,गरीबी , देश का विकास , आंतरिक भाईचारा , प्यार मोहब्बत , खुलूस , महंगाई , मुद्रास्फीति , की ज़रा भी फ़िक्र नहीं , उनकी सोच में यह सब है ही नहीं , सिर्फ वोह लोग साइको की तरह से ,मिडीया के अनावश्यक मुद्दों को लेकर चर्चा में , है , लेकिन देश का क्या , पहले भटकाव ज़रूरी है , आप हैं तो मुमकिन है ,अभी भी हालातों में बदलाव कर भाईचारे सद्भावना , रोज़गार की बात कर लीजियेगा ,, , अख्तर
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