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07 अप्रैल 2022

करोली की घटना हो , या फिर गुजरात में आनंद की घटना हो ,, ,शर्म मगर हमको आती नहीं , हम बेशर्म है , नालायक़ है

 करोली की घटना हो , या फिर गुजरात में आनंद की घटना हो ,, ,शर्म मगर हमको आती नहीं , हम बेशर्म है , नालायक़ है , राष्ट्रविरोधी , समाजविरोधी है , शहर जल जाए , दुकाने जल जाएँ , हम लोगों के आंसू नहीं पोंछते , हम फिर से ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो , फिर से फसाद के माहौल नहीं बनें , सुख शान्ति का माहौल रहे , इस पर चिंतन मंथन नहीं करते , हमे बढ़ी बेशर्मी से आरोप , प्रत्यरोप करते है , राजनितिक रोटियां सेंकते है , और ऐसी समाजविरोधी हरकतों पर हमे ज़रा भी शर्म नहीं आती , में राजधर्म की तो बात ही नहीं कर रहा , में राजनितिक  पार्टियों की राष्ट्रवादी सोच के खिलाफ यह नफरत का माहौल बनाने के मुद्दे पर भी बात नहीं कर रहा , लेकिन राजस्थान में करोली ,, गुजरात में ,आनंद ज़िले सहित अलग अलग जगह पर ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो , इस पर हम विचार नहीं करते , बस वोटों की सियासत के लिए , सच को गलत , गलत को सच बताने की कोशिशों में जुट जाते है , बेशर्म हैं हम ,हमारे पत्रकार साथी , बेशर्म हैं हमारे सांसद ,  हमारे विधायक ,, हमारी सरकारें ,,हमारे सोशल मिडिया एक्टिविस्ट , हमारे  प्रशासनिक अधिकारी , समाजसेवी संस्थांएँ , धार्मिक गुरु , मौलवी ,,पंडित वगेरा वगेरा हम सब ,, बेशर्म है , धार्मिक उत्पात , को सिर्फ हम , राजनीतिक माइलेज और वोटों तक सीमित रखने का राक्षसी स्वभाव को बढ़ा रहे है , ,हमारे  धर्म गुरु , हमे सत्य अहिंसा सद्भाव का पाठ नहीं पढ़ा रहे है , मंदिरो पर अगर हमला हो , तो मुस्लिम धर्म गुरु ऐसी घटनाओं के खिलाफ अपने अनुयायियों को नहीं समझा रहे है , मस्जिदों पर हमला हो , या आसपास प्रदर्शन हों तो हमारे हिन्दू भाइयों के धर्म गुरू इसे गलत बताकर , सही रास्ते पर लाने का प्रयास नहीं कर रहे है, , हाँ हमारे धर्म गुरु  अपनी धार्मिक शिक्षाओं को छोड़ कर ,राजनीति में सबसे आगे आगे नज़र आ रहे है , वोह चुनाव भी लड़ रहे हैं , वोह सरकारें आने पर सियासी पदों पर बैठने के लिए , नेताओं की चपड़ासगिरी  भी कर रहे है , खेर यह उनका अपमान मामला है , हाल ही में करोली की नफरत फैलाने वाली घटना हुई ,, हमारे हिन्दू , हमारे मुस्लिम , हमारी कांग्रेस , हमारी भाजपा , हमारे अमन पसंद लोग , हमारे अख़बार , न्यूज़ चेनल्स , सोशल मिडिया एक्टिविस्ट जो भी हों , किसी ने भी अपनी भूमिका सही नहीं निभाई है ,  भाजपा ने अपनी समिति बना ली , उन्होंने ,अपनी एक रिपोर्ट बना ली , अख़बारों ने छाप दी , आरोप लगा दिए , इधर कांग्रेस ने अपनी जांच टीम बना ली ,, आरोप प्रत्यारोप लगा दिए , बस हो गयी राजनीति , जिनकी दुकाने जलीं , जिन्होंने कर्फ्यू में अपनी रोज़ी रोटी बर्बाद की , जो लोग , अस्पतालों में गले पढ़े है , फिर से ऐसे आराजकता के माहौल ना बने , इस पर तो सब खामोश है ,अख़बार ज़िम्मेदारी नहीं निभाते , वोह तो भाजपा ने जो कहा , वोह नमक मिर्च लगाकर छाप दिया , कांग्रेस ने जो कहा , वोह नमक मिर्च लगाकर छाप दिया ,, न्यूज़ चेनल्स ने , कांग्रेस भाजपा के , मुर्गे बिठाकर , आपस में लड़ाना शुरू कर दिया , अधिकारीयों को हटाया नहीं , भाजपा ने अधिकरियों को हटाने की मांग ही नहीं की , फिर से ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो ,ऐसी घटनाओं के पीछे कारण क्या है , भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए , क्या सुझाव होना चाहिए , घायलों को कैसे मदद मिले , अमन , सुकून कैसे क़ायम हो ,क्षतिपूर्ति की प्रकिया क्या हो , इस पर किसी के विचार , किसी के सुझाव नहीं हैं , बस सियासी रोटियां सेंकना ही इनका उद्देश्य हो गया है ,,गुजरात के आनंद ज़िले की घटना हो ,, करोली की घटना हो , दूसरी घटनाएं हो , सभी में एक कॉमन बात है ,, डी जे ज़ोर से बजना , आपत्तिजनक नारे लगना फिर पथराव होना ,,अरे पुलिस अपनी ज़िम्मेदारी क्यों निभाती ,, जो भी क़ानून तोड़ रहा है ,डी जे नियम विरुद्ध नारे लगा रहा है ,तो फिर उसे ज़ब्त क्यों नहीं करते , पुलिस बनाम हिन्दू ,  पुलिस बनाम मुसलमान हो जाए तो हो जाए , ,लेकिन हिन्दू , बनाम ,मुसलमान  मुसलमान बनाम हिन्दू नहीं होना चाहिए , छतों पर पत्थर है , या घरों में पत्थर है ,  जुलुस के रुट चार्ट पर तलाशी  क्यों नहीं ,,  पुलिस प्रोटेक्शन क्यों नहीं,  धर्म को हमने राजनीति का शॉर्टकट बना लिया है , वोटों का प्रचारक धर्म को हमने बना लिया है, इसलिए हम हमारी सियासत , हमारी सियासी पार्टियां ,, बेशर्म हो गए है , हमे संवेदनाएं नहीं दिखतीं , हमें , दंगे फसादात में रोते , बिलखते , लोगों  की चीखें सुनाई नहीं देतीं , हमे दुकाने , मकानों की टूटफूट , आगजनी नहीं दिखती ,  हमे दंगे फसाद के माहौल के बाद , कफ्र्यू की त्रासदी , रोज़गारों का उड़ना नज़र नहीं आता , क्योंकि हम बेशर्म हो गए है , हमे तो सिर्फ हिन्दू , मुस्लिम करके ,वोट चाहिए , हमे देश से मतलब नहीं , हमे तो सिर्फ वोट चाहिए , , हालात यह हो गये है के अब आयोगों के चेयरमैनों को भी , पार्टियों की विचारधारा के साथ , फेक्ट फाइंडिग टीम में  पहुंचाने की गलत परम्परा शुरू हो गयी है , दोस्तों , करोली की घटना हो , गुजरात के आनद की घटना हो , सब घटनाओं के पीछे , डी जे , आपत्तिजनक नारे , पत्थरबाज़ी है , तो प्लीज़ , इस पर चिंतन करने , एक फार्मूला तय्यार करें , गैर सियासी व्यवस्थाएं बनाये , ओरिजनल  राष्ट्रवाद का फार्मूला अपनाये , न भाजपाई बनें , न कोंग्रेसी बनें , ना हिन्दू बने ,न मुसलमान बनें ,सिर्फ इंसान बने, आपके लाउडीस्पीकर , आपके डी जे , आपके बेहूदा नारों से दूसरों को तकलीफ आप क्यों  पहुंचाना चाहते ,है  सिर्फ इसलिए के आप चुनाव में हीरो बने, चुनाव में वोटों  की तुष्टिकरण करने , चुनाव में भूख , गरीबी , बेरोज़गारी ,महंगाई , देश के पिछड़ने के मुद्दों को दबाने के लिए , तू हिन्दू , तू मुसलमान , तू असुरक्षित का नारा , दें जिन हिन्दू भाइयों के बीच में मुस्लिम समाज पूरी तरह सुरक्षित है ,उन्हें चंद गुंडे लोगों का डर बताकर , हिन्दुओं से असुरक्षित बताकर ,वोटों की सियासत करने , सो करोड़ से भी ज़्यादा हिन्दू भाई , जो अपने मुस्लिम भाइयों के साथ ,प्यार मोहब्बत खुलूस से रहते है , उन्हें चंद गुंडों की करतूतों को गिनाकर , गिनती के मुसलमानों से हिन्दू खतरें में बताकर, वोटों की सियासत करें , यह तो सिर्फ हम जैसे बेशर्म ही कर सकते हैं , खेर  करोली की घटना , अख़बारों ,, न्यूज़चैनलस  की रिपोर्टिंग , ,, समाजसेवी संस्थाओं की ज़िम्मेदारी , अधिकारीयों , पार्टियों की ,ज़िम्मेदारी  ,, सोशल मिडिया एक्टिविस्ट लोगों , सियासी पार्टी से जुड़े लोगों की हरकतों , बयानबाज़ी ने , साफ कर दिया के हम , हमारा समाज , हमारे धर्म से जुड़े लोग, बेशर्म हो चुके है , और हमे सिर्फ एक अदद शर्म की ज़रूरत है ,, ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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