शिक्षक थे,अंत समय में भी दे गए नेत्रदान की शिक्षा
2. नैत्रदान की शिक्षा दे गये,प्रधानाचार्य हरिशंकर जी
हरिशंकर
जी चतुर्वेदी ( 80 वर्षीय ) सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य मल्टीपरपज
स्कूल,गुमानपुरा का आज सुबह हृदयाघात से आकस्मिक निधन हो गया,जिसके उपरांत
उनकी पत्नी शीला चतुर्वेदी और बेटे संजय,अजय और भांजे व शाइन इंडिया
फाउंडेशन के ज्योति-मित्र अमित ठाकुर की सहमति से उनका नेत्रदान का पुनीत
कार्य निवास स्थान पर संपन्न हुआ ।
हरिशंकर
जी नम्र स्वभाव व सदा प्रसन्न चित्त रहने वाले नेक दिल इंसान थे, अपने
जीवन काल में उनसे शिक्षा प्राप्त बच्चे आज देश विदेशों में काफी नाम कमा
रहे हैं, एक शिक्षक की इच्छा यही रहती है कि, वह ताउम्र बच्चों को शिक्षा
देता रहे,यही कारण रहा की शिक्षक हरि शंकर जी की मृत देह से नेत्रदान जैसा
पुनीत कार्य संपन्न हो पाया, इस तरह से वह अंत समय में भी भावी छात्रों को
नेत्रदान की एक सीख देकर चले गए ।
नेत्रदान
की प्रक्रिया के दौरान घर की सभी महिलाएं और पोते पुत्रियां मौजूद थे
उन्होंने भी नेत्रदान की प्रक्रिया को अपने सामने होते देखा तब जाना कि
नेत्रदान सिर्फ 10 मिनट की छोटी सी प्रक्रिया है जिसमें किसी तरह का कोई
रक्त और चेहरे पर कोई विकृति नहीं आती है ।
ईबीएसआर
कोटा चैप्टर के अध्यक्ष डॉक्टर के के कंजोलिया जी ने बताया कि,अब गर्मियों
के दिनों में यह ध्यान रहे कि नेत्रदान की समय सीमा 6 से 8 घंटे के दौरान
है,आंखों को बंद करके, उन पर गीला रुमाल रखा रहे व पंखा पूरी तरह बंद
रखें,तब जाकर हम एक उत्कृष्ट गुणवत्ता का कॉर्निया प्राप्त कर सकेंगे।
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