अंगों के अभाव के दर्द को समझ,कराया नैत्रदान
2. देवलोकगामी परिजनों का नैत्रदान होना ही सच्ची श्रद्धांजलि
शाइन
इंडिया फाउंडेशन के अनवरत प्रयासों से अब संभवतया प्रतिदिन एक नैत्रदान
संभाग से हो रहा है । इस वर्ष में कोटा संभाग से अब तक 148 नेत्रों का
संकलन संस्था के प्रयास से आ चुके है ।
बीते
दिनों रंगबाड़ी निवासी कौशल्या देवी (70 वर्ष) के आकस्मिक निधन के उपरांत
संस्था के ज्योति-मित्र विकास दीक्षित जी ने कौशल्या जी की बेटी
ज्योति,बेटे नरेंद्र और रमेश सोनी से माता जी के नैत्रदान करवाने के लिए
कहा । परिवार के सभी सदस्य नैत्रदान के बारे में सुनते ही तुरंत राजी हो गए
क्योंकि कौशल्या जी का बेटा नरेन्द्र और उसकी पत्नी बचपन से ही दृष्टिहीन
हैं । सभी की सहमति पर रंगबाड़ी स्थित निवास स्थान पर नेत्रदान की
प्रक्रिया संपन्न होगी।
इसी
क्रम में गुरुवार पूनम कॉलोनी,कोटा जंक्शन स्थित श्रीमती भगवती देवी जी
(78 वर्ष) का भी,उनके निवास पर ही निधन हो गया । बड़े बेटे लोकेंद्र जी के
पड़ोसी देवेंद्र करनावट कि समझाईश के बाद उन्होंने भी अपनी माताजी का
नेत्रदान कराया ।
शुक्रवार
देर रात 1:00 बजे भारत विकास परिषद अस्पताल में, संस्था के ज्योति मित्र
अंकित विजय के पिताजी श्री दिनेश विजय जी (58 वर्ष )का आकस्मिक निधन हो
गया, अंकित ने तुरंत ही,बड़े भाई लोकेश,चाचा भूपेंद्र जी व देवेंद्र जी
सहमति लेकर पिताजी के नेत्रदान का कार्य संपन्न करवाया । अंकित जी काफी समय
से संस्था के साथ नेत्रदान अंगदान अभियान में सहयोग दे रहे हैं,इसी भावना
से जैसे ही पिताजी का देवलोकगमन हुआ,उन्होंने तुरंत ही उनके नेत्रदान का
पुनीत कार्य संपन्न कराया ।
ईबीएसआर-बीबीजे
चैप्टर के को-ऑर्डिनेटर डॉ कुलवंत गौड़ ने कहा कि,एक समय था,जब माह में 2
या 4 नेत्रदान हुए करते थे,आज माह में 20 से 25 जोड़ी नेत्रदान हो रहे हैं,
परिजनों के देवलोक गमन के बाद उनके नेत्रदान करवाना ही उनके प्रति सच्ची
श्रद्धांजलि है ।
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