नज़र अपनी , नज़रिया अपना ,, नज़ारा अपना ,,, , व्यवसाय अपना ,, मुनाफा अपना , घाटा अपना , महनत अपनी , लगन अपनी ,, फिर ऐतराज़ तुम्हे क्यों ,, तुम्हारा अपना नज़रिया हो सकता है , लेकिन हक़ीक़त यही है , के गन्ना ब्यूटी क़्वीन ,,रोज़ मर्रा , अपनी व्यवस्थित मार्केटिंग , के ज़रिये ,,, खुद का , खुद के पति , बच्चे और परिजनों का पेट भी पाल रही है ,, स्वावलंबन , स्वरोजगार का एक संदेश भी दे रही हैं , जी हाँ दोस्तों ,, आज देश भर में , अगर शेव की क्रीम , शेव के ,ब्लेड ,, रेज़र का विज्ञापन हो , तो उसमे महिला दिखाई जाती है , स्कूटर ,, साइकल वगेरा का विज्ञापनं हो , तो महिला दिखाई जाती है ,, स्कूल हों , कोचिंग हों , प्राइवेट संस्थान हो ,, सभी में ,, स्वागत कक्ष रिसेप्शन पर महिलाये ही होती हैं ,, हर व्यसाय के विज्ञापन , मार्केटिंग , की बुनियाद वर्तमान भौतिकवाद में , महिलाओं पर ही आ टिकी है ,व्यवसाय विज्ञापन के लिए , महिला कॉलर्स को ही ड्यूटी पर रखा जाता है ,, हालात यह है , के बाबा रामदेव अगर टी वी पर किसी को योग सिखाने का ज्ञान देते है , तो वोह महिला को ही बिठा कर यह सब समझाते है , टी वी पर , योगा क्लास हो , तो योगा की खुली यूनिफॉर्म में , टी वी पर महिलाओं के ज़रिये ही योग सिखाने की कोशिश नज़र आती है , सही भी है ,, नज़र अपनी , नज़रिया अपना ,, सोच अपनी ,, लेकिन इन सब पर किसी को ऐतराज़ नहीं , किसी की सोच में यह गलत नहीं , इन सभी हालातों पर किसी की टिप्पणी नहीं ,, बस कुछेक है , जो , गर्मियों के दिनों में ,हर बार , गन्ने की चर्खियों पर , अपने घर , परिवार के पुरुष सदस्यों के साथ , ,गन्ना ब्यूटी क़्वीन ,, की मार्केटिंग पर ऐतराज़ जताते देखे जाते है ,, एक महिला ,, जो अपने पति , परिजनों के साथ , निरक्षर होकर भी , खेतों में दिन रात महनत कर ,, गन्ना उगाती है , दूसरी फसल उगाती है , वोह महिला ,, खेती के वक़्त के बाद , शहरों में आकर , किसी चौराहे पर ,, सड़क के किनारे पर , अपने पति , परिजनों के साथ , एक गन्ने की चरखी लगाकर , खड़ी होती है , रोज़ अपने घर के , परिजनों के नियमित खाने वगेरा के कामकाज के बाद ,,, गन्ने के ठेले के स्थान के आसपास ही , सुरक्षित ढके , छुपे स्थान पर , नहाती है , धोती है ,, फिर आधुनिक ड्रेस कोड , के साथ वर्तमान हालातों की मार्केटिंग के लिए खुद को तय्यार करती है ,, आयना लेकर , कुछ ही मिनटों में , खुद को संवार लेती है , सस्ती सी लिपस्टिक , सामान्य सा पावडर ,, काजल , बगेरा ,, अपने चेहरे पर , लगाकर खुद को एक बेस्ट ,, ब्यूटी पार्लर , से भी बहतर संवार लेती है ,, रोज़ मर्रा हेयर स्टाइल बदल बदल कर खुद तय्यार करती है ,, कड़ाके की धुप हो , गर्मी हो , उमस हो , यह सजी संवरी महिला , चुप मुंह अपने पति , परिजनों के साथ ,, ,गन्ने को साफ करती है , धोती है ,, बेहतरीन गन्ने के रस के लिए मसाला ,तय्यार करती है ,, गिलासों को साफ़ सुथरा करती है ,,, पसीने से तर बतर होने पर भी , इन बहनों का मेकअप , जस का तस रहता है , चमक जस की तस रहती है ,बात शक्ल , सूरत की नहीं , बात हौसले की है , बात निरक्षर होने के बावजूद भी ,, बेहतर गन्ने के रस की मार्केटिंग की है ,, जो हर ज़िले में खासकर कोटा में , चाहे अस्सी फुट रोड हो , चाहे नयापुरा क्षार बाग़ हो , दूसरे चौराहे , मुख्य सड़कें हों , वहां यह महिलाये , अपनी इसी मार्केटिंग पद्धति से बेहतर से बेहतर व्यापार कर ,, गन्ने के रस व्यसाय में प्रतिस्पर्धा पैदा कर देती है ,, घंटों , हज़ारों रूपये की ड्रेसिंग टेबल के आगे , महंगे लिपस्टिक , पावडर ,, क्रीम , काजल , लगाने ,, ड्रेस कोड तय्यारी पर हज़ारों हज़ार रूपये खर्च करने वाली अमीर महिलाये इन्हे देखकर हैरान होती है , जो मेकअप,, जो ड्रेस कोड , जो हेयर स्टाइल ,, वोह महिलाये ,, ब्यूटी पार्लर के यहाँ जाकर , या ब्यूटी टिप्स लेकर , हज़ारों हज़ार रूपये में घंटों में नहीं कर पाते , वोह यह निरक्षर सी दिख्नने वाली , ग्रामीण परिप्रेक्ष की महिलाये ,, चंद मिनटों में , सड़क के किनारे , अपने ठेले के पास ,कुर्सी पर बैठकर , खुद को सजा लेती है , संवार लेती है , यह गन्ना ब्यूटी क़्वीन ,, हैरान कर देती है ,, जब महंगे पार्टी वियर पहन कर , महंगे मेकअप में निकलने वाली महिलाएं , थोड़े से पसीने में खुद के मेकअप को बिगाड़ लेती है , बढ़ी आहिस्ता ,, आहिस्ता अदाकरी से , खुद को हर काम से बचाती है ,, दूसरी तरफ यही , गन्ना ब्यूटी क़्वीन , चंद मिनटों के मेकअप , ,चंद लम्हों की हेयरस्टाइल सेटिंग , ड्रेस कोड सिस्टम , के बाद दिन भर , कढ़ी मेहनत के बावजूद भी उंनका मेकअप ,, उनकी चेहरे की ताज़गी जस की तस रहती है ,,, नज़रिया सभी का अपना अपना , सोच सभी की अपनी अपनी ,, हो सकता है , कुछ एक अपवादित हों , लेकिन , निरअपवादित , सभी मेहनत कश , गन्ना ब्यूटी क़्वीन , ,गन्ना रस व्यापरी बहनों को मेरा तो सेल्यूट है ,, , जो अपवादित हालातों में , भागम भाग , आरोप , प्रत्यारोपों की इस माहौल में ,, वर्तमान पढ़े लिखे , मार्केटिंग मैनेंजमेंटन से भी बेहतर , अपने गन्ने रस का व्यवसाय चलाकर ,, खुद का , खुद के परिजनों का , अपने पति , अपने परिजनों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर , पेट पाल रही हैं , यहां तक के कुछ बेरोज़गारों को भी वोह रोज़गार दे रही है , अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)