ये वही लोग हैं जिनके (रहने सहने के) लिए सदाबहार (बेहष्त के) बाग़ात हैं
उनके (मकानात के) नीचे नहरें जारी होगीं वह उन बाग़ात में दमकते हुए कुन्दन
के कंगन से सँवारे जाँएगें और उन्हें बारीक रेशम (क्रेब) और दबीज़ रेशम
(वाफते) के धानी जोड़े पहनाए जाएँगें और तख़्तों पर तकिए लगाए (बैठे) होगें
क्या ही अच्छा बदला है और (बेहिश्त भी आसाइश की) कैसी अच्छी जगह है (31)
और (ऐ रसूल) इन लोगों से उन दो शख़्सों की मिसाल बयान करो कि उनमें से एक
को हमने अंगूर के दो बाग़ दे रखे है और हमने चारो ओर खजूर के पेड़ लगा
दिये है और उन दोनों बाग़ के दरम्यिान खेती भी लगाई है (32)
वह दोनों बाग़ खूब फल लाए और फल लाने में कुछ कमी नहीं की और हमने उन दोनों बाग़ों के दरम्यिान नहर भी जारी कर दी है (33)
और उसे फल मिला तो अपने साथी से जो उससे बातें कर रहा था बोल उठा कि मै
तो तुझसे माल में (भी) ज़्यादा हूँ और जत्थे में भी बढ़ कर हूँ (34)
और ये बातें करता हुआ अपने बाग़ मे भी जा पहुँचा हालाकि उसकी आदत ये थी
कि (कुफ्र की वजह से) अपने ऊपर आप ज़ुल्म कर रहा था (ग़रज़ वह कह बैठा) कि
मुझे तो इसका गुमान नहीं तो कि कभी भी ये बाग़ उजड़ जाए (35)
और मै तो ये भी नहीं ख़्याल करता कि क़यामत क़ायम होगी और (बिलग़रज़ हुयी
भी तो) जब मै अपने परवरदिगार की तरफ लौटाया जाऊँगा तो यक़ीनन इससे कहीं
अच्छी जगह पाऊँगा (36)
उसका साथी जो उससे बातें कर रहा था कहने लगा कि क्या तू उस परवरदिगार का
मुन्किर है जिसने (पहले) तुझे मिट्टी से पैदा किया फिर नुत्फे से फिर तुझे
बिल्कुल ठीक मर्द (आदमी) बना दिया (37)
हम तो (कहते हैं कि) वही ख़ुदा मेरा परवरदिगार है और मै तो अपने परवरदिगार का किसी को शरीक नहीं बनाता (38)
और जब तू अपने बाग़ में आया तो (ये) क्यों न कहा कि ये सब (माशा अल्लाह
ख़ुदा ही के चाहने से हुआ है (मेरा कुछ भी नहीं क्योंकि) बग़ैर ख़ुदा की
(मदद) के (किसी में) कुछ सकत नहीं अगर माल और औलाद की राह से तू मुझे कम
समझता है (39)
तो अनक़ीरब ही मेरा परवरदिगार मुझे वह बाग़ अता फरमाएगा जो तेरे बाग़ से
कहीं बेहतर होगा और तेरे बाग़ पर कोई ऐसी आफत आसमान से नाजि़ल करे कि (ख़ाक
सियाह) होकर चटियल चिकना सफ़ाचट मैदान हो जाए (40)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
17 मार्च 2022
और (ऐ रसूल) इन लोगों से उन दो शख़्सों की मिसाल बयान करो कि उनमें से एक को हमने अंगूर के दो बाग़ दे रखे है और हमने चारो ओर खजूर के पेड़ लगा दिये है और उन दोनों बाग़ के दरम्यिान खेती भी लगाई है
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