चाहत बन गये हो तुम,
कि आदत बन गये हो तुम,
हर सांस में यूँ आते जाते हो
जैसे मेरी इबादत बन गये हो तुम.
जी हाँ दोस्तों , पत्रकार साथी , भाई के डी अब्बासी के यह अलफ़ाज़ , चाहे उन्होंने ने , उनकी शादी की सालगिरह के वक़्त , अपनी अर्धांग्नी ,,हम सफर , जीवन साथी ,, शरीक ऐ हयात से ना कहें हों , लेकिन दोनों की नज़रें मिली और दिल से दिल में यही अल्फ़ाज़ एक दूसरे के लिए बे साख्ता सच बन कर निकल गए , कोटा में स्वतंत्र पत्रकार , यारों के यार ,, भाई के डी अब्बासी को , उनकी जीवन संगनी के साथ , शादी का यह खुशनुमा सफर ,, इस सफर का यह पड़ाव , शादी की सालगिरह का दिन मुबारक हो , बख्तावर हो , खुशहाली , कामयाबी के साथ , सह्तयाबी , उम्रदराज़ी की दुआओं के साथ , यह सफर हर साल हर पल , यूँ ही खुशियों के साथ ,, सालों साल , , हज़ारों साल , चलता रहे चलता रहे , बस इन खूबसूरत बेमिसाल , एक दूसरे की मदद के साथ , हर शख्स के मददगार रहने वाली इस जोड़ी को शादी की सालगिरह मुबारक हो ,, के डी अब्बासी के परिजनों को उनके लिए यूँ ही , ज़िंदगी के हमसफ़र की तलाश थी ,, बात दूर तक , यानि महाराष्ट्र के जल गाँव तक पहुंची और , बस , आज ही के दिन भाई , के डी अब्बासी ,, भाभी जी के , और भाभी जी , के डी अब्बासी की हमसफ़र बन गयीं ,, अल्लाह का शुक्र लम्हा लम्हा , प्यार से मोहब्बत से , भरोसे के साथ गुज़रा , मशाअल्लाह बच्चों की बहतरीन परवरिश के साथ , जीवन संगिनी ने , उनके कर्त्वय निर्वहन के तहत , खुद कम्प्यूटर सीखा , टायपिंग सीखी ,, फोटो स्टेट व्यवस्थाएं सीखीं , और फिर ,, अपने जीवन साथी के साथ ,रोज़ , सुबह घरेलू काम काज से निवृत होकर ,बच्चों की देखरेख , स्कूली शिक्षा , होमवर्क व्यवस्था के बाद ,, कलेक्ट्री स्थित , अपनी दुकान पर ,, जेरोक्स , टाइपिंग ,, कम्प्यूटर वर्क , किताबों के प्रकाशन की टाइपिंग , लेमिनेशन , फोटोग्राफी वगेरा वगेरा , सभी काम कंधे से कंधा मिलाकर , अपने जीवन साथी का खाना लेकर आ पहुंचती है और फिर शाम तक यहीं काम के बाद , घरेलू काम काज के लिए घर पर , वहीँ एक सफल गृहणी की शुरुआत ,, माशा अल्लाह , खुश क़िस्मत है ,, के डी अब्बासी , खुश क़िस्मत है , हमारी भाभी जी ,, जो खुशमिजाज़ी के साथ , मोहब्बत खुलूस के साथ ,, मर्यादाओं में रहकर ,, आने जाने वालों की मदद के जज़्बे के साथ , अपनी ज़िंदगी के सफर को बिंदास गुज़ार रहे हैं ,, अल्लाह जोड़ी सलामत रखे , प्यार , मोहब्बत ,, मेहनत , लगन , दूसरों की मदद के इस जज़्बे को सलामत रखे ,,,,, ,, बेमिसाल वफादारी के प्रतीक ,,,यारों के यार ,,स्वतंत्र पत्रकार भाई के डी अब्बासी को उनकी शादी सालगिरह पर मुबारकबाद ,
बधाई
,दोस्तों यूँ तो भाई के डी अब्बासी किसी परिचय के मोहताज नहीं ,,लेकिन एक छोटे से समाचार पत्र विश्वमेल से पत्रकारिता की शुरुआत कर ,जननायक ,भारत की महिमा ,राष्ट्रिय सहारा ,,सहारा टी वी सहित कई पत्र ,पत्रिकाओं ,मैग्ज़ीनों में ज्वलंत मुद्दों पर रोज़ मर्रा लिखने वाले ,ज़िंदा,,और निष्पक्ष ,निर्भीक ,, पत्रकार के रूप में इनकी पहचान ,,,है ,,,पत्रकारिता के संघर्ष काल में जब डिजिटल पत्रकारिता नहीं ,थी तब क़लम से की जाने वाली पत्रकारिता के लिए ,भाई के डी अब्बासी ने ,,क़लम की फैक्ट्री ही खोल दी ,वोह कहते थे ,,,मेरे बनाये हुए पेनों से में चाहता हूँ ,पत्रकार कुछ ऐसा करिश्मा करे के ,,रोते हुए लोग मुस्कुरा जाएँ ,, ,पीड़ितों को इंसाफ मिले ,बेईमान और भ्रष्टाचार लोगो को सजा मिले ,समस्याओं के समाधान पर चर्चा हो ,बस इनकी उत्पादित क़लम पुराने वक़्त के कमोबेश सभी पत्रकारों के हाथो में आम जनता को इंसाफ देने के लिए अलफ़ाज़ उगलती रही ,,के डी अब्बासी भाई अपने साथियों के साथ मिलकर उन्हें स्वरोज़गार के लिए उत्प्रेरित भी करते रहे ,अपना वक़्त देकर उन्हें स्थापित करने का सफलतम प्रयास भी करते रहे ,यही वजह है के आज कई साथी लोग इनकी वफादारी ,कुशल प्रबंधन ,मदद से स्वरोज़गार व्यवस्था में मालामाल है ,,भाई के डी अब्बासी सांध्य दैनिक विश्व मेल ,अमर नायक ,,भारत की महिमा ,,दैनिक जागरण ,,दैनिक जननायक ,राष्ट्रिय सहारा ,सहारा टी वी में काम करने के बाद अब स्वतंत्र पत्रकार के रूप में रोज़ लिख रहे है ,छोटे मंझोले ,,समाचार पत्रों सहित सभी पत्रकारों को इनकी दैनिक खबर बुलेटिन का इन्तिज़ार रहता है ,,कलेक्ट्रेट पर कोई प्रदर्शन हो ,कोई बैठक हो ,कोई समस्याग्रस्त ज्ञापन बाज़ी ,हो ,रेलवे में कोई अव्यवस्था हो ,पुलिस प्रताड़ना हो ,,नाली पटान ,खरंजे की कोई समस्या हो ,,प्रेस कॉन्फ्रेंस हो ,जनता की समस्याओं के समाधान से जुड़े सरकारी दफ्तरों में कर्मचारियों ,अधिकारियो की उपेक्षा हो ,उनकी त्वरित ,जीवंत ,फोटोग्राफ के साथ लाइव रिपोर्टिंग हर पल हर क्षण प्रसारित होती है ,कोटा सहित राजस्थान के सभी अख़बारों में इनकी खबरों ,रिपोर्टिंग का प्रकाशन लगातार होता है ,,के डी अब्बासी डिजिटल प्रेसनोट ,डिजिटल पत्रकारिता से जुड़कर कई डिजिटल वेबसाइटों पर अपनी खबरों से पत्रकारों ,पाठको को लाभान्वित कर रहे है ,बिना किसी लालच ,,बिना किसी मतलब के भाई के डी अब्बासी ,इनकी रिपोर्टर कम्प्यूटर रिपोर्टिंग डिजिटल सिस्टम के ज़रिये अदालत ,कलेक्ट्रेट आने जाने वाले पत्रकारों को भी लाभान्वित करते है ,उन्हें व्यवस्थाएं उपलब्ध कराते है ,,कई सदियों से मेने इनकी हर अदा को बारीकी से क़ैद किया है ,लेकिन वफ़ादारी ,दयानतदारी ,,पत्रकारिता के लिए समर्पण ,,महनत ,लगन का जज़्बा इनमे कूट कूट कर भरा है ,,, विख्यात लेखक ,,स्वतंत्र पत्रकार ,पूर्व संयुक्त निदेशक जनसम्पर्क भाई डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल को के डी अब्बासी वर्तमान हालातों में अपना मार्गदर्शक भी मानते है ,उनसे वोह बहुत प्रभावित है ,,लेकिन यक़ीन कीजिये ,,,तलाश कर लीजिये ,,आज़मा लीजिये ,पत्रकारिता की व्यस्त दुनिया ,रोज़गार की भागमभाग में व्यस्तताओं के बाद ऐसी जांबाज़ पत्रकारिता ,ऐसी ,वफादार दोस्ती ,ऐसी यारों की यारी ,भाई के डी अब्बासी से अव्वल अगर किसी में हो तो बताइये ज़रूर ,क्योंकि इन सब में भाई के डी अब्बासी अव्वल थे ,अव्वल है ,अव्वल रहेंगे ,,भाई के डी अब्बासी को उनकी शादी की सालगिरह पर दिली मुबारकबाद ,बधाई
,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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