माँ के नैत्रदान की सरल प्रक्रिया को देख,पुत्र ने भी लिया नैत्रदान संकल्प
120 km दूर से,भवानीमंडी से संभाग का पहला नैत्रदान संकलित
शनिवार
को भवानीमंडी से महिला संतोष चौधरी के रूप में 50वां नेत्रदान प्राप्त
हुआ। नेत्रदान की सरल प्रक्रिया से प्रेरित होकर संतोष जी के पुत्र ने
राजकुमार चौधरी ने भी तुरंत अपने नेत्रदान का संकल्प लिया।
भवानीमंडी
निवासी बाल निकेतन विद्यालय की संचालिका श्रीमती संतोषजी चौधरी काफ़ी
सरल,हँसमुख स्वभाव रखने वाली,व जीवन के उच्च निति व श्रेष्ठ सिद्धांतों पर
अमल करने वाली महिला थी ।
शाइन
इंडिया फाउंडेशन के ज्योति-मित्र कमलेश दलाल ने बताया कि माताजी के परिजन
चाहते है कि,नैत्रदान संभव हो और हमारी माता जी की आँखों से कोई दृष्टिहीन
यह दुनिया देख सकें ।
परिजनों
की इच्छा जानकर संस्था के ज्योतिमित्र डॉ कुलवंत गौड़ तुरंत ही भवानीमंडी
के लिये रवाना हो गये, दोपहर 3:00 बजे माताजी संतोष चौधरी जी का नेत्रदान
परिवार के सभी सदस्यों के बीच संपन्न हुआ ।
घर
पर उपस्थित सभी परिवारजनों के सामने नेत्रदान की प्रक्रिया संपन्न हुई ,
उपस्थित सभी महिलाओं और व्यक्तियों ने नेत्रदान की प्रक्रिया को अच्छी तरह
से देखा और जाना की नेत्रदान में किसी भी तरह की चेहरे पर विकृति नहीं आयी
है,नैत्रदान में आंखों के ऊपर की पारदर्शी झिल्ली कोर्निया (पुतली) को ही
लिया जाता है, इसमें पूरी आँख को नहीं निकाली जाती है, यह रक्तहीन
प्रक्रिया 10 मिनट में ही पूरी हो जाती हैं ।
नेत्रदान
प्रक्रिया से प्रभावित होकर संतोष जी के अध्यापक पुत्र रितेश चौधरी ने
नेत्रदान प्रक्रिया के सम्पन्न होते ही वहीं पर अपने नेत्रदान का संकल्प
लिया एवं भवानीमंडी के नेत्रदान कार्यों में सहयोग करने का आश्वासन दिया।
शाइन
इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से यह भवानीमंडी क्षेत्र से प्राप्त 50 वाँ
नेत्रदान है, एवं इस वर्ष का यह 19 वाँ नेत्रदान है, यह पहली बार हुआ है जब
1 वर्ष से भी कम समय में 19 नेत्रदान भवानीमंडी क्षेत्र से प्राप्त हुए
हैं।
Dr Kulwant gaur
शाइन इंडिया फाउंडेशन,
8386900102
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