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17 नवंबर 2021

एक मामा , जगत मामा , वकील साथियों के भी मामा , और आम लोगों के भी मामा , जो रूप भी है , नारायण भी है ,, पारीक भी है , सादगी भरे जीवन से , अपने ही , बिंदास अंदाज़ में वकालत करते है

 एक मामा , जगत मामा , वकील साथियों के भी मामा , और आम लोगों के भी मामा , जो रूप भी है , नारायण भी है ,, पारीक भी है , सादगी भरे जीवन से , अपने ही , बिंदास अंदाज़ में वकालत करते है , ,,ठसके से रहते है , ठहाके लगाते है , ठहाके लगवाते है , अवसर पढ़ने पर , बेवजह अड़ियल रुख अपनाने वाले को सबक़ भी सिखाते है , आज उनकी सालगिरह है , जन्म दिन है , उन्हें उनकी सालगिरह पर , उम्रदराज़ी , सह्तयाबी , खुशहाली की बेशुमार दुआओं के साथ , मुबारकबाद , बधाई , जी हाँ दोस्तों में बात कर रहा हूँ , मामा ,एडवोकेट रूप नारायण पारीक की , जो हरफन मोला है , फनकार भी है , क़लमकार भी है , कुशल वक्त अभी हैं , वकील भी है , संकट मोचक भी है , सादगी की मिसाल भी  हैं ,, 17  नवम्बर 1941 को कोटा का ही हिस्सा रहे , वर्तमान में जो बारां जिला है ,वहां उनका जन्म हुआ , उनकी प्रारम्भिक पढ़ाई के बाद वोह कोटा में ही हर्बर्ट कॉलेज में , पढ़े , वहीँ से उन्होंने लॉ ग्रेजुएट किया ,, रूपनारायण पारीक , कोटा अदालत में प्रशिक्षु वकील के रूप में , पूर्व मंत्री और समाजवादी नेता , पुरुषोत्तम दास मंत्री के साथ सहयोगी रहे, उन्ही के साथ उन्होंने वकालत का कामकाज सीखा , 1961 से रूपनारायण पारीक , कोटा न्यायलय में वकालत कर रहे है , एडवोकेट एक्ट भी उसी वक़्त लागु हुआ , रूपनारायण पारीक की वकालत की फाइलों की बारीकियों , क़ानून कमज़ोरियों पर , तेज़ तर्रार पकड़ होने से , यह अदालतों में , अपने पक्षकार के पक्ष को , बेहतर तरीके से , प्रभावशाली तरीके से रखते रहे , और कई पेचीदा मामलों में इन्हे कामयाबी मिलती रही ,रूपनारायण पारीक की कोटा अभिभाषक परिषद में एन्ट्री के वक़्त यहां बैलेट से चुनाव नहीं होते थे , बस , अमुक व्यक्ति खड़ा है , अमुक व्यक्ति के मुक़ाबले में कौन है , पंच फैसले की तरह , बहुमत की संख्या देखी और बस हो गया अध्यक्ष का चुनाव , , खुद रूपनारायण पारीक ,, कोटा अभिभाषक परिषद के दो बार निर्वाचित उपाध्यक्ष रहे , पारीक कोटा न्यायालय परिसर में विस्तार , और न्यायिक कामकाज में पारदर्शिता के साथ , वकील साथियों के साथ न्यायिक अधिकारीयों के व्यवहार में , विनम्रता , सम्मान को लेकर , संघर्ष शील रहे है , इसीलिए रूप नारायण पारीक का , कई बार कुछ न्यायिक अधिकारीयों से टकराव रहा है , एक संस्मरण में , रूपनारायण पारीक के एक गरीब व्यक्ति के वकील  , सीविल कुर्की में ,विधि के नियम के विपरीत , उस निर्धन व्यक्ति के घर के खाने पीने के बर्तन , कपड़े वगेरा सब , कुर्की आदेश हुए ,, रूपनारायण पारीक ने अपने पक्षकार की तरफ से उज़्रदारी पेश की , नियम क़ानून बताये , फिर बात बढ़ गयी , बात विधि नियमों की थी , रूपनारायण पारीक ने इस मामले में , हाईकोर्ट शिकायत की , पत्रावली का अवलोकन हुआ , खुद रूपनारायण पारीक के बयान हुए , और फिर जज साहब को , जबरन सेवानिवृत्ति देकर दंडित किया गया ,, इसी तरह से , एक जज साहब का कॉलिजेनियम में हायकोर्ट जज के लिए वरिष्ठता के आधार पर नाम तय हुआ , लेकिन जज साहब के कार्य व्यवहार से टकराव था , तो रूपनारायण पारीक ने अपने साथियों के साथ मिलकर , उनके सभी कोटा की नियुक्ति कार्यकाल के कच्चे  चिट्ठे , अख़बार के माध्यम से , सुबूतों के साथ उजागर किये , हाईकोर्ट ,, सुप्रीम कोर्ट में सबूतों के साथ शिकायत की ,, नतीजा ,, वकीलों के साथ दुर्व्यवहार और पक्षकारों के साथ  सामान्य न्याय नहीं करने के सबूत साबित होने पर , उन्हें हाईकोर्ट जज नहीं बनाया गया ,, एक अन्य मामले में , रूपनारायण पारीक फौजदारी मामले में  फरियादी पक्ष के वकील थे ,  प्रकरण की सुनवाई के बाद , अदालत में जज साहब ने , मुल्ज़िम को सभी बिंदुओं पर दोषी मानकर एक बिंदु पर कोई भी दृष्टांत हो तो देने के लिए कहा , नहीं तो फैसला सुरक्षित रख लिया , बाद में जब फैसला आया तो , मुल्ज़िमों से , फरियादी को प्रतिकर दिलवाकर ,, उन्हें छोड़ दिया गया , जो बात कोर्ट में , जज साहब द्वारा जुर्म प्रमाणित होने बाबत कही थी , उसी तथ्य को लेकर , रूपनारायण पारीक ने , हाईकोर्ट रजिस्ट्रार को शिकायत कर दी , शिकायत पर सुनवाई हुई ,बार में भी शिकायत थी , बार अध्यक्ष प्रह्लाद कृष्ण भार्गव थे , जज साहब का बचाव था , के फरियादी गरीब था इसलिए  उसे प्रतिकर दिलाकर ,, अभियुक्तों को छोड़ दिया गया ,, लेकिन रूपनारायण पारीक और कोटा अभिभाषक परिषद  अध्यक्ष प्रह्लाद कृष्ण भार्गव के सुबूतों के बाद , इन जज साहब की भी  हाईकोर्ट को छुट्टी करना पढ़ी , मामा रूपनारायण पारीक के एक नहीं हज़ारों हज़ार चुटकुले , हज़ारों हज़ार चुटकियां , हज़ारों हज़ार पैरवी में विधिक व्यवस्था के क़िस्से है , , हरफनमौला रूपनारायण पारीक , कड़कती सर्दी में भी एक बुशर्ट , हाथ में सिगरेट , सिगरेट के लगातार काश और , अदालत से पैदल चलकर ,  पहले रामपुरा दैनिक धरती करे पुकार अख़बार के सम्पादन के लिए रुकना , फिर वहां से रवाना होकर ,, रामपुरा में  पुरुषोत्तम दास जी मंत्री के वकालत कार्यालय होकर , ,,मक़बरा सोशलिस्ट समाचार के ,, सीताशरण देवलिया एडवोकेट के यहाँ रुकना ,, और फिर इसी अंदाज़ में घंटाघर होते हुए , मटरगश्ती , गपशप करते हुए ,  पाटनपोल मथुराधीश जी के मंदिर के पास वाली गली के अपने मकान में जाकर आराम फरमाना इनके रोज़ की , कई सालों से दिनचर्या रही है ,जब यह कड़ियल जवान थे , जब यह अधेड़ हुए , और अब यह बुज़ुर्ग की श्रेणी में आने के बाद भी उसी कड़ियल जवानी की तरह , अपनी ज़िंदगी खुशियों के साथ गुज़र बसर कर रहे है , रूप नारायण पारीक , दैनिक धरती करे पुकार अख़बार के सम्पादक भी रहे है , रोज़ मर्रा अख़बार लिखना , रेडियो की धीमी गति के समाचारों से अख़बार लिखना ,  देश के हालातों पर सम्पादकीय लिखना , इनका रोज़मर्रा का काम रहा है , रूप नारायण पारीक ,, कोटा राजकीय विधि महाविद्यालय में , कई सालों तक , संविदा लेक्चरर रहे है , राजकीय अधिवक्ता , ,,लोक अभियोजक रहे है , कलेक्ट्रेट में राजकीय अधिवक्ता रहे है , नगर निगम , नगर विकास न्यास के अधिवक्ता रहे है , वर्तमान में नगर विकास न्यास के अधिवक्ता है , रूपनारायण पारीक वकालत के हर क्षेत्र का अनुभव रखते है , वोह जो कुछ क़ानूनी ज्ञान , कुछ बुद्धि परीक्षण , कुछ हाज़िर जवाबी , कुछ पत्रावली के तथ्यों , साक्ष्यों की कमज़ोरियों की बारीकी से पकड़ को मिश्रित कर , जीतने वाले वकालत करते रहे है , बिना किसी तनाव के खेल खेल में , हंसी मज़ाक़ के माहौल में , इनकी बहस , इनके तर्क , यक़ीनन यादगार रहते है , रूपनारायण पारीक ,, कोटा में जनता पार्टी के गठन के गवाह है , यहां जब कोटा जिला अध्यक्ष का चुनाव हुआ तो यह कोटा जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष के चुनाव के निर्वाचन अधिकारी रहे है ,, वोटिंग मामले में घडी मिलाकर वोट डलवाना  और ऍन वक़्त पर देरी से आने वाले वोटर का वोट रोक देना इनका इतिहास रहा है , इस मामले में यह विवाद में भी रहे है , ,कोटा जिला अभिभाषक परिषद के निर्वाचन में भी यह कई बार निर्वाचन अधिकारी रहे है , एक चुनाव तो ऐतिहासिक हो गया , जब कुछ प्रत्याक्षियों के समर्थकों ने ,, मतपेटियों को गायब कर दिया  इस मामले में  थाने में भी कार्यवाही करना पढ़ी ,, रूपनारायण पारीक माशा अल्लाह , 81 साल के वरिष्ठ वकील साथियो में से कड़ियल जवान वकीलों में से प्रमुख है  रूपनारायण पारीक ने , आपात स्थिति काल में भी वकालत की है , मीसा बंदियों की पैरवी की है , उन्हें बचाने के लिए कई तर्क देकर उन्हें छुड़वाया भी है , ,तो पत्रकारिता का वोह  दौर भी देखा है ,जब अख़बार में खबर छापने के पहले , सेंसर होने से , जिला  कलेक्टर के यहां प्रकाशित की जाने वाले खबर की पहले स्वीकृति लेना ज़रूरी था , रूप नारायण पारीक की रोज़मर्रा की दिन चर्या में ,, , नियमित अदालत आना , नियमित हंसी , ठिठोली करना , क़ानूनी ज्ञान बांटना , नगर विकास न्यास की तरफ से  , और कई निजी मुक़दमों में , अदालतों में   पैरवी करना ,,  इनका रोज़ मर्रा का काम है ,  इनकी लेखनी आज भी  नीडर , निर्भीक है , यह आज भी भाषण बाज़ी , वकालत , लेखन के कार्यों में पारंगत है , मामा रूपनारायण पारीक को उनकी सालगिरह के अवसर पर दिली मुबारकबाद , बधाई ,,रूपनारायण पारीक को मामा का ख़िताब भी , कॉलेज टाइम में ही , उनकी सखा रही , एडवोकेट सुश्री सुहाग कपलाश ने दिया था , फिर मामा के इस लक़ब को ,, उनके दूसरे साथी , वरिष्ठ वकील , गुलाब सिंह जी ने , इतना फेमस कर दिया , के आज  कई वकील साथी , मामा को सिर्फ मामा के नाम से ही जानते ,है  कई लोगों को उनका असली नाम रूप नारायण पारीक भी याद नहीं है ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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