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08 नवंबर 2021

पिछले कई महीनों से , लावारिस स्थिति में पढ़ी वक़्फ़ सम्पत्ति को , शायद अब , कुछ ही दिनों में ,एक सियासी वारिस मिल जाए , शायद राजस्थान सरकार , खुदा की राह में समर्पित वक़्फ़ सम्पत्तियों , मस्जिदों , खानकाह ,, क़ब्रिस्तानों की देखरेख के लिए , वक़्फ़ बोर्ड के पुनर्गठन की प्रक्रिया को शीघ्र पूरा कर दे

 

पिछले कई महीनों से , लावारिस स्थिति में पढ़ी वक़्फ़ सम्पत्ति को , शायद अब , कुछ ही दिनों में ,एक सियासी वारिस मिल जाए , शायद राजस्थान सरकार , खुदा की राह में समर्पित वक़्फ़ सम्पत्तियों , मस्जिदों , खानकाह ,, क़ब्रिस्तानों की देखरेख के लिए , वक़्फ़ बोर्ड के पुनर्गठन की प्रक्रिया को शीघ्र पूरा कर दे , एक नया वक़्फ़ बोर्ड का चेयरमेन ,, जिसे चाहे मंत्री दर्जा दिया जाए , या ना दिया जाए , मिल जाए ,, जी हाँ दोस्तों , राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड , भाजपा कार्यकाल से ही विवादों में रहा है , भाजपा कार्यकाल में , सरकारी टीचर से तुरंत इस्तीफा देकर, विधि नियमों के खिलाफ , अबूबकर नक़वी को पहले तो समाजसेवा आरक्षित कोटे से , सदस्य बनाया , फिर उन्हें चेयरमेन बना दिया , नतीजा हायकोर्ट ने मामला प्रश्नगत हुआ , और हाईकोर्ट ने माना के , अबूबकर नक़वी , सरकारी कर्मचारी होते हुए , समाजसेवा क्षेत्र का अनुभव कैसे रख सकते है , दूसरे आलिम , शिया , कोटे से भी नामज़द किये गये सदस्यों की नियुक्ति हाईकोर्ट ने रद्द कर दी , फिर अश्क अली टाक की राज्य सभा सदस्य का कार्यकाल खत्म होने पर ,उन्हें हटा दिया गया , फिर रिट हुई और , फिर राज्य सभा सदस्य के आरक्षित कोटे से , अश्क अली टाक निर्वाचित हुए , फिर युसूफ खान सरवाड़ शरीफ वालों को हटाया गया , फिर रिट हुई , और उनकी सदस्य्ता खत्म करने के आदेश अवैध घोषित हुए , उनकी सदस्य्ता बहाल हुई , वक़्फ़ ट्रिब्यूनल में एक जज दो सदस्यों की नियुक्ति के मामले में भी रिट हुई फिर सुनवाई के लिए नियुक्तियां हुई , कुल मिलाकर वक़्फ़ बोर्ड राजस्थान , एक क़ानूनी दांव पेंच और सियासत की मनमानी का अखाड़ा बना रहा , फिर बकाया कार्यकाल के लिए सदस्यों की नियुक्ति हुई , सदस्यों में खानू खान बुद्धवाली सहित बाक़ी सदस्य चुने गए , खानू खान साहब को चेयरमेन नियुक्त किया गया ,,, वाद विवाद का दौर फिर भी नहीं थमा ,, हालात यह रहे के कांग्रेस के कार्यकाल में , ,हर जिला वक़्फ़ कमेटियों मे भाजपा समर्थकों को हठा कर , ,संबंधित विचारधारा के लोगों की नियुक्ति की कोई पहल ही नहीं हुई ,, हर ज़िले में ,, भाजपा समर्थकों की ताजपोशी से , भाजपा समर्थकों का जनसेवा कार्य हों , वक़्फ़ के ज़रिये होने वाले कामकाज हों उन्ही का बोलबाला रहा ,, ज़िले के कोंग्रेसी बस हाथ बांधे खड़े रहे , ख्वाब देखते रहे ,, अब जब वक़्फ़ बोर्ड का कार्यकाल खत्म हुआ तो फिर , ज़ाहिर है , निर्वाचन प्रक्रिया होना थी , यूँ तो निर्वाचन प्रक्रिया , वक़्फ़ बोर्ड का कार्यकाल खत्म होने के एक माह पहले शुरू की जाकर , कार्यकाल खत्म होने के पहले ही , चुनाव प्रक्रिया पूरी कर ,, कार्यकाल के पहले ही , नए चेयरमेन , को निर्वाचित कर कार्यभार सौंपना था ,, लेकिन ऐसा नहीं हुआ , कार्यकाल खत्म हुआ , और फिर बाद में निर्वाचन प्रक्रिया शुरू हुई , वक़्फ़ के सभी कामकाज हेल्ड अप हो गए ,,, मुतव्वली , कोटे से दो , विधायक कोटे से एक , राज्यसभा , लोकसभा कोटे से एक , , बार कौंसिल कोटे से एक , यानि कुल , पांच सदस्यों का निर्वाचन हो गया ,, अब सरकारी नामजदगी में विधि नियमों के तहत , समाजसेवा कोटे से ऐक , शिया कोटे से एक , सुन्नी आलिम कोटे से एक , राजस्थान वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के कोटे से एक एक सदस्य की नियुक्ति होना थी ,जिसमे दो महिलाओं की आवश्यक रूप से नामजदगी ज़रूरी है ,ऐसे में राजनितिक इच्छा शक्ति कहो , या फिर अफसरशाही कहो , यह नियुक्तियां समय नहीं हो पायी और , आधा निर्वाचन होने के बाद भी , राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड की स्थिति हेल्ड अप रही , इसी बीच , पूर्व वक़्फ़ चेयरमेन के खिलाफ ,, एक रिट फिर हाईकोर्ट में पेश हुइ , सवाल उठाये गए , के खानु खान के कार्यकाल में जो , अनियमितताएं हुईं है ,उनकी शिकायत मुख्यमंत्री को की गई है ,और अल्पसंख्यक विभाग इस मामले में आरोपों की जांच , वक़्फ़ बोर्ड के मुख्यकारी अधिकारी से करवा रहा है , तर्क था , के वक़्फ़ बोर्ड चेयरमेन के अधीन मुख्यकारी अधिकारी होता है ,ऐसे में अगर खानू खान साहब को , वक़्फ़ बोर्ड का चेयरमेन बनाया , तो फिर जांच अधीनस्थ द्वारा निश्चित तोर पर प्रभावित होगी , इसलिए जाँच होने तक उन्हें चेयरमेन नहीं बनाया जाए ,, वक़्फ़ बोर्ड की प्रक्रिया , जिसमे पहले सदस्य बनना ज़रूरी है , उसके बाद ही ,, चेयरमेन के चुनाव होते है ,उसे समझे बगैर ही , खानू खान को चेयरमेन बनाने पर स्थगन आदेश देते हुए , नोटिस जारी किये गये ,, खानू खान की तरफ से , अदालत में , उपस्थिति के बाद पैरवी में कहा गया , अभी तो सदस्य ही नियुक्त नहीं हुए ,, तो चेयरमेन को लेकर , प्रस्तुत की गयी यह रिट प्रीमेच्योर है ,, ऐसे में हायकोर्ट , दलील को सही माना और , रिट को ख़ारिज करने का जब मन बनाया , तो तत्काल प्रभाव से , रिट में याचिका करता की तरफ से उनके वकील ने कथन किया , के ,, अभी तो प्रक्रिया में खानु खान नहीं है लेकिन अगर फिर प्रक्रिया में आते है , तो हमें इन मुद्दों पर , रिट दुबारा पेश करने की अनुमति के साथ वापस लेने के आदेश दिए जाएँ , हाईकोर्ट ने , ऐसे में कोज़ ऑफ़ एक्शन बनने पर , फिर से रिट पेश करने की अनुमति के साथ , रिट को वापस लेने की स्वीकृति दी , अब इसमें कोई हारा नहीं , कोई जीता नहीं , लेकिन विवाद अपनी जगह है ,, ऐसे में राजस्थान सरकार को , जल्द ,, अपने विधि विशेषज्ञों से राय लेकर , वक़्फ़ बोर्ड के रिक्त पढ़े , चार पदों पर , जल्दी ही पात्र लोगों का निर्वाचन कर , चेयरमेन की प्रक्रिया को अंतिम रूप देना है , राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड के लिए राजस्थान के मुसलमानों को एक नया चेयरमेन देना है , वोह कोई भी हो सकता है , अभी तय नहीं है , लेकिन सरकार ने इस मामले में प्रक्रिया तेज़ कर दी है , राय मशवरे चल रहे है , वक़्फ़ सम्पत्तियों की हित संवर्धन में कोन उपयुक्त है , विधि अनुसार वर्जित नहीं है , इस पर मंथन चल रहा है , लेकिन फिर भी , अगर वक़्फ़ क़ानून में दिए गये दिशा निर्देशों में , विधि नियमों के तहत पात्र व्यक्ति को नियुक्त नहीं किया गया ,तो फिर , वही क़ानूनी झमेला , हाईकोर्ट की रिट , वाद विवाद के मामले होने की संभावना है , इसलिए राजस्थान सरकार , सभी तरह के राय मशवरे के बाद , निर्विवाद तरीके से बिना किसी वाद विवाद , पचड़े के ऐसे नामों पर सहमति बनाने के प्रयासों में है , जिसमें , विधिक अड़चनें नहीं हों और सरकार को नीचा नहीं देखना पढ़े , लेकिन यह तय है के , कुछ कोंग्रेसी मुस्लिम नेताओं की शादी के कार्यक्रमों में ,उठे सवालों के बाद , जल्दी ही , इस निर्वाचन प्रक्रिया का पटाक्षेप किया जाकर , एक निर्विवाद लोगों की , नामजदगी के साथ , नए चेयरमेन की नियुक्ति निश्चित है , वोह बात अलग है , के वसुंधरा सरकार में , वक़्फ़ बोर्ड चेयरमेन , उर्दू एकेडमी , मदरसा बोर्ड , वगेरा को जो , मंत्री दर्जा था वोह मिलता है या नहीं ,, लेकिन चेयरमेन वक़्फ़ बोर्ड तो जल्दी ही ,, मिल सकता है , क्योंकि इस मामले में भी अगर कोई जनहित याचिका में गया , तो सरकार ऐसे मामले में ,, किसी को ऊँगली उठाने का मौक़ा नहीं देना चाहती ,,
यूँ तो सरकार के पास सदस्यों की नियुक्ति मामले में लम्बी क़तार है , कुछ विधिक रूप से योग्य है, कुछ विधिक रूप से अयोग्य है, फिर भी खानू खान बुधवाली, सय्यद शाहिद हसन, अब्दुल क़य्यूम अख़्तर, असरार अहमद , डॉक्टर निज़ाम , मोहम्मद अहमद भय्यू, डॉक्टर इकराम खान , मौलाना फ़ज़्ल ऐ हक़, सऊद सईदी, अतीक खान , नासिर अली नक़वी , आबिद कागज़ी सहित कई नामों की चर्चा है, अख़्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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