उसकी "typing..." पर, खुशी से काँपती मेरी उँगलियाँ.. इश्क़ है..
उसकी "New profile pic" को.. मिनटों तक.. एकटक झाँकती पलकों की पंखुड़ियाँ.. इश्क़ है..
गुफ्तगू करने की.. अनगिनत ख्वाहिशों के बीच..
"online" होकर भी चीखती खामोशियाँ.. इश्क़ है..
जरा सी आहट पे.. फोन पकड़ कर बैठ जाना..
वो "notification" की टनटनाती घंटियाँ.. इश्क़ है..
कैसे हो? पूछने पर.. "i am fine" बताना
लिख कर मिटाना.. मिटा कर छिपाना,
वो "draft" में बेबस पड़ी अनकही अर्जियाँ .. इश्क़ है..
अनंत तक चलने वाली "conver" में..
"Hmm" और "K" की तल्खियाँ.. इश्क़ है..
मसरुफ़ियत.. कितनी भी भारी पड़े कैफ़ियत पूछने पर..
बस इक बार.. "Last seen" देखने वाली बेचैनियाँ.. इश्क़ है..
हर सुबह की "gm" और देर रात की "gn " इश्क़ है
बस बेइंतहा इश्क़ है
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