आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

14 अक्तूबर 2021

यह राजस्थान है , यहां कुछ लोग , कुछ अधिकारी , कुछ पदाधिकारी , कुछ मौलवी ,पंडित , कुछ दरबारी है , जो अशोक गहलोत की लोकप्रियता से नाराज़ है , मायूस है , वोह अंदरूनी तोर पर ,भीतर घाती , विश्वासघाती बनकर ,गुमराह सलाहकार बनकर , अधिकारों का दुरुपयोग कर सरकार की छवि , वोटर्स में , खासकर , सो गिरने वाले वोटों में से सो ही पूरे , के पूरे , कांग्रेस को वोट देने वाले समाज को , कांग्रेस के ही खिलाफ भड़काकर , कोंग्रेस के ही खिलाफ खड़ा कर ,भविष्य के चुनावों में , नुकसान पहुंचाने की साज़िशों में लगे है

 

यह राजस्थान है , यहां कुछ लोग , कुछ अधिकारी , कुछ पदाधिकारी , कुछ मौलवी ,पंडित , कुछ दरबारी है , जो अशोक गहलोत की लोकप्रियता से नाराज़ है , मायूस है , वोह अंदरूनी तोर पर ,भीतर घाती , विश्वासघाती बनकर ,गुमराह सलाहकार बनकर , अधिकारों का दुरुपयोग कर सरकार की छवि , वोटर्स में , खासकर , सो गिरने वाले वोटों में से सो ही पूरे , के पूरे , कांग्रेस को वोट देने वाले समाज को , कांग्रेस के ही खिलाफ भड़काकर , कोंग्रेस के ही खिलाफ खड़ा कर ,भविष्य के चुनावों में , नुकसान पहुंचाने की साज़िशों में लगे है, , राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड में , अब तक , वक़्फ़ बोर्ड चेयरमेन का निर्वाचन , विधिक प्रक्रिया होने , संवैधानिक , क़ानूनी प्रावधान होने के बावजूद भी , नहीं करवाए जाने सहित कई मामलों में ,अफसरों की यह साज़िशें साफ हो रही है , वैसे अल्लाह की राह में समर्पित इस सम्पत्ति के रखवाले , अल्लाह ही है , लेकिन , फिर भी चार माह से ,यह विभाग व्यवस्थाओं के नाम पर ,, चेयरमेन के नाम पर ,लावारिस है , ताज्जुब है , इस कॉम के , ठेकेदार , मौलवी , मौलाना ,क़ाज़ी , मुफ़्ती , जो पदों के लालच में , अपनी जुबान हलक़ में लेकर , ज़मीर ताक में रखकर बैठे है , ,उनके अलावा भी , जो लोग निष्पक्ष है , जो लोग फ़तवेबाज़ भी है , ,वोह भी इस गंभीर मामले में , चुप्पी साधे बैठे है , ऐसे अधिकारियो की शिकायत , सरकार के ज़िम्मेदारों से नहीं कर रहे है , , इतना होता तो भी बर्दाश्त था , लेकिन अब तो यह अधिकारी , यह माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अधिकारी , राजस्थान की शिक्षा के कोर्स पास बुकों में इस्लाम को आतंकवादी धर्म और मुसलमानों को आतंकवादी बताने से भी नहीं चूके हैं , मुफ़्ती, मोलवी , मौलानाओं , क़ौम के रहबरों , विधायकों , मंत्रियों , सियासी पार्टियों में क़ौम की आवाज़ उठाकर हाईकमान तक पहुंचाने के नियुक्त ज़िम्मेदार पदाधिकारियों , कब तक आखिर कब तक कोंग्रेस से खिलाफ नोकरशाहों की इस साजिश पर खामोश रहोगे,
राजस्थान में कुछ अधिकारी , कुछ कथित नो दरबारी , कुछ कथित , मौलवी , पंडित सियासी लोग ,, भाजपा के मुखबीर हो सकते है , भाजपा का अंदरूनी काम करने के लिए , कांग्रेस सरकार का गलत चेहरा पेश करने के लिए , कई गलत फैसले , लेट लतीफी वाले काम कर सकते है ,खासकर उन वोटर्स के लिए , जो सो में से सो वोट कांग्रेस की झोली में जाने वाले , उस समूह को , बिखेरने , नाराज़ करने के लिए , सत्ता में रहकर आस्तीन के सांप बनकर कुछ लोग जी हुज़ूरी के साथ यह सब करने में जुटे है , उसमे खासकर , मुस्लिम समाज के वोटर्स में , वायदा खिलाफी , गुस्सा , भरने की कोशिशों में ,कई फैसलों , कई चुनावी वायदों को लेकर , अधिकारी , टालमटोल , लेट लतीफी कर रहे है , हालात यह हो गए के , अल्लाह की राह में समर्पित वक़्फ़ सम्पत्तियों की देखरेख के लिए , आज राजस्थान में ,वक़्फ़ क़ानून के प्रावधान , सुप्रीमकोर्ट के निर्देशों के बावजूद भी , कोई भी चेयरमेन नहीं है , अल्लाह के लिए समर्पति , वक़्फ़ संम्पत्ति अब पूरी तरह से अल्लाह के हवाले कर दी गयी है , राजस्थान एक मात्र ऐसा राज्य है , जहाँ आधे अधूरे मुतव्वली चुनाव के बाद , निर्वाचन प्रमाणपत्र मिलने पर भी , उनके नाम का राजकीय नोटिफिकेशन नहीं हुआ है , ना ही राज्य सरकार द्वारा नामित , समाजसेवक , शिया , प्रशासनिक अधिकारी , आलिम कोटे से योग्य व्यक्ति को नामज़द कर , सरकार के अधिकारीयों ने कोई निर्वाचन अधिसूचना निकाली है , हालात यह है के , राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड , तीन महीनों से ,बिना धनी ढोरी के चल रहा है , , कोई चेयरमेन नहीं , कमेटियां नहीं , किराया संबंधित मामले हो ,अतिक्रमंण के मामले हो , लेंड फॉर लेंड , स्टेट ग्रांट , स्टेट से बकाया वसूली , या फिर किसी भी तरह के ,वक़्फ़ सम्पत्तियों के सोंदर्यकरण , व्यवसायीकरण , विज्ञापन होल्डिंग वसूली , सहित किसी भी तरह के कोई भी कार्य हो वोह सब , ठंडे बस्ते में है , राजस्थान में सभी ज़िलों में भाजपा विचारधारा के , भाजपा कार्यकाल में , बनाये गये , जिला कमेटियों के सदर , कमेटी के पदाघिकारी मज़े कर रहे है , जबकि वक़्फ़ बोर्ड के ज़रिये , अगर कोई कल्याणकारी योजनाए , छात्रवृत्तियां , यतीम , बेवाओं की मदद , निर्माण स्वीकृतियां , प्रबंधन , सहित ज़रूरी कामकाज भी है तो वोह ठप्प पढ़े है , शौकत अंसारी वाले मामले में , राजस्थान हाईकोर्ट का स्पष्ट निर्णय है के वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमेन , का चार्ज वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमेन को ही देकर , वक़्फ़ के कामकाज को निरंतर रखना होगा , इसका मतलब , वक़्फ़ बोर्ड के कार्यकाल के एक माह पूर्व ही , नए निर्वाचन की तैयारियां शुरू करना , निर्वाचन प्रक्रिया पूरी कर ,पुराने वक़्फ़ बोर्ड के कार्यकाल के पहले ही , सम्पूर्ण निर्वाचन प्रक्रिया पूरी कर , नए चेयरमेन को , निर्धारित कार्यकाल की समाप्ति के तुरंत बाद , कार्यभार ग्रहण करवाना चाहिए , लेकिन अधिकारी तो अधिकारी ठहरे , वक़्फ़ संबंधित काम काज देखने वाले , अल्पसंख्यक विभाग के अधिकारी ठहरे , वोह जान बुझ कर ऐसे कामों को टालते है , विवाद खड़े करने के हालात बनाते है , ताकि सरकार बदनाम हो , इस वक़्फ़ की बदइंतिज़ामी के नाम पर लोगों की नाराजगियाँ बढे ,विवाद हों , अफवाहे हों , अफ़सोस इस बात का है , ,के मदरसा बोर्ड ,उर्दू जुबांन , उर्दू ऐकडमी , हज कमेटी , अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम , वक़्फ़ विकास परिषद , अल्पसंख्यक आयोग , सहित सभी दूसरे इदारों में नियुक्तियों की लेटलतीफी , अधिकारीयों द्वारा की जाना तो समझ में आती है, इस पर समाज के लोगों की चुप्पी ,, टालमटोल का रवय्या भी समझ में आता है , लेकिन अफ़सोस तब होता है , जब बात बात पर फतवे जारी करने वाले , मौलवी , मुफ़्ती , क़ाज़ी , मौलाना साहिब , जो इज़्ज़त माब है वोह भी खुदा की राह में समर्पित सम्पत्ति के इंतिज़ाम में ऐसी लापरवाही , ऐसी अव्यवस्थाओं , ऐसे हालातों को देखकर भी , ऐसे अधिकारीयों के खिलाफ कोई खुला बयान ,, खुली फ़तवेबाज़ी नहीं कर रहे , चलो ,कुछ मौलवी , ,कुछ मौलाना , ,कुछ मुफ़्ती , कुछ क़ाज़ी , सियासी है , ऐसे लोग खुद के लिए फायदा लेना चाहते है , ,खुद कोई नियुक्ति चाहते है ,इसलिए ऐसे लोग ,अपनी खुद की नियुक्ति के इन्तिज़ार में चुप्पी साधे बैठे है , लेकिन कुछ लोग तो आज़ाद है , वोह तो खुद को गैर सियासी कहते है , ,वोह तो इस्लाम भी जानते है , वोह तो क़ुरआन का हुक्म भी जानते है , वोह तो जानते है , के खुदा की राह में समर्पित सम्पत्ति , के निज़ाम में अगर लापरवाही कोई भी करे , कोई भी अड़ंगे बाज़ी लगाए , तो उसे बख्शना नहीं चाहिए , यहां राजस्थान के कुछ अधिकारी , कुछ नो रत्न सलाहकारों की वजह से , ,यह अपराध लगातार हो रहा है , फिर भी , यह बात बात पर फतवे जारी करने वाले , स्वतंत्र लोग , खामोश बैठे है , यही बात समझ से बाहर है , राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड की हर ज़िले , हर कस्बे में , करोड़ों करोड़ रूपये की सम्पत्ति है , वर्ष 1961 के बाद वक़्फ़ सम्पत्ति बढ़ी तो है , पुरानी सम्पत्ति जो सर्वेक्षण की लापरवाही से छूट गयी थी , वर्तमान नई सम्पत्तियाँ सभी का सर्वेवक्षण होकर , सरकार द्वारा अधिसूचित करवाना है , इस मामले में ,दो बार ,वक़्फ़ कमिश्नर नियुक्त कर , वक़्फ़ सम्पत्तियों के करोड़ों रूपये लगाकर सर्वेक्षण करवाए है , विडिओ ग्राफ़ी हुई , पंचायत , नगरपालिकाओं की तस्दीक़ के साथ , सीमांकन , पैमाइश हुई ,लेकिन उस पर अभी तक , हस्ताक्षर नहीं होने से वोह अटकी पढ़ी है , और हर जगह वक़्फ़ सम्पत्तियों को लेकर , परेशानियां उठाना पढ़ रही है , वक़्फ़ ट्रिब्यूनल सिर्फ अकेला जयपुर में है ,जहाँ लोगों को दूर दराज़ से आने जाने में परेशानी होती है ,ऐसे में संभागीय स्तर पर वक़्फ़ मामलों की सुनवाई के लिए ट्रिब्यूनल होना ज़रूरी है , जबकि सम्पदा अधिकारी , का कार्यभार भी जिलेवार वितरित होना चाहिए ,, ताकि , हज़ारों , सैकड़ों किलोमीटर से दूर दराज़ के ज़िलों से आकर मुक़दमा पेश करने की परेशानियों से बचा जा सके ,, इसी तरह , ,वक़्फ़ सम्पत्तियों पर सरकारी सिस्टम का क़ब्ज़ा हुआ है , इसका सर्वेक्षण भी हुआ ,लेंड फॉर लेंड की जिलेवार सूचियां भी बनी थीं , लेकिन वोह अभी तक क्रियान्वित नहीं हुई है , सड़कों के लिए ,सोंदर्यकरण के लिए ,गार्डन के लिए ,सरकारी दफ्तरों के लिए जो ज़मीनें वक़्फ़ सम्पत्तियों की थी , जिन पर निर्माण हुआ है ,उसके एवज़ में ,सरकार को ज़मीन देने के मामले होना चाहिए ,जबकि सरकार पर कुछ वक़्फ़ सम्पत्तियों के किराए आज भी बाक़ी चल रहे है , अतिक्रमण हटाने के लिए जैसे नगर विकास न्यास , नगर निगम को अधिकार है ,ऐसे ही वक़्फ़ की सम्पत्तियों पर से भी अतिक्रमण हटाने के लिए , नोडल ऑफिसर जो भी एस डी एम या नगर दंडनायक है उन्हें तत्काल पुलिस इमदाद कर , अनधिकृत क़ब्ज़े फॉरस्फुल तरीके से हटाने के लिए विधिक कार्यवाही करना चाहिए ,, जो नहीं हो रही है , वक़्फ़ सम्पत्तियों की क्षतिपूर्ति राशि , जो डी एल सी दर से ,करोड़ों करोड़ रूपये बकाया है ,जिसका नया सर्वेक्षण ,करवाकर सरकार को वक़्फ़ हित में चुकता करना चाहिए ,,
राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड की पूरी सम्पत्तियाँ अभी भी ,डिज़िटलायज़्ड तो दूर सर्वेक्षित भी नहीं हो सकी है ,,सम्पत्ति का सर्वेक्षण ,,उसकी पैमाइश ,दिशाए ,चारदीवारी को लेकर कई जगह विवाद है ,,,,, कई बढे किरायेदारी विवाद है ,वक़्फ़ सम्पत्तियों पर विज्ञापन एजेसनियाँ ,,विज्ञापन लगाकर मज़े कर रही ,है ,,राजस्थान में नया किराया क़ानून 2006 आया तो है ,लेकिन अभी तक व्यव्हारिक रूप से उसकी क्रियान्विति नहीं हो पायी है ,,वक़्फ़ गज़ट 1964 बाद नयी सर्वेक्षित ,आवंटित वक़्फ़ सम्पत्ति के सर्वे कई बार होने के बावजूद भी वक़्फ़ अधिनियम के तहत आज तक भी विधिक रूप से गज़ट नोटिफिकेशन पर किसी भी राज्य सरकार ने हस्ताक्षर नहीं किये है ,बस सर्वेक्षण ,दफा 26 ,दफा 36 का सम्पत्ति रजिस्टर वोह भी आधा अधूरा है ,ज़िलों के कलेक्टर ,एस डी एम ,तहसीलदार ,वक़्फ़ सम्पत्तियों के अतिक्रमण के मामले में गंभीरता से सुनवाई नहीं करते ,झालावाड़ मेडिकल कॉलेज ,,के समझौते की ज़मीन का विवाद ,,मज़ारों को तहस नहस करने का विवाद अभी भी ज्वलंत मुद्दा है ,,वक़्फ़ विकास प्राधिकरण की सर्किट बेंच संभागीय स्तर पर सुनवाई के लिए ,राजस्थान के दूरदराज़ क्षेत्रों में त्वरित सुनवाई के लिए लगवाई जाना ज़रूरी है ,,वक़्फ़ सम्पत्ति का रजिस्टर जो जिलेवार ,वक़्फ़ सम्पत्तियों का डिजिटल बनाया जाये ,जिसकी एक प्रति हर जिला वक़्फ़ कमेटियों के पास हों ,ताकि ज़िले स्तर पर होने वाली ज़रूरत को वोह ज़िले स्तर पर ही रिकॉर्ड देखकर तैयार कर ले ,वक़्फ़ के पास ज़िले में कई कर्मचारी है ,कई कमेटियां है ,जिनके कार्यविवरण को देखे तो नियमित आँकलन के बाद सो दिन चले ढाई कोस वाला ही है ,,हर ज़िले में ,वक़्फ़ सम्पत्ति के रजिस्टर में ,कितनी मस्जिदें ,कितनी दुकाने ,पैमाइश ,दिशाए ,वक़्फ़ सम्पत्ति के प्रबंधन समिति ,ईमाम के नाम ,, पते मोबायल नंबर का रिकॉर्ड हो ,कितने मज़ारात है ,कितनी दरगाह , खानकाह ,हॉस्टल ,,मदरसे ,,शॉपिंग कॉम्प्लेक्स दुकाने ,,वगेरा जो भी सम्पत्ति है ,उसकी पूरी तरह की जानकारी के रजिस्टर ,कम्प्युटराइज़्ड डिजिटल ऑन लाइन वक़्फ़ रिकॉर्ड होना ज़रूरी है ,,राजस्थान की पंचायतों ,नगर निगमों ,पालिकाओं सहित दूसरे निकायों ,सरकारी विभागों ने वक़्फ़ की गज़ट और अधिसूचित ज़मीन में से कितनी ज़मीन अपने क़ब्ज़े में लेकर अवैध निर्माण किये है ,उनके सर्वेक्षण कराकर ,लेंड फॉर लेंड की भी वक़्फ़ द्वारा डिमांड की पहल करना ज़रूरी है ,, ,वक़्फ़ सम्पत्तियों का सोंदर्यकरण ,ऐतिहासिक स्वतंत्रता सेनानियों ,नवाबों ,बादशाहों के स्मारकों का जीर्णोद्धार ऐतिहासिक महत्ता के प्रदर्शन के साथ ज़रूरी है ,,वर्तमान में भाजपा के वक़्त की बनाई गयी वक़्फ़ कमेटिया है जिन्हे तुरतं हटाना ज़रूरी है ,,तुरंत नयी कमेटियों में अनुभवी लोगों को शामिल कर ज़िम्मेदारी देने की ज़रूरत है ,लेकीन हमेशा एक चापलूस ,चमचों ,और खासकर ज़िले स्तर की कमेटियों सहित जयपुर वक़्फ़ बोर्ड कार्यालय के कुछ चापलूस कर्मचारी चेरयमैन की हाँ में हाँ मिलाकर ,उसकी सभी शक्तियों को हेल्डअप कर देते है , अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...