पुलिस निरीक्षक भाई मुबीन खान को उनकी योम ऐ पैदाइश पर दिली मुबारकबाद,
बधाई
,
नवाबों की नगरी ,तहज़ीब की नगरी टोंक ,,की तहज़ीब से जुड़े ,,, पूर्व मक़बरा
थानाधिकारी मुबीन खान ,, के दिलों में ,गरीबों ,शोषित , उत्पीड़ितों के लिए
मदद का जज़्बा ,,उन्हें इंसाफ दिलाने का जज़्बा ,, दूसरी तरफ कोरोना एडवाइज़री
पालना की कर्फ्यूग्रस्त क्षेत्रों में पुलिस की सख्ती ,,कहने को तो
विरोधाभासी है ,,लेकिन , सबसे वरिष्ठतम अनुभवी पुलिस निरीक्षक मुबीन खान ,
वरिष्ठ पुलिस अधिकारीयों ,, उप अधीक्षक , अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक , पुलिस
अधीक्षक , डी आई जी के दिशा निर्देशों पर सामंजस्य बिठाकर इस क्षेत्र के
लोगो के लिए मदद के जज़्बे के साथ बखूबी निभाया है ,,, लोकडाउन की शुरुआत
में जब ,अचानक शहर थम गया ,मक़बरा की गलियां बंद कर दी गयी ,ज़ीरो मोबिलिटी
के माहौल में ज़रूरतमंदों में हाहाकार था ,तब खुद मोबीन खान ने अपने पास से
खाने के पैकेट बनवाकर लोगों तक पहुंचाए , एक तरफ क़ानून की ज़िम्मेदारी
,दूसरी तरफ ज़रूरतमंदों की तत्काल मदद का समन्वय असम्भव था लेकिन इनके
नेतृत्व की मक़बरा पुलिसिंग में यह सम्भव हो गया ,,क़ुदरत की सितम ज़रीफ़ी थी ,
जो इस मक़बरा थाने के कानिस्टेबल पोजेटिव होने से ,मुबीन खान सहित पूरा
थाना 14 दिन के लिए क्वारेन्टाइन हुआ , सख्तियां बढ़ी ,, फिर क्वारेन्टाइन
कार्यकाल के बाद मुबीन खान अपने दल बल के साथ , वरिष्ठ अधिकारियों के
निर्देशों पर फिर से मक़बरा की ड्यूटी पर थे ,बस फ़र्क़ यह था ,के थाना
क्वारेंटाइन होकर आया था , पुलिसकर्मी पोजेटिव आ चुका था ,ऐसे में
सावधानियां और बढ़ाना ज़रूरी थी ,, मक़बरा क्षेत्र सघन जनसख्या आबादी वाला
क्षेत्र ,ज़रूरत के सामानों की आपूर्ति को लेकर असंतोष ,,ज़रूरतमंद गरीबो की
तादाद ज़्यादा , ऐसे में कोरोना एड्वाज़री पालना की सख्ती के साथ ,कर्फ्यू
,ज़ीरो मोबिलिटी व्यवस्था क़ायम रखते हुए , ज़रूरतमंदों की हर ज़रूरत तात्काळ
कैसे पूरी हो ,,चुनौतीपूर्ण काम था ,, लेकिन मुबीन खान वरिष्ठ अधिकारीयों
से निर्देश प्राप्त कर व्यवस्थाएं जुटा रहे थे , पुलिस अब सावधान थी ,,
लेकिन ज़रूरतमंदों को मदद पहुंचाने के प्रति गंभीर भी थी ,,लगातार पुलिसिंग
के नेतृत्व में व्यवस्थित ज़रूरत के सामानों का वितरण,, खाने के पैकेटों
का वितरण ,, सोशल डिस्टेंसिंग , एड्वाज़री की पालना के साथ लगातार जारी रखा
गया ,, घंटाघर ,मक़बरा ,पूर्ण अल्पसंख्यकों का क्षेत्र ,,हर गली ,हर
मुहल्ले में सघन आबादी , रोज़मर्रा के मज़दूरों ,फेरीवाले ,,फुटकर थड़ी
होल्डर्स की कोरोना ,लोकडाउन कर्फ्यू ,, ज़ीरो मोबिलिटी में आर्थिक दृष्टि
से टूटी कमजोर ,, लगातार कर्फ्यू से परेशान लोग ,,ज़रूरतमंदों की वाजिब
शिकायतों की लम्बी फहरिस्त ,, पुलिस की ,क़ानून की ,कोरोना एडवाइज़री की
पालना की मजबूरी ,ऐसे में , समस्याएं सुन्ना ,,उनका समाधान ,मेंढ़क तोलने से
भी खतरनाक काम , लेकिन आम लोगों में मुबीन खान ,हमदर्द , मददगार का चेहरा
बन चुके थे इसीलिए लोगों का विश्वास उनकी पुलिसिंग पर क़ायम बहुत बहुत
शिकायतों में से ,कुछ खास ,अत्यंत ज़रूरी शिकायतों का तत्काल निस्तारण ,यूँ
तो ऊंट के मुंह में जीरे की तरह लोगों ने माना , लेकिन समाजसेवा कार्यों
में जुटे , प्रतिनिधियों ,ज़िम्मदारों का विश्वास मुबीन खान के साथ है
,इसलिए थोड़ा दर्द ,थोड़ा मरहम , फिर दर्द भरी कराहट फिर थोड़ा समस्याओं का
निवारण ,,त्योहारों ,,रमज़ानों में शब ऐ क़द्र , आखरी जुमा ,अब ईद पर भी यह
चुनौतीपूर्ण है , लेकिन थोड़ा अनुभव ,थोड़ा पुलिस का डंडा ,थोड़ा मानवीय चेहरा
,,थोड़ा लोगों के दुखदर्द में शामिल होकर उनकी समस्याओं का समाधान , थोड़ा
वरिष्ठ अधिकारीयों का मार्गदर्शन , उनका विश्वास ,अलग अलग विचारधाराओं के
समाजसेवक लोगों से समन्वय सब कुछ मिलाकर बुरे दिन , अच्छे सलीक़े से निकल गए
,,इंशा अल्लाह अब अच्छे दिनों की शुरुआत होने वाली है ,इस क्षेत्र में
अधिकतम ,जांचे क्वारेंटाइन व्यवस्था भी चुनौतीपूर्ण लेकिन सफलत मुबीन खान
के व्यवस्थित संकल्प के साथ हुई ,, मुबीन खान स्थानीय लोगों में पढ़ा रहे
थे , यक़ीनन बुरा वक़्त थे ,बुरे वक़्त में , पुलिसिंग के रुआब दार चेहरे के
साथ नवाबों की नगरी टोंक की तहज़ीब ,दर्द मंदों का हमदर्दाना पुलिसिया
अंदाज़ इस वक़्त , लोगों के दुःख दर्द में उन्हें बहुत ज़्यादा न सही लेकिन
बहुत कुछ सुकून पहुंचाने वाला है ,,अल्लाह से दुआ है यह मक़बरा क्षेत्र
जल्दी ही संक्रमण मुक्त हो ,ज़ीरो मोबिलिटी फिर से कोरोना एडवायज़री शर्तों
के साथ दूसरे इलाक़ों की तरह ,मोबिलाइज हो ,यहाँ फिर बाज़ारों की रौनक हो ,,
गपशप हो , यहाँ के लोग रोज़गार में लगे ,, यहां के मज़दूर ,,कारोबारी फिर
से अलग अलग इलाक़ों में जाकर रोज़गार हांसिल कर सकें , अपनी आर्थिक स्थित ठीक
कर सकें ,,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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