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14 अक्तूबर 2021

राजस्थान बाल कल्याण आयोग की चेयरमेन , बहन संगीता बेनीवाल को उनकी सालगिराह पर पुर खुलूस दिली मुबारकबाद ,

 

राजस्थान बाल कल्याण आयोग की चेयरमेन , बहन संगीता बेनीवाल को उनकी सालगिराह पर पुर खुलूस दिली मुबारकबाद ,
बधाई
, ,राजस्थान बालकल्याण आयोग की चेयरमेन संगीता बेनीवाल , चेयरमेन बनने के बाद से , पीड़ित , प्रताड़ित, उपेक्षित बच्चों को इंसाफ दिलाने के लिए, न्यायिक व्यवस्था में जुटी है , वो राजस्थान के सभी, ज़िला बालकल्याण समितियों को रिचार्ज कर, बाल कल्याण कार्यक्रमों के लिये उन्हें मोनिटर कर रही हैं , कोटा कोचिंग हब ,,हो या फिर राजस्थान के कोई भी शहर हों , लगभग हर शहर में कमोबेश, श्रम क़ानूनों के उलंग्घन के साथ साथ ,भिखारी बच्चों का एक व्यापारिक केंद्र होने के बावजूद भी यहां सुधार की कोई खास कारगर सिफारिशें अमल में नहीं आयी थीं ,, इस मामले में , ,, बहन संगीता बेनीवाल सरकारी सिस्टम ,समाजकल्याण विभाग ,कलेक्टर ,पुलिस अधीक्षक देहात ,शहर ,,बालकल्याण समिति ,खासकर समाजसेवी संस्थाओं से , फॉर्मल चाहे जो भी फीडबैक लेती रही हों लेकिन हर मामले में उन्होंने क्रॉस वेरिफाई करने के बाद ही क्विक एक्शन लिया है ,,,संगीता बेनीवाल पुरानी समाजसेविका है ,वोह समस्याओं की नस नस से वाक़िफ़ है ,मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की नगरी जोधपुर की है ,बच्चों के बारे में उन्हें पृथक से विशेषज्ञ अनुभव है ,, कोटा में कोचिंग हब ,प्राइवेट ,सरकारी स्कूलों में ,शिक्षा फोबिया ,कॉम्पिटिशन ,,स्ट्रेस से दुखी बच्चे या तो भाग रहे थे ,आत्महत्याए कर रहे थे ,,इन बच्चों को अब तो कोचिंग और प्राइवेट स्कूल कार्यक्रमों में भीड़ के रूप में ले जाने लगे थे ,पोलिटिकल सभाओं में ,नेताओं के बीच ,,योग के बीच इस्तेमाल करने लगे थे ,, ऐसे में कोचिंग गुरु जहाँ नाबालिग बच्चों की शैक्षणिक व्यवस्था है वहां का आकस्मिक दोरा ,,बच्चों की ओरिजनल स्थिति ,बच्चों के ठहराव के हॉस्टल ,पेइंग गेस्ट हाउस का निरीक्षण भी ईन्होंने तत्काल किया , व्यवस्थाओं में सुधार के निर्देश दिए, , बाल अपराधों ,बाल योन शोषण की घटनाओं में वृद्धि हो रही थी , इनके कारण ,निवारण ,,बाल सम्प्रेषण ग्रह से बच्चों का बार बार भाग जाना , दुखद घटनाये थीं , जो प्रबंधन और सुचना व्यवस्था को कलंकित करने वाली घटनाये रही हैं , बहन संगीता बेनीवाल नें व्यवस्थाएं बनायीं ऐसे मामलों के कारणों को खोजा, ओर स्थाई समाधान का प्रयास किया, ,,, अपने रिश्तेदार की दुकान पर खाने के वक़्त या किसी आवश्यक कार्य के समय आते जाते वक़्त अगर कोई बच्चा दूकान की रखवाली के लिए बैठ जाये तो उसे बाल मज़दूर के नाम पर डिटेन करना ,बाल मज़दूर रोकने का प्रबंधन हरगिज़ नहीं इन कारण ऐसे मामलों को भी पृथक नज़रिये से देखा जाने लगा,,,बालकों के साथ एक तो जबरिया मज़दूरी के मामले थे ,उनके खिलाफ आवाज़ उठाना ज़रूरी था ,,जांच ज़रूरी थी ,,दूसरी तरफ ऐसे बच्चे जो खुद अपने भविष्य ,अपने मजबूर माँ बाप के लिए भीख मांगने की जगह स्वरोजगार या व्यवस्थाओं में लगे ,रहे ,,उन्हें बालमज़दूर कहकर ,श्रम प्रशिक्षण कार्यक्रम के भी इन्होंने प्रयास किये ,गाँव में सभी बच्चे खेतों में काम करते है ,बकरियां , गांय चराते है ,वोह बालमज़दूर नहीं होते ,ऐसे बच्चों का सर्वे करवा कर उनकी कल्याणकारी योजनाएं लागू हो रही हैं ,,उन्हें स्कूली ,शिक्षा ,उनके कल्याण के लिए व्यवस्थाएं की जा रही है, ,सरकार से सिफारिशें की जाकर प्रबन्धन करवाया जा रहा है, ,, कोटा और राजस्थान के प्रमुख ज़िलों में
अब बाल मज़दूरी के अलावा बच्चों का शोषण ,, जबरिया भिक्षावृत्ति के रूप में जो कुछ भी होता रहा था, उस पर कढ़ी निगरानी क्विक एक्शन जारी है, , प्रदेश की समाजसेवी संस्थाए ,मानव तस्करी यूनिट ,ज्वेनाइल यूनिट ,,बालकल्याण समिति सहित समाजसेवी संस्थाए इस मामले में गंभीर नहीं थीं उन्हें भी प्रशिक्षित कर कर्तव्यों के प्रति उन्हें सजग स्टार्क किया, ,चौराहों पर ,लालबत्ती क्रॉसिंग पर , अदालत परिसर ,स्टेशन ,बस स्टेण्ड सहित कई भीड़ भरे इलाक़ों में शौकिया भीख मांगने वाले बच्चों की फौज घूमती रही है, उनके माता पिता ,मजबूरी में नहीं बल्कि एक रोज़गार के रूप में भिक्षा उद्योग को बढ़ावा देकर ,उनसे रोज़मर्रा कमाई कर रहे है ,और उनके स्वभाव में काम के प्रति चोरी ,हरामखोरी को बढ़ावा दे रहे है ,ऐसे में स्ट्रेस में रह रहे कोचिंग बच्चे ,हॉस्टल बच्चे , निराशा विचारों में जी रही बच्चे ,,बालअपराध की तरफ आपराधिक गतिविधियों में लिप्त बच्चे भिक्षा रोजगार से जुड़े बच्चे ,बाल कल्याण आयोग की पहली प्राथमिकता रही है , हर जगह ऐसे मामलों में रेड अलर्ट के प्रयास हो रहे हैं ,जबकि छोटे बच्चे मोबाइल की लत से पीड़ित हैं, आंखों, मानसिकता पर गलत असर पड़ता रहा है , ऐसे में इन बच्चों से मोबाइल की लत छुड़वाने का अभियान भी इन्होंने शामिल किया ,, क्योंकि माँ बाप शेखी बघारने ,रोते हुए बच्चे को बहलाने के लिए ,,मोबाइल देते है ,वोह गेम खेलते है ,फिर धीरे धीरे अश्लील साइट पर भी जाते है ,हिंसक गेम उनकी मनोस्थिति को ,स्वास्थ्य को ,आँखों को बिगाड़ रही ,है ,कई आपराधिक घटनाये ,,मोबाइल गेम और मोबाइल कार्यक्रमों की लत की वजह से भी हुए है ,,इसके खिलाफ भी बहन संगीता , ने लगातार जागरूकता कार्यक्रम चलाए है, बहन संगीता इनके कार्यभार ग्रहण के बाद से लगातार दिन रात प्रदेश के हर , ज़िले हर क़स्बे में होने वाली हर घटना पर नज़र रखे हुए हैं,,,ओर ऐसे मामलों में निष्पक्षता, सतर्कता से ,,समस्याओं के समाधान में जुटी हैं, एक बार फिर बहन संगीता को उनकी सालगिराह पर
बधाई
, दिली मुबारकबाद ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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