राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड की हर ज़िले , हर कस्बे में , करोड़ों करोड़ रूपये की सम्पत्ति है , वर्ष 1961 के बाद वक़्फ़ सम्पत्ति बढ़ी तो है , पुरानी सम्पत्ति जो सर्वेक्षण की लापरवाही से छूट गयी थी , वर्तमान नई सम्पत्तियाँ सभी का सर्वेवक्षण होकर , सरकार द्वारा अधिसूचित करवाना है , इस मामले में ,दो बार ,वक़्फ़ कमिश्नर नियुक्त कर , वक़्फ़ सम्पत्तियों के करोड़ों रूपये लगाकर सर्वेक्षण करवाए है , विडिओ ग्राफ़ी हुई , पंचायत , नगरपालिकाओं की तस्दीक़ के साथ , सीमांकन , पैमाइश हुई ,लेकिन उस पर अभी तक , हस्ताक्षर नहीं होने से वोह अटकी पढ़ी है , और हर जगह वक़्फ़ सम्पत्तियों को लेकर , परेशानियां उठाना पढ़ रही है , वक़्फ़ ट्रिब्यूनल सिर्फ अकेला जयपुर में है ,जहाँ लोगों को दूर दराज़ से आने जाने में परेशानी होती है ,ऐसे में संभागीय स्तर पर वक़्फ़ मामलों की सुनवाई के लिए ट्रिब्यूनल होना ज़रूरी है , जबकि सम्पदा अधिकारी , का कार्यभार भी जिलेवार वितरित होना चाहिए ,, ताकि , हज़ारों , सैकड़ों किलोमीटर से दूर दराज़ के ज़िलों से आकर मुक़दमा पेश करने की परेशानियों से बचा जा सके ,, इसी तरह , ,वक़्फ़ सम्पत्तियों पर सरकारी सिस्टम का क़ब्ज़ा हुआ है , इसका सर्वेक्षण भी हुआ ,लेंड फॉर लेंड की जिलेवार सूचियां भी बनी थीं , लेकिन वोह अभी तक क्रियान्वित नहीं हुई है , सड़कों के लिए ,सोंदर्यकरण के लिए ,गार्डन के लिए ,सरकारी दफ्तरों के लिए जो ज़मीनें वक़्फ़ सम्पत्तियों की थी , जिन पर निर्माण हुआ है ,उसके एवज़ में ,सरकार को ज़मीन देने के मामले होना चाहिए ,जबकि सरकार पर कुछ वक़्फ़ सम्पत्तियों के किराए आज भी बाक़ी चल रहे है , अतिक्रमण हटाने के लिए जैसे नगर विकास न्यास , नगर निगम को अधिकार है ,ऐसे ही वक़्फ़ की सम्पत्तियों पर से भी अतिक्रमण हटाने के लिए , नोडल ऑफिसर जो भी एस डी एम या नगर दंडनायक है उन्हें तत्काल पुलिस इमदाद कर , अनधिकृत क़ब्ज़े फॉरस्फुल तरीके से हटाने के लिए विधिक कार्यवाही करना चाहिए ,, जो नहीं हो रही है , वक़्फ़ सम्पत्तियों की क्षतिपूर्ति राशि , जो डी एल सी दर से ,करोड़ों करोड़ रूपये बकाया है ,जिसका नया सर्वेक्षण ,करवाकर सरकार को वक़्फ़ हित में चुकता करना चाहिए ,,
राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड की पूरी सम्पत्तियाँ अभी भी ,डिज़िटलायज़्ड तो दूर सर्वेक्षित भी नहीं हो सकी है ,,सम्पत्ति का सर्वेक्षण ,,उसकी पैमाइश ,दिशाए ,चारदीवारी को लेकर कई जगह विवाद है ,,,,, कई बढे किरायेदारी विवाद है ,वक़्फ़ सम्पत्तियों पर विज्ञापन एजेसनियाँ ,,विज्ञापन लगाकर मज़े कर रही ,है ,,राजस्थान में नया किराया क़ानून 2006 आया तो है ,लेकिन अभी तक व्यव्हारिक रूप से उसकी क्रियान्विति नहीं हो पायी है ,,वक़्फ़ गज़ट 1964 बाद नयी सर्वेक्षित ,आवंटित वक़्फ़ सम्पत्ति के सर्वे कई बार होने के बावजूद भी वक़्फ़ अधिनियम के तहत आज तक भी विधिक रूप से गज़ट नोटिफिकेशन पर किसी भी राज्य सरकार ने हस्ताक्षर नहीं किये है ,बस सर्वेक्षण ,दफा 26 ,दफा 36 का सम्पत्ति रजिस्टर वोह भी आधा अधूरा है ,ज़िलों के कलेक्टर ,एस डी एम ,तहसीलदार ,वक़्फ़ सम्पत्तियों के अतिक्रमण के मामले में गंभीरता से सुनवाई नहीं करते ,झालावाड़ मेडिकल कॉलेज ,,के समझौते की ज़मीन का विवाद ,,मज़ारों को तहस नहस करने का विवाद अभी भी ज्वलंत मुद्दा है ,,वक़्फ़ विकास प्राधिकरण की सर्किट बेंच संभागीय स्तर पर सुनवाई के लिए ,राजस्थान के दूरदराज़ क्षेत्रों में त्वरित सुनवाई के लिए लगवाई जाना ज़रूरी है ,,वक़्फ़ सम्पत्ति का रजिस्टर जो जिलेवार ,वक़्फ़ सम्पत्तियों का डिजिटल बनाया जाये ,जिसकी एक प्रति हर जिला वक़्फ़ कमेटियों के पास हों ,ताकि ज़िले स्तर पर होने वाली ज़रूरत को वोह ज़िले स्तर पर ही रिकॉर्ड देखकर तैयार कर ले ,वक़्फ़ के पास ज़िले में कई कर्मचारी है ,कई कमेटियां है ,जिनके कार्यविवरण को देखे तो नियमित आँकलन के बाद सो दिन चले ढाई कोस वाला ही है ,,हर ज़िले में ,वक़्फ़ सम्पत्ति के रजिस्टर में ,कितनी मस्जिदें ,कितनी दुकाने ,पैमाइश ,दिशाए ,वक़्फ़ सम्पत्ति के प्रबंधन समिति ,ईमाम के नाम ,, पते मोबायल नंबर का रिकॉर्ड हो ,कितने मज़ारात है ,कितनी दरगाह , खानकाह ,हॉस्टल ,,मदरसे ,,शॉपिंग कॉम्प्लेक्स दुकाने ,,वगेरा जो भी सम्पत्ति है ,उसकी पूरी तरह की जानकारी के रजिस्टर ,कम्प्युटराइज़्ड डिजिटल ऑन लाइन वक़्फ़ रिकॉर्ड होना ज़रूरी है ,,राजस्थान की पंचायतों ,नगर निगमों ,पालिकाओं सहित दूसरे निकायों ,सरकारी विभागों ने वक़्फ़ की गज़ट और अधिसूचित ज़मीन में से कितनी ज़मीन अपने क़ब्ज़े में लेकर अवैध निर्माण किये है ,उनके सर्वेक्षण कराकर ,लेंड फॉर लेंड की भी वक़्फ़ द्वारा डिमांड की पहल करना ज़रूरी है ,, ,वक़्फ़ सम्पत्तियों का सोंदर्यकरण ,ऐतिहासिक स्वतंत्रता सेनानियों ,नवाबों ,बादशाहों के स्मारकों का जीर्णोद्धार ऐतिहासिक महत्ता के प्रदर्शन के साथ ज़रूरी है ,,वर्तमान में भाजपा के वक़्त की बनाई गयी वक़्फ़ कमेटिया है जिन्हे तुरतं हटाना ज़रूरी है ,,तुरंत नयी कमेटियों में अनुभवी लोगों को शामिल कर ज़िम्मेदारी देने की ज़रूरत है ,लेकीन हमेशा एक चापलूस ,चमचों ,और खासकर ज़िले स्तर की कमेटियों सहित जयपुर वक़्फ़ बोर्ड कार्यालय के कुछ चापलूस कर्मचारी चेरयमैन की हाँ में हाँ मिलाकर ,उसकी सभी शक्तियों को हेल्डअप कर देते है , अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
14 अक्टूबर 2021
राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड की हर ज़िले , हर कस्बे में , करोड़ों करोड़ रूपये की सम्पत्ति है , वर्ष 1961 के बाद वक़्फ़ सम्पत्ति बढ़ी तो है
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