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06 सितंबर 2021

4th sep. 20 को *"मी लार्ड"* शीर्षक से प्रकाशित समाचार

 

आदरणीय प्रधान संपादक
दैनिक भास्कर,
जयपुर l
सादर अभिवादन
महोदय दिनांक 4th sep. 20 को *"मी लार्ड"* शीर्षक से प्रकाशित समाचार आपके समाचार पत्र में छपा , साधुवाद I श्रीमान न्यायिक जगत को तो आत्मावलोकन की आवश्यकता हैं जो कि हो भी रहा हैं न्यायिक अधिकारीगण के कार्य व्यवहार के लिये संस्थागत विकल्प हैं, प्रकिया हैं जिसपर जनता का विश्वास है l (केवल कुछ अपवादों को छोड़कर)
परंतु, अतिरेक भाव से प्रकाशित समाचार आपके एवं अन्य समाचार पत्रों एवं मीडिया पर बड़े और मौलिक प्रश्न भी खड़े भी खड़े करता है आशा है आप इन पर भी विचार अवश्य करेंगे, इनके प्रकाशन का साहस ना हो तो आत्मावलोकन अवश्य करें I
श्रीमान लोकतान्त्रिक समाज में मीडिया आम आदमी को केंद्र में रखकर लोकतन्त्र को मज़बूत करने वाला होना चाहिये ना कि अपने हित साधने के लिए भ्रामक ख़बरें एवं विचारों का प्रवाह कर राष्ट्रीय हितों एवं आम आदमी के हितों के विपरित ख़बरें प्रकाशित कर राष्ट्रीय एवं सामाजिक हितों के विपरित समाचार प्रकाशित कर अपने हित साधने का कार्य करे l
झूठी एवं भ्रामक ख़बरें छापकर/दिखाकर Fake narrative तैयार कर समाज में भ्रम की स्थिति पैदा कर सनसनी या सामाजिक द्वंद पैदा कर TRP बढ़ाये ताकि अनियमित विज्ञापनों से काली कमाई हो सके l
महोदय उपरोक्त कुकृत्यओ से स्वतंत्र पत्रकारिता की आड़ में ब्लैक मैलिग कर धन कमाना पत्रकारिता नहीं अपराध है, इसका भान आप जैसे बुद्धिजीवियों को अवश्य होगा I
आम जनता आश्चर्य में पड़ जाती हैं जब तेलंगाना की पेयजल आपूर्ति की योजना का बखान करता विज्ञापन राजस्थान में छपता है, झूठे प्रसारण संख्या की घोषणा, सरकारी दर पर प्राप्त भूमि से किराया प्राप्त करना, झूठी छवि घडना, छवी बिगाड़ना, करोड़ों का टैक्स चोरी करना,महिमा मंडन करना इत्यादि- इत्यादि l
आदरणीय मीडिया के उपरोक्त कुकृत्य, स्वर्गीय गणेश शंकर विद्यार्थी की आत्मा को अवश्य दुखाते होगे l
महोदय न्यायपालिका के महत्वपूर्ण अवयव न्यायाधीश एवं अधिवक्ताओं के प्रति मीडिया की निरर्थक कटुतापूर्ण टिप्पणियां लोकतांत्रिक व्यवस्था में न्यायपालिका के प्रति आम जनता का विश्वास डिगाती है, जिस पर आज के इस दौरा मैं जब अनैतिक विधायिका,भ्रष्ट कार्यपालिका एवं बिकाऊ पत्रकारिता से आम जनता त्रस्त हैं तो ऐसे में आपका न्यायपालिका कि छवी को क्षति पहुचाने वाला दुष्प्रचार ना केवल निंदनीय है,अपितु समाज मैं भ्रम फैलाने वाला है l
महोदय कार्यशैली में सुधार की गुंजाइश समाज के सभी अंगों मैं है जिसका भान न्यायापालिका को भी हैं, निश्चिंत रहें न्यायपालिका वंचित को न्याय के पवित्र उद्देश्य के लिये कटिबद्ध है I
आशा है आप पत्रकारिता पर आत्मावलोकन अवश्य करेंगे l
धन्यवाद,
*डॉ महेश शर्मा*
(BCR member)
जयपुर

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