अल्फ़ाज़ों से , ज़ुल्म , ज़्यादती , भ्रष्टाचार , ना इंसाफ़ी की जंग कोई नई बात नहीं है , लेकिन उदयपुर के सी बी सी वायर , हिंदी न्यूज़ के संचालक , भाई अख्तर खान ,, ने इस जंग को निष्पक्ष , निर्भीक , आधुनिक बनाकर , पत्रकारिता की विधा को और आगे बढ़ाया है , ,स्वतंत्र पत्रकार , भाई अख्तर खान की आज सालगिरह ,यही उन्हें उनकी सालगिरह पर , पुरखुलूस दुआओं के साथ ,ढेरों बधाइयां ,,, मुबारकबाद ,, कहते ,है अल्फ़ाज़ों की जंग लढना तलवार की धार पर चलना है , डूंगरपुर से पढ़ लिखकर , क़लम पकड़ कर , महाराणा प्रताप की नगरी में ,स्वाभिमान ,, राजस्थान के अभिमान , बेईमानों , साम्राज्य वादियों के खिलाफ , संघर्ष को लेकर , एक बहादुर योद्धा की तरह जंग का सिपाही बनकर , तलवार की जगह , अपने हाथों में , एक क़लम , सिर्फ एक क़लम पकड़ कर भाई , अख्तर खान , इस इंसाफ की जंग के सिपाही बने , और आखरी लढते लढते कई बेईमान , भ्रष्ट लोगों ,, के खिलाफ जंग में एक जांबाज़ योद्धा बनकर , उन्हें हराकर , यह समाज की गंदगी जनहित में साफ़ करने में लगे रहे , कामयाब भी हुए ,, उदयपुर महाराणा प्रताप की इस नगरी में , इनके साथ इनके वफादार सिपहसालार हकीम खान सूरी नहीं थे , लेकिन फिर भी हमारी भाभी , इनकी शरीक ऐ हयात ने , अल्फ़ाज़ों की हर जंग में , निष्पक्ष पत्रकारिता के हर युद्ध में , भाई अख्तर खान का , एक योद्धा बनकर , एक सेनापति हकीम खान सूरी बनकर , क़दम ब क़दम , शाना बा शाना ,, कंधे से कंधा मिलाकर , साथ दिया है , भाई अख्तर खान , उदयपुर में ,पहले अंग्रेजी अख़बार से जुड़े , फिर हिंदी पत्रकारिता से जुड़े , लेकिन सभी जानते है , आज के आधुनिक युग में , चाहे अख़बार हो , चाहे सरकार हो , चाहे इलेक्ट्रॉनिक मिडिया के न्यूज़ चैनल हों , सभी व्यापारी हैं ,, कोई मेले लगाता है , कोई छ छ हज़ार रूपये वसूल कर , घर पर एयरकंडीशन में आराम करने वाले लोगों को कोरोना योद्धा बना देता है ,, कोई व्यापारियों , प्रतिष्ठानों के प्रॉपर्टी डीलर्स के साथ मिलकर , मनचाहे लोगों को बुलाकर , एक लम्बी फहरिस्त के साथ , पुरस्कृत करता है , कूल मिलाकर पत्रकारिता के नाम पर ,चाटुकारिता , पक्षपात ,, व्यापार ,, सरकारी योजनाओं की क्रियन्विति , सरकारी घोषणाओं की विफलता उजागर करने की जगह , एक टास्क के तहत , मालिकों के इशारे पर , और मालिकों को सियासी लोगों ,उद्योपतियों के इशारे पर पत्रकारिता को मटियामेट किया गया है , बस भाई अख्तर खान , स्वामभिमानी थे , उन्हें उदयपुर के महाराणा प्रताप के स्वाभिमान की जंग का अहसास था तो उन्होंने , इधर ,, उधर , इशारों पर , एक वेतन भोगी कर्मचारी बनकर , क़लमकार बनने की जगह ,, इस व्यवसायिक पत्रकारिता के अकबर रुपी व्यापारीकरण साम्राज्यवाद के खिलाफ , महाराणाप्रताप से प्रेरणा लेकर जंग छेड़ दी , यकींनन जंग बढ़ी है , लेकिन महाराणा प्रताप की प्रेरणा , अख्तर खान के हौसलों के आगे यह जंग बहुत बोनी सी छोटी सी है , भाई अख्तर खान , यक़ीनन , महाराणा प्रताप की तरह , सुखी रोटी खा रहे होंगे , कई लोगों की ज़द में होंगे , प्रताड़नाएं झेल रहे होंगे ,, लेकिन उनके साथ , उनकी कमांडर , हकीम खान सूरी की तरह , उनकी शरीक ऐ हयात शबाना अख्तर है , उनके माशा अल्लाह दो फ़रमाबरदार , ज़िम्मेदार पुत्र है ,, वोह इस जंग में कभी डरे नहीं , हारे नहीं , घबराये नहीं , विचलित नहीं हुए , वोह पत्रकारिता को , गुलामी की मानसिकता से आज़ाद कराने के लिए , लगातार अपने यू ट्यूब चैनल ,, सी बी सी वायर , हिंदी न्यूज़ के साथ निर्भीकता के साथ ,डटे हुए , रोज़ , हर रोज़ , सुबह सवेरे , शाम को , अलग अलग मुद्दों के साथ , इनकी खबूसूरत आवाज़ में , बहतरीन निर्भीक , निष्पक्ष प्रस्तुतिकरण के साथ , इनके इस न्यूज़ चैनल के हज़ारों हज़ार नहीं , लाखों , लाख ,, प्रंशंसक सब्क्राइबर्स , इन्तिज़ार करते है , रोज़ जनहीत में उठाये गए इनके मुद्दों को ,सेल्यूट करते है , सलाम करते है , और बेसाख्ता टिप्पणियां करते है , वहां पत्रकारिता हो तो ऐसी , सिर्फ ऐसी , वोह कहते है , उदयपुर की महाराणा प्रताप की नगरी में एक और ,क़लम के योद्धा महाराणा प्रताप बनकर , अख्तर खान , पत्रकारिता की जंग के जांबाज़ योद्धा है , अल्लाह उन्हें उम्रदराज़ी के साथ , सह्तयाबी के साथ , उनकी महारानी योद्धा के साथ , दो जाबाज़ फ़रमाबरदार बेटों के साथ , पुरे अहलो खानदान के साथ , हमदर्द दोस्तों के साथ , उनके प्रंशसकों , मददगारों के साथ ,उन्हें ज़िंदा सलामत रखे , पत्रकारिता की इस नई विधा , नए युद्ध के योद्धा के रूप में , उन्हें ज़िंदा सलामती के साथ , हर क़दम पर , कामयाब करे ,, और आम पीड़ित जनता को , उनकी हर पोस्ट , हर न्यूज़ चैनल , के साथ इंसाफ मिलता रहे , बस उनके इस जन्म दिन पर अल्लाह से यही दुआ है ,, यही इल्तिजा है , एक बार फिर , भाई अख्तर खान को ,, उनकी सालगिरह पर , दिली मुबारकबाद ,
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
10 अगस्त 2021
अल्फ़ाज़ों से , ज़ुल्म , ज़्यादती , भ्रष्टाचार , ना इंसाफ़ी की जंग कोई नई बात नहीं है , लेकिन उदयपुर के सी बी सी वायर , हिंदी न्यूज़ के संचालक , भाई अख्तर खान ,, ने इस जंग को निष्पक्ष , निर्भीक , आधुनिक बनाकर , पत्रकारिता की विधा को और आगे बढ़ाया है
बधाई
,, ,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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