कैसा आश्चर्य है कि केंद्र में सरकार भाजपा की है और (काम) नीतियां कांग्रेस की ही बन रही हैं बल्कि बढ़ चढ़ कर बन रही हैं | सरकार बनते ही भरपूर प्रयास कि किसानो की भूमि का अधिग्रहण हो | सफलता नहीं मिली | कृषि में एफडीआई कांग्रेस के 49% से भी बढाकर हो गयी | रक्षा क्षेत्र में विदेशी कंपनियों को खुली छूट ... (कांग्रेस के समय देशद्रोह था) | खुदरा क्षेत्र, रिटेल में पूरी तरह से विदेशी कंपनियों को बाजार सौंप दिया गया | अश्लील वेबसाइट से पहले समाज बिगड़ रहा था | अब लीगल हैं | गौ ह्त्या और तस्करी रोकने में लगे लोग 2014 तक गौ सेवक, गौभक्त और राष्ट्रवाद के प्रहरी थे | अब यही क्रिमिनल हैं | मतलब कसाई और गौ सेवक दोनों एक ही प्रकार के अलग अलग लोग हैं | यही कांग्रेस की नीति थी | जीएसटी पहले किसी भी रूप में स्वीकार नहीं था क्योंकि पहले कांग्रेस "एक देश एक कर" की अलग परिभाषा बता रही होगी | जीएम् फ़ूड तो 2014 तक भारतीय युवा की नसों नाड़ियों को ऐसा बर्बाद करने वाला था कि सभी अपाहिज और रोगी होने वाले थे | लेकिन शायद 2017 में सरकार की सैद्धांतिक सहमति से वही जीएम् फ़ूड देश के युवाओं की नस नाड़ियों को अमृत रस देगा और स्वस्थ, मजबूत और बलवान युवाओं का देश बन जाएगा | रोजगार के विषय में तो कुछ भी कहना शर्म की स्थिति पैदा करता है | अब आदरणीय प्रधानमंत्री मोदी जी ने अमेरिका के वर्जीनिया में कहा है कि मै भारत को अमेरिका बना दूंगा | कांग्रेस भारत को ब्राजील और यूरोप बनाना चाहती थी मोदी जी अमेरिका, चीन से भी कुछ ज्यादा बनाएंगे | अब अगर देश में किसानो की नीति भी जल्द ही अमेरिका या इजराइल द्वारा बनाने की घोषणा हो तो अचरज नहीं करना चाहिए क्योंकि शायद उन्हें हमारी ज्यादा चिंता होगी | एक भाजपाई मित्र कहते हैं कि आप तो सिर्फ गलतियां खोजते हो जबकि देखते नहीं किसानो के लिए फसल बीमा, पेंशन योजना वृद्धों के लिए ... आदि आदि | सही कहा मित्र ने ... क्योंकि यही तो कांग्रेस ने भी किया था | लाभ कितना मिला और किसको मिला, कैसे मिला प्रश्न इस बात का है | किसान आत्महत्या कर रहे हैं तो आपकी बीमा योजना को अचार स्वरुप किस रोटी में लपेट कर खाएं ?
तो कांग्रेस बुरी क्यों थी ? सिर्फ इसलिए, कि उसके कालखंड में भ्रष्टाचार हुआ ? काला धन विदेशों में जमा हुआ ? तो नयी सरकार ने कालाधन जो विदेशों में आज भी जमा है उस पर क्या किया ? कहावत है "बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी" | किसी को गालियां देकर राजनीति कितने दिन चलेगी ? तो ध्यान देना होगा कि जिन्होंने मिलजुल कर एक से कर्म किये हैं उन्हें वैसा ही फल मिलेगा | देश ने नए नए ग्लैमर और स्टाइल के साथ नए नए भाषण सुनने के लिए सरकार नहीं चुनी है | कांग्रेस से अलग हटकर भारत को भारत बनाने के लिए 2014 में सरकार चुनी थी जो अब तक अपने हर स्वरुप में फेल ही है | सरकार की पीठ थपथपाने वाले थपथपाएं लेकिन जो भारत की तासीर और तेवर की समझ रखते हैं वो जान रहे हैं कि जिस दिन लोगों ने अपनी आँख फेर ली तो लच्छेदार भाषणों से नाक नहीं बचने वाली | कांग्रेस की बनायी पुरानी राह पर केवल झाड़ू लगाकर आप स्वयं को निर्माता नहीं कह सकते | लोग फिलहाल उम्मीद से हैं, शायद एक दो बरस और .....
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