आपका-अख्तर खान

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02 जुलाई 2021

कुछ गहरा सा लिखना था,

 

कुछ गहरा सा लिखना था,
इश्क से ज्यादा क्या लिखूँ ?
कुछ सदियों सा लिखना था,
तुम्हारी यादों से ज्यादा क्या लिखूँ ?
कुछ ठहरा सा लिखना था,
दर्द से ज्यादा क्या लिखूँ ?
कुछ अपना सा लिखना था,
तेरे सपनों से ज्यादा क्या लिखूँ ?
कुछ अहसास सा लिखना था,
तेरी मुस्कान से ज्यादा क्या लिखूँ ?
कुछ समन्दर सा लिखना था,
आँसू से ज्यादा क्या लिखूँ ?
कुछ खुबसूरती सा लिखना था,
आँखो से ज्यादा क्या लिखूँ ?
सुनो-
अब जिन्दगी लिखनी है,
तुमसे ज्यादा क्या लिखूँ ....

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