सूरए अल इनफितार मक्का में नाजि़ल हुआ और इसकी उन्नीस (19) आयतें हैं
ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
जब आसमान तखऱ् जाएगा (1)
और जब तारे झड़ पड़ेंगे (2)
और जब दरिया बह (कर एक दूसरे से मिल) जाएँगे (3)
और जब कब्रें उखाड़ दी जाएँगी (4)
तब हर शख़्स को मालूम हो जाएगा कि उसने आगे क्या भेजा था और पीछे क्या छोड़ा था (5)
ऐ इन्सान तुम अपने परवरदिगार के बारे में किस चीज़ ने धोका दिया (6)
जिसने तुझे पैदा किया तो तुझे दुरूस्त बनाया और मुनासिब आज़ा दिए (7)
और जिस सूरत में उसने चाहा तेरे जोड़ बन्द मिलाए (8)
हाँ बात ये है कि तुम लोग जज़ा (के दिन) को झुठलाते हो (9)
हालाँकि तुम पर निगेहबान मुक़र्रर हैं (10)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
17 जुलाई 2021
और जब तारे झड़ पड़ेंगे
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