आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

23 जून 2021

कि आखि़र तुम्हें दोज़ख़ में कौन सी चीज़ (घसीट) लायी

 कि आखि़र तुम्हें दोज़ख़ में कौन सी चीज़ (घसीट) लायी (41)
वह लोग कहेंगे (42)
कि हम न तो नमाज़ पढ़ा करते थे (43)
और न मोहताजों को खाना खिलाते थे (44)
और एहले बातिल के साथ हम भी बड़े काम में घुस पड़ते थे (45)
और रोज़ जज़ा को झुठलाया करते थे (और यूँ ही रहे) (46)
यहाँ तक कि हमें मौत आ गयी (47)
तो (उस वक़्त) उन्हें सिफ़ारिश करने वालों की सिफ़ारिश कुछ काम न आएगी (48)
और उन्हें क्या हो गया है कि नसीहत से मुँह मोड़े हुए हैं (49)
गोया वह वहशी गधे हैं (50)
कि शेर से (दुम दबा कर) भागते हैं (51)
असल ये है कि उनमें से हर शख़्स इसका मुतमइनी है कि उसे खुली हुयी (आसमानी) किताबें अता की जाएँ (52)
ये तो हरगिज़ न होगा बल्कि ये तो आख़ेरत ही से नहीं डरते (53)
हाँ हाँ बेशक ये (क़ुरआन सरा सर) नसीहत है (54)
तो जो चाहे उसे याद रखे (55)
और ख़ुदा की मशीयत के बग़ैर ये लोग याद रखने वाले नहीं वही (बन्दों के) डराने के क़ाबिल और बक़शिश का मालिक है (56)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...