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19 जून 2021

ये मयंक उम्मीद जगाते हैं

ये मयंक उम्मीद जगाते हैं !
मयंक जैन के लिए रसूख/अकूत कमाई से ज्यादा जरूरी है सुकून । इसीलिए तो थर्ड ग्रेड टीचर से नायब तहसीलदार बने मयंक ने सरकार से गुजारिश कर फिर थर्ड ग्रेड टीचर बनने का रास्ता तलाश लिया ।
नायब तहसीलदार के बाद व्यक्ति RTS-तहसीलदार बनता है फिर RAS-राजस्थान प्रशासनिक सेवा का अधिकारी । करप्ट व्यक्ति की पांचों अंगुली घी में होती है और ईमानदार की निगाहें फाइलों में । लगता है मयंक सिस्टम में कसमसा रहे थे । अब उन्हें पढ़ाने में जो सुकून मिलेगा वह शायद ही कहीं मिले ।
रिश्ते में मेरे एक बहनोई ने भी ऐसा ही किया था । वह आरएएस अलाइड सर्विस में चुने गये । स्कूल लेक्चरर से जिला उद्योग अधिकारी बने फिर वापस स्कूल लेक्चरर की नौकरी में लौट आये । बोले-"बच्चों के साथ पढ़ने-पढ़ाने में जो सुकून था वो गाड़ी-घोड़े-दफ्तर वाली उस नौकरी में नहीं ।"
पुलिस इंटेलिजेंस में इंस्पेक्टर विक्रम सिंह जी भी आरएएस परीक्षा के जरिये देवस्थान में अधिकारी बने । पहली ही पोस्टिंग में पता चला कि दीये बाती में भी करप्शन का खेल बड़ा है,मंदिरों पर कब्जे की माफिया सरीखी कहानी और राजनीतिक संरक्षण अलग । विक्रम जी ने भी एक पायदान पीछे खिसक सुकून तलाशने का फैसला लिया और लग गये अपनी पुरानी ड्यूटी में ।
कुल मिलाकर बात यह है कि "करप्ट" या "करप्ट सिस्टम में एडजस्ट" होना भी हर किसी के बूते की बात नहीं ।

 

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