कोटा,,के वरिष्ठ , पत्रकार, चिंतक, कुशल वक्ता, निर्विवाद ईमानदार खोजपूर्ण, हर दिल अज़ीज़ पत्रकार, भाई धीरेंद्र राहुल को उनकी सालगिराह पर दिली मुबारकबाद,
बधाई
,,,कोटा में निष्पक्ष ,,निर्भीक पत्रकारिता के पितामह कहलाये जाने वाले भाई धीरेन्द्र राहुल ,,सहज ,,सरल होकर अपने अल्फ़ाज़ों को कागज़ के कलेजे पर उकेर कर लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाने का हुनर रखते है ,,भाई धीरेन्द्र राहुल वैसे तो मध्यप्रदेश मन्दसौर की तरफ से कोटा आये और उस वक़्त जब राजस्थान पत्रिका का कोटा में मात्र एक कार्यालय था ,,यहां से, पत्रिका का प्रकाशन नहीं था ,,कोटा के राजस्थान पत्रिका के संवाददाता बने ,,,बस पत्रिका में संवाददाता ,,,फिर चीफ रिपोर्टर ,,ब्यूरो चीफ ,,संपादक पद पर कार्य करते हुए आप रिटायर हुए ,,,,यक़ीन मानिए पत्रकारिता में ऐसी सादगी ,,,ऐसी ईमानदारी इन दिनों मिलना मुशिकल ही नहीं ना मुमकिन है ,,कोटा में राजस्थान पत्रिका का प्रकाशन शुरू हुआ ,,यहाँ उद्योग ,,,कोचिंग ,,सियासी लोग ,,माफिया सभी तरह के लोग जो अख़बारों और अख़बार में काम करने वालों की खरीद फरोख्त की क्षमता रखते है और खरीदते भी है ,,लैकिन में खुद,, एक पत्रकार साथी होने के नाते साक्षी हूँ के, धीरेन्द्र राहुल ईमानदारी और निष्पक्ष लेखनी के नाम पर ,, अंगद के पाँव की तरह डटे रहे ,, अड़े रहे ,,,सादगी इनके जीवन में रही और ज़ाहिर है ,, ईमानदारी ने अभावों में जीने का इन्हे सबक भी सिखाया, लेकिन जो कुछ भी इन्हे बतौर वेतन मिलता रहा ,, उसी में शान से ,,तहज़ीब से और इज़्ज़त से अपनी ज़िंदगी गुज़ारने वाली इस शख्सियत को कोटा के लोग पसंद करते है, इनकी इज़्ज़त करते है , मिसाल पेश करते है, और इसीलिए कोटा में यह हर दिल अज़ीज़ हो गए ,,,पत्रकारिता विधा में पारंगत धीरेन्द्र राहुल ,,संवाददाता भी रहे ,,तो क्राइम रिपोर्टर भी रहे ,,विधि और सियासी रिपोर्टिंग भी इन्होने की तो उद्योगों की चाल पर भी इन्होेंने अपनी रिसर्च रिपोर्टिंग करके नए आयाम स्थापित किये ,,,,पत्रकारिता के सभी गुर ,,सभी गुण आप शामिल है ,,,,,,,,पर्यावरण प्रेमी धीरेंद्र राहुल की पर्यावरण मुद्दो शोध ,,रिपोर्टिंग आज भी लोगों में पर्यावरण जागृति के ऐतिहासिक दस्तावेज है ,,,,धीरेन्द्र राहुल जितना अच्छा लिखते है ,,इतना ही अच्छे से मुद्दों की खोज करते है ,, जांचते है परखते है,, फिर पूरी तरह से मुतमइन होने पर ही,, खबर को अपनी क़लम से कागज़ के कलेजे पर उतार कर मंज़रे आम पर पहुंचाते है ,,,,भाई धीरेन्द्र राहुल जितना अच्छा लिखने की विधा रखते है ,, उससे भी कहीं अधिक अपने व्याख्यानों के ज़रिये लोगों को अपनी बात समझाने का माद्दा रखते है ,, इसीलिए पर्यावरण या पत्रकारिता जैसे मुद्दों पर आप बेहतरीन व्याख्यान देते रहे है , भाई धीरेन्द्र राहुल कोटा प्रेस क्लब के फाउंडर पदाधिकारी भी है ,,राजस्थान के विभिन्न ज़िलों में पत्रकारिता के बाद इस पत्रकारिता की इस महान हस्ती को चाहे विधि नियमों के तहत सेवा निवृत्त पत्रकार कह दिया जाए लेकिन यक़िनन पत्रकारिता भाई धीरेन्द्र राहुल के बगैर अधूरी है ,,,,,,ओर यही वजह है के धीरेंद्र राहुल यूं तो कई अखबारों के लाडले है , स्वतन्त्र पत्रकार है, लेकिन अब सोशल मीडिया पर , खुद के सोशल मीडिया पर आज़ादी लेखनी का लुत्फ ले रहे है , ओर इनके फ़ॉलोअर्स को आज़ाद लेखनी का लुत्फ दे रहे है , क़लम की बंदिशों , संवाददाता की खबरों में मेहनत के साथ , कांटा छाँटी , खबर के महत्व को कम करने के लिये उसका महत्वहीन शीर्षक , महत्वहीन, पृष्ठ प्रकाशन स्थान,,,,बंदिशें , एक स्वतंत्र लेखन और बंदिशों के लेखन का अनुभव , दर्द , भाई धीरेंद्र राहुल ने निर्विवाद सन्तुलित मुक़ाबले के साथ सहा भी है , देखा भी है , लेकिन हर खबर में धीरेंद्र राहुल अपनी खबर का लोहा , सम्पादक ओर प्रबन्धकों से मनवाने में कामयाब रहे है, भाई धीरेंद्र राहुल आज़ाद पंछी भी है , ओर अपनी लेखनी , बातचीत में अनुभवों की सांझेदारी से मुझे ओर मुझ जैसे ना जाने अनपढ़ लिखने के शौकीन प्रशिक्षुओं को बहुत कुछ सिखाते रहे है, मेले दशहरे की अधिकतम हुल्लड़ बाज़ी की रिपोर्टिंग के दौरान , भाई धीरेंद्र राहुल , पुलिस अत्याचार का शिकार भी हुए , लेकिन हर बार इनकी लेखनी , पत्रकारिता की अटूट एकता के आगे,,,,पुलिस , प्रशासन को इनसे हाथ जोड़कर माफी मांग कर शर्मिंदा होना पड़ा है, एक अखबार के वर्कर पत्रकार की हदें , मजबूरियां ओर एक आज़ाद क़लम की ज़मीन आसमान का फर्क , भाई धीरेंद्र राहुल , बहुत झुब समझते है , महसूस करते है , ,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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