आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

11 जून 2021

और उन्होंने (मेरे साथ) बड़ी मक्कारियाँ की

 फिर) नूह ने अर्ज़ की परवरदिगार इन लोगों ने मेरी नाफ़रमानी की उस शख़्स के ताबेदार बन के जिसने उनके माल और औलाद में नुक़सान के सिवा फ़ायदा न पहुँचाया (21)
और उन्होंने (मेरे साथ) बड़ी मक्कारियाँ की (22)
और (उलटे) कहने लगे कि आपने माबूदों को हरगिज़ न छोड़ना और न वद को और सुआ को और न यगूस और यऊक़ व नस्र को छोड़ना (23)
और उन्होंने बहुतेरों को गुमराह कर छोड़ा (24)
और तू (उन) ज़ालिमों की गुमराही को और बढ़ा दे (25)
(आखि़र) वह अपने गुनाहों की बदौलत (पहले तो) डुबाए गए फिर जहन्नुम में झोंके गए तो उन लोगों ने ख़ुदा के सिवा किसी को अपना मददगार न पाया (26)
और नूह ने अर्ज़ की परवरदिगार (इन) काफि़रों में रूए ज़मीन पर किसी को बसा हुआ न रहने दे (27)
क्योंकि अगर तू उनको छोड़ देगा तो ये (फिर) तेरे बन्दों को गुमराह करेंगे और उनकी औलाद भी गुनाहगार और कट्टी काफ़िर ही होगी (28)
परवरदिगार मुझको और मेरे माँ बाप को और जो मोमिन मेरे घर में आए उनको और तमाम ईमानदार मर्दों और मोमिन औरतों को बख़्ष दे और (इन) ज़ालिमों की बस तबाही को और ज़्यादा कर (29

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...