या खुदा , केसा अज़ाब है , कोनसे ऐसे गुनाह है , के में , में नहीं रहा , मेरी दुआओं में तासीर खत्म , लोगों की मदद की कोशिशों के बावजूद भी ,, कामयाबी नहीं ,, मेरी क़लम ,, मेरी जुबांन , की तसीरें या खुदा क्यों खत्म हुईं , मेरी बगावत , खामोश क्यों है ,, ऐ खुदा ,, थक गया में अब , मुझे माफ़ कर दे , में अपने दोस्तों , मिलने वालों , अड़ोस पड़ोस की मदद की कोशिशों के बावजूद भी नाकारा ,हूँ ज़रूरतमंद तड़पते मरीज़ों को ,, कोशिशों के बावजूद भी , ऑक्सीजन बेड ,, आई सी यू ,, वेंटिलेटर , नहीं दिलवा पा रहा हूँ , सभी कोशिशों के बावजूद भी , इस दौर के मुसल्लत हाकमों में , कलेक्टर , मुख्य चिकित्सा अधिकारी , कांग्रेस , भाजपा के नेता ,, जिन ,डॉक्टर्स पर कभी तेरी मेहरबानियों से , उनकी मदद मेरे ज़रिये हुई है , वोह सब ,, शीर्ष नेताओं सहित ना जाने किस मजबूरी में है , के हज़ारों हज़ार बार गिड़गिड़ाने के बावजूद भी , में मेरे अपनों के लिए , में अपने तड़पते मरीज़ों के लिए , जो भी मुझे इस लायक समझकर , मुझ से मदद मांग रहा है , उसके लिए , ना जाने क्यों ,, बेकार सा हो गया हूँ ,, मेरी जुबांन , मेरी क़लम , मेरे अलफ़ाज़ ,, मेरी कोशिशें सब बेअसर हो गयी हैं , मेरी दुआओं का असर खत्म सा हो गया है ,, ज़रूरतमंदों को सभी कोशिशों के बावजूद भी , मुश्किलों ही नहीं बहुत मुश्किलों से , सिर्फ गिनती के कुछ प्रतिशत साथियों को , में बेड , ऑक्सीजन , इंजक्शन , चिकित्सा सुविधा दिला पाया हूँ ,, या खुदा यह क़यामत का मंज़र है , सभी कोशिशों के बावजूद भी , में अपने हमदर्दों को , रोज़ तड़पते ,उनके परिजनों को , रोता बिलखता देख रहा हूँ ,, रोज़ लोग मर रहे है , तड़प रहे है ,, हर तरफ मौतों का , मरीज़ों की तड़पन का , सरकार , अधिकारियों , डॉक्टरों , नेताओं , मंत्रियों की नाकामयाबी , बेबसी , लाचारी का मंज़र है ,, ऐ अल्लाह तू हमे माफ़ फरमा ,, इन बेबस , लाचार हालातों से तू हमे आज़ाद कर , फिर से खुशहाली लोटा , फिर से ज़िंदगियाँ , साँसे , लोटा , ,फिर से , तेरी दवाओं में शिफा पैदा कर , फिर से कसाई बने लुटेरों ,, को तू सजायाब कर उन्हें रास्ते पर ,, ला ,, जो लोग आसमानों पर बैठकर , हवाओं में उड़कर , गद्दीनशीन होते हुए भी , इन मौतों , इन तड़पते लोगों को लेकर , बेपरवाह है , उन्हें फिर से ज़मीन पर लोगों के क़दमों में पामाल कर , उन्हें , उनके रुतबे को , पामाल कर दे ,, ऐ खुदा ,, अब तो हमारे गुनाहों को माफ़ कर दे , अब तो हमें , हमारे अपनों की मदद करने के कामयाब हालात बना दे , बेरोज़गारों को फिर से बरसरे रोज़गार कर दे , मुल्क में फिर से खुशहाली ,,कर दे , यहां फिर से ज़िंदगियों में खुशियां भर दे , दवाओं में शिफा , अस्पतालों में जिदंगियां बचाने का हुनर बख्शदे , , ज़िम्मेदारों को ज़िम्मेदारी का अहसास करा , ज़रूरी सामानों को , ज़रूरी दवाओं को , ज़रूरी ऑक्सीजन ,, अस्पताल के बिस्तर ,, उपकरण वगेरा को तू सभी के लिए ज़रूरत पढ़ते ही फ़राहम कर दे , ऐ खुदा तू इस शब ऐ क़द्र की बरकत से , हमारे गुनाहों को माफ़ कर दे , ऐ खुदा , तू फिर से हमारी दुआओं में , क़ुबूलियत की तासीर पैदा कर दे ,, ऐ खुदा तू फिर से , मेरी क़लम , मेरी जुबान , मेरे जज़्बे , मेरी हिम्मत , मेरी कोशिशों में , वोह कामयाबी की तासीर पैदा कर दे , ऐ अल्लाह फिर से इस मुल्क को इस बवा , और आने वाली हर परेशानी से अपनी हिफाज़त में ले ले ,, ऐ खुदा ,, तू जो लोग इस अज़ाब के माहौल में भी , नफरत परोस रहे है , जो लोग , इस माहौल में भी , अपनी कमाई , अपने ,मतलब अपनी मौक़ापरस्ती देख रहे है , ऐ अल्लाह तू उनको राह ऐ रास्ते पर लाए , उनकी शैतानी हरकतों से उन्हें तू तोबा करवा दे , ऐ अललाह जो बीमार है , जो परेशान है ,उन्हें तू जल्दी से शिफा बख्श , उन्हें जल्दी से तंदरुस्ती के साथ , अपने घरों पर आबाद कर ,,, जो लोग तेरे हुक्म से , हमे छोड़ कर चले गए , उनके गुनाहों को माफ़ कर , उन्हें जन्नतुल फिरदोस में आला मुक़ाम अता फरमा , उनके रिश्तेदार , उनके घरवालों को तू सब्र दे , अपनी बरकतों से उनकी तू नवाज़िश कर , उनकी कमियां पूरी कर ,, हर तरह की ज़रूरतें पूरी कर ,, ऐ अल्लाह तू हमे माफ़ कर दे , इस शब ऐ क़द्र की बरकत , रमज़ानुल मुबारक माह के मौके पर , तू हमे सभी को , जो भी इस मुल्क में , इस दुनियां में तेरी मख्लूक़ है , जिन्हे तूने पैदा किया , उनकी ज़िंदगियाँ फिर से खुशियों के साथ भरकर , संवार दे ,, आमीन , सुम्मा आमीन ,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
09 मई 2021
या खुदा , केसा अज़ाब है , कोनसे ऐसे गुनाह है , के में , में नहीं रहा , मेरी दुआओं में तासीर खत्म , लोगों की मदद की कोशिशों के बावजूद भी ,, कामयाबी नहीं ,, मेरी क़लम ,, मेरी जुबांन , की तसीरें या खुदा क्यों खत्म हुईं
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