आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

11 मई 2021

तुम अपने परवरदिगार के (सबब) बख़शिश की और बेहिश्त की तरफ़ लपक के आगे बढ़ जाओ

 तुम अपने परवरदिगार के (सबब) बख़शिश की और बेहिश्त की तरफ़ लपक के आगे बढ़ जाओ जिसका अज्र आसमान और ज़मीन के अज्र के बराबर है जो उन लोगों के लिए तैयार की गयी है जो ख़ुदा पर और उसके रसूलों पर ईमान लाए हैं ये ख़ुदा का फज़ल है जिसे चाहे अता करे और ख़ुदा का फज़ल (व क़रम) तो बहुत बड़ा है (21)
जितनी मुसीबतें रूए ज़मीन पर और ख़ुद तुम लोगों पर नाजि़ल होती हैं (वह सब) क़ब्ल इसके कि हम उन्हें पैदा करें किताब (लौह महफूज़) में (लिखी हुयी) हैं बेशक ये ख़ुदा पर आसान है (22)
ताकि जब कोई चीज़ तुमसे जाती रहे तो तुम उसका रंज न किया करो और जब कोई चीज़ (नेअमत) ख़ुदा तुमको दे तो उस पर न इतराया करो और ख़ुदा किसी इतराने वाले शेख़ीबाज़ को दोस्त नहीं रखता (23)
जो ख़ुद भी बुख़्ल करते हैं और दूसरे लोगों को भी बुख़्ल करना सिखाते हैं और जो शख़्स (इन बातों से) रूगरदानी करे तो ख़ुदा भी बेपरवा सज़ावारे हम्दोसना है (24)
हमने यक़ीनन अपने पैग़म्बरों को वाज़े व रौशन मोजिज़े देकर भेजा और उनके साथ किताब और (इन्साफ़ की) तराज़ू नाजि़ल किया ताकि लोग इन्साफ़ पर क़ायम रहे और हम ही ने लोहे को नाजि़ल किया जिसके ज़रिए से सख़्त लड़ाई और लोगों के बहुत से नफ़े (की बातें) हैं और ताकि ख़ुदा देख ले कि बेदेखे भाले ख़ुदा और उसके रसूलों की कौन मदद करता है बेशक ख़ुदा बहुत ज़बरदस्त ग़ालिब है (25)
और बेशक हम ही ने नूह और इबराहीम को (पैग़म्बर बनाकर) भेजा और उनही दोनों की औलाद में नबूवत और किताब मुक़र्रर की तो उनमें के बाज़ हिदायत याफ़्ता हैं और उन के बहुतेरे बदकार हैं (26)
फिर उनके पीछे ही उनके क़दम ब क़दम अपने और पैग़म्बर भेजे और उनके पीछे मरियम के बेटे ईसा को भेजा और उनको इन्जील अता की और जिन लोगों ने उनकी पैरवी की उनके दिलों में शफ़क़्क़त और मेहरबानी डाल दी और रहबानियत (लज़्ज़ात से किनाराकशी) उन लोगों ने ख़ुद एक नयी बात निकाली थी हमने उनको उसका हुक़्म नहीं दिया था मगर (उन लोगों ने) ख़ुदा की ख़ुशनूदी हासिल करने की ग़रज़ से (ख़ुद ईजाद किया) तो उसको भी जैसा बनाना चाहिए था न बना सके तो जो लोग उनमें से इमान लाए उनको हमने उनका अज्र दिया उनमें के बहुतेरे तो बदकार ही हैं (27)
ऐ ईमानदारों ख़ुदा से डरो और उसके रसूल (मोहम्मद) पर ईमान लाओ तो ख़ुदा तुमको अपनी रहमत के दो हिस्से अज्र अता फ़रमाएगा और तुमको ऐसा नूर इनायत फ़रमाएगा जिस (की रौशनी) में तुम चलोगे और तुमको बख़्ष भी देगा और ख़ुदा तो बड़ा बख़्षने वाला मेहरबान है (28)
(ये इसलिए कहा जाता है) ताकि एहले किताब ये न समझें कि ये मोमिनीन ख़ुदा के फज़ल (व क़रम) पर कुछ भी क़ुदरत नहीं रखते और ये तो यक़ीनी बात है कि फज़ल ख़ुदा ही के कब्ज़े में है वह जिसको चाहे अता फरमाए और ख़ुदा तो बड़े फज़ल (व क़रम) का मालिक है (29)

सूरए अल हदीद ख़त्म

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...