काश बाबा रामदेव पढ़े लिखे होते , ,चले पढ़े लिखे नहीं होते तो पढ़े लिखों की तरह बात ही कर लेते , चलो , पढ़े लिखे नहीं थे , तो डिग्री ही , ले आते , चलो ,, पढ़े लिखे नहीं थे , तो उनके अध्निस्थ जो ज्ञानी , पढ़े लिखे है , उनका रोबोट की तरह इस्तेमाल करने की जगह ,, उनसे सलाह मशवरा करके , पूर्व में देश की जनता ऐसे पेट्रोल की क़ीमत कम करवाने ,, काला धन लाने , ,सभी के खातों में रूपये जमा करवाने का जो झूंठ बोला है , प्रचारित किया है ,, राष्ट्रहित में , इस झूंठ को स्वीकार कर , उन्हें अज्ञानी , निरक्षर मानकर ,उनके सुझावों को नहीं मानने वाली सरकार के खिलाफ ही वोह आंदोलन कर देते ,, अख्तर
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