याद तो है ना , के हम मुसलमान है , यह भी याद होगा के , हम अल्लाह की हिदायतों पर चलते है , जो क़ुरआन शरीफ के ज़रिये , अल्लाह ने हमे समझाया है , हमें यह भी याद होगा , के अल्लाह के रसूल स अ व हज़रत मोहम्मद साहब की ज़िंदगी की हदीसें , भी हमे अपनी ज़िंदगी में शामिल कर जीने की गाइड लाइन देती है , हम अगर क़ुरान की हिदायतों से पाबंद है , हम अगर हदीस की रौशनी में अपने अख़लाक़ पेश कर रहे है , तो यक़ीनन हम मुलसमान है , वरना नाम तो कोई भी कुछ भी रख सकता है , यह में किसी का दिल दुखाने के लिए नहीं लिख रहा , सिर्फ जो देखा है , उससे तकलीफ हुई , इसलिए मुझे यह लिखना पढ़ रहा है , अभी हाल ही में , सऊदी अरब से , ऑक्सीजन भारत में भेजी गयी , हम उस ऑक्सीजन भेजने को लेकर सोशल मीडिया पर आक्रामक हुए , अहसान जताते नज़र आये ,, यह महीना रमज़ान का , है ज़कात , खैरात का है ,, हमे , बीमार ,, यतीम , बेवा , मुसाफिर , पड़ोसी का हक़ निभाने की ज़िम्मेदारी दी है ,, इसी ज़िम्मेदारी के चलते, सऊदी अरब ने अख़लाक़ी फ़र्ज़ देखते हुए ,भारत में , रोज़ मर रहे लोगों की ज़िंदगियाँ बचाने के लिए , इस्लामिक फ़र्ज़ को निभाते हुए सऊदी अरब ने ऑक्सीजन देने पहल ,,की है ,, ,मज़हब ऐ इस्लाम का फ़र्ज़ निभाया है ,, कोई अहसान नहीं किया , हमे तो सऊदी अरब हर साल भारत में क्या क्या भेजता है , किस तरह की मदद भेजता है , पता भी नहीं , क्योंकि सऊदी अरब इसका ढिंढोरा नहीं पीटता , इस्लाम में मदद , ज़कात जो भी हो , बंद मुट्ठी करके दी जाती है , इस हाथ से दो तो दूसरे हाथ को पता न चल सके , ऐसी हिदायतें है , और फिर मदद को बार बार गिनाना , किसी को अपमानित करना होता है , इसलिए इसका भी इंकार है ,, हर साल सऊदी अरब से अरबों अरब रूपये के सामान आते है ,, सरकारें अलग अलग जगह पर मदद के लिए देती है ,, लेकिन सऊदी अरब ने तो कभी नहीं गिनाया , ऑक्सीजन देना , हमारा या हर इस्लामिक मुल्क का अख़लाक़ी , इस्लामिक फ़र्ज़ है ,, कोई अहसान नहीं ,,, हमने पड़ोस में किसी गैर मुस्लिम की मदद कर दी , तो वोह अहसान नहीं , हमारी ज़िम्मेदारी है ,, वोह बात अलग है के नफरत के इस माहौल में , सकारात्मक वातावरण बनाने के लिए इन खबरों को जगह मिलती है ,, पिछले दिनों देश ने देखा है ,, मीडिया हो ,, आम नफरतबाज़, राष्ट्रविरोधी टीम हो , सभी ने , जमात के मामले को लेकर जो बावेला खड़ा किया ,प्रोपोगंडा किया ,, यहां तक के एक मेडिकल कॉलेज की महिला प्रिंसिपल ने तो , मुसलमानों को इंजक्शन देकर , मार देने तक की बात स्टिंग ऑपरेशन में कह डाली ,, मीडिया , बकवास पर बकवास किये जाता रहा , सब्ज़ी वालों को उनका धर्म पूंछ कर पीटा जाता रहा , लेकिन वक़्त बदला , हालात बदले ,, पुलिस ने मुक़दमा तो दर्ज किया , लेकिन फिर एफ आर लगाई , जिन मुक़दमों में गिरफ्तारियां हुई , उसमे हाईकोर्ट ने इंसाफ किया सभी को बरी नहीं डिस्चार्ज किया , देश के इलेक्ट्रॉनिक मिडिया पर सुप्रीमकोर्ट ने लगाम कसी ,, नफरत बाज़ों के नकेल डाली , यहां तक के कुछ नफरत बाज़ों को तो थूक कर चाटना भी पढ़ा , जो बकवास उन्होंने की थी ,, उसकी अदालत में सज़ा के खौफ से , माफ़ी भी माँगना पढ़ी ,इतना ही नहीं , ऐसे नफरत बाज़ों में से कई ऐसे लोग भी है ,,जिनके प्रवचन के बाद ,जब वोह बीमार हुए , तो इन्ही जमाती , कथित आतंकवादियों के प्लाज़्मा से उनके शरीर में खून में शामिल होने के बाद , वोह ज़िंदा सलामत रह पाए है , जब देश का हर शख्स प्लाज़्मा देने से डर रहा था , तब यह सभी लोग लाइन लगाकर ,लोगों की ज़िंदगियाँ ,बिना किसी मज़हबी भेदभाव के , बचाने के लिए लाइनों में प्लाज़्मा डोनेशन के लिए लगे थे ,, जिन सब्ज़ी वालों को वोह मज़हबी ऐतेबार से पीट रहे थे , उनके कंधो पर उनकी शवयात्राएं थीं , एक दूसरे की मदद करना , इस्लामिक फ़र्ज़ है ,, दूसरे मज़हबों में भी मानवीयता का यही चेहरा है ,, लेकिन धर्म मज़हब , खासकर ,क़ुरान शरीफ जिसने नहीं पढ़ा , ,जिसने नहीं समझा ,, जिसने उसकी हिदायतों को ज़िंदगी में अमल में नहीं लिया , वोह चाहे कितना ही बढ़ा डॉक्टर हो , इंजीनियर हो , ऊँचे ओहदे वाला हो , अमीर हो ,डिग्रीधारी हो ,, हमारी जुबां में जाहिल सिर्फ जाहिल ही कहलायेगा ,, अभी हमे एक दूसरे की मदद की ज़रूरत है , ,सकारात्मक माहौल की ज़रूरत है , मीडिया है , उसे जमात अगर दिखी है , अगर उसे महाकुम्भ नहीं भी दिखा तो हमे यह नहीं ,देखना हमे तो पड़ोस में कोई भूखा न रहे , किसी को तकलीफ हो तो हम उसकी जो मदद कर सकते है , ,,करें अस्पताल लेजाकर , दवाये दिलवाकर , वक़्त पर ,, खाने की मदद कर ,, यह अहसान नहीं ,, यह इस्लामिक फ़र्ज़ है , तो दोस्तों , ऑक्सीजन अरब से आयी है , यह तुम्हे पता चला है , इसमें ही हम उचक उचक कर , जो उसका फ़र्ज़ था , उसे छोटा कर रहे है , हम गिना गिना कर , अल्लाह को नाराज़ कर रहे है ,, अरे सऊदी अरब की भारत को मदद का पिटारा आप सऊदी अरब से मंगवा कर तो देखो , आँखें खुली की खुली रह जाएंगी ,, , वोह मदद देश के लिए है ,, ज़रूरतमंदों के लिए है ,,कैडिला कम्पनी की दवा पर हम खुश है , ,अरे वोह व्यापारी है ,, मुझे एक भी मरीज़ हिन्दू , या मुस्लिम का नाम गिना दो जिसे , कैडिला ने , मुफ्त दवाये देकर , जीवन दान दिया हो , व्यवसाय उसका काम है , अहसान नहीं ,,,, तो दोस्तों , बुज़ुर्गों ,मेरे भाइयों , बहनों , नफरत बाज़ों की बात अलग है ,, ,उनके धर्म में भी यही सब शिक्षाएं है , लेकिन वोह अधर्मी होकर ,, कंस , दुर्योधन , रावण की चालों पर है ,, ऐसे ही हम भी तो यज़ीद ,फ़िरोन , की तरफ है , हमे बदलना होगा , वोह नफरत फैला रहे है , तो फैलाने दो , हमे तो , उन्हें प्यार से जीतना है , वक़्त ज़रूरत उनके काम आना है ,, मददगार बनना है , हमे तो क़ुरआन की हिदायतों , हदीस की रौशनी में , सब्र से काम लेना है , दुश्मन की भी मदद करना है , अपने अख़लाक़ से , ऐसे लोगों को जीतना है , उनका प्यार जीतना है , अगर हम भी ऐसा करने लगे , तो फिर इनमे और हममे क्या फ़र्क़ रह जाएगा ,, हम चाहते तो ,, हमारे अस्पताल , हमारा मीडिया , हमारा खबर नेटवर्क , खड़ा कर सकते थे , लेकिन हमे , बढ़ी बढ़ी फ़िज़ूल खर्ची , नेताओं के पिछलग्गू गिरी से फुरसत ही कहाँ ,, हमारे पास रुपया है , ज़कात का सिसटम है , उससे भी बढ़ा सिस्टम हम पैदा कर सकते है , लेकिन , हम सिक्ख भाइयों की तरह , ना तो जिलेवार चौबीस घंटे का लगंर चला ,सके ,ना ही कोई अस्पताल बना सके , ना ही कुछ एक अपवादों को छोड़कर , शैक्षणिक संस्थाए बना सके , और जो व्यवसायिक लोगों ने बनाई है , वहां डोनेशन , महंगी फ़ीस का खेल रोज़ चल रहा है,,, खेर अल्लाह हमे नेक हिदायतें दे , सब्र दे , और ऐसी बुराइयों से ,, लड़कर ,, हुज़ूर स अ व् की नेकी की धारधार तलवार से , अपने खुश अख़लाक़ी के ज़रिये ,, दुश्मन की नफरत को मोहब्बत से , जीतने की तौफ़ीक़ अता फरमाए , सभी को स्वस्थ रखे , खुश रखे , ज़िंदाबाद रखे ,, अव्वल रखे ,, हौसले के साथ , मददगार बनाये रखे , ग़ालिब रखे ,, सुर्खुरू रखे ,, ओर सारे जहां से अच्छा मेरा यह हिंदुस्तान रखे ,, हमें इसकी बुलबुलें ओर हिंदुस्तान को गुलिस्तां हमारा बनाये रखे ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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