कोटा अभिभाषक परिषद में , अध्यक्ष पद पर , ब्रह्ममनन्द शर्मा के कार्यकाल में , वेलफेयर फंड की अनुकरणीय मिसाल थी ,, किसी वकील साथी के बीमार होने पर , अस्पताल में ही उसके हक़ की राशि उसे , या उसके परिजनों को तुरंत देना , मृत्यु पर , तीसरे के पहले ही , मृतक के परिजन को वेलफेयर राशि देने की परम्परा यक़ीनन सुखद भी थी , अनुकरणीय भी है , ,जिसे आज भी क्रियान्वित करने की पहल होना चाहिए ,, कोटा अभिभाषक परिषद हो , या फिर बार कौंसिल ऑफ़ राजस्थान , यहां अभिभाषक सदस्यों की बिमारी , उनकी अकाल मोत होने पर , उन्हें बीमारी के वक़्त इलाज के लिए , और मृत्यु होने पर , उनके परिजनों को , क्षत्रिपुर्ति राशि , देने के लिए पृथक पृथक वेलफेयर फंड बने हुए है ,, वेलफेयर फंड में ,वकील साथियों के वकालत नामे पर वेलफेयर टिकिट , और मासिक , वार्षिक वेलफेयर हिस्सा शुल्क राशि , से आमदनी होती है , , जिसका इस्तेमाल ,वकील साथियों के संकट काल में बीमारी के वक़्त , और मृत्यु के बाद उनके परिजनों को सहानुभूति मदद राशि के रूप में , पूर्व निर्धारित नियमों के अनुसार दिए जाने का प्रावधान है ,, कोटा अभिभाषक परिषद इस मामले में राजस्थान में अव्वल है , सर्वाधिक स्थानीय वेलफेयर फंड ,, से , वकील साथियों को मदद कर रही है ,,, लेकिन प्रारम्भिक वेलफेयर फंड की , जो मानवीय दृष्टिकोण ,, तात्कालिक अध्यक्ष , ब्रह्ममनन्द शर्मा , महासचिव रघु नंदन गौतम ने बनाया था , उनके साथ कार्यकारिणी में , रहने की वजह से मुझे भी वोह व्यवहारिक लगा , जिसमे ,, कोई भी वकील साथी बीमार हो , बिना किसी दरख्वास्त के , अस्पताल में ही उसे खुद को , या फिर परिजनों को , तुरंत राशि स्वीकृत कर देने की शुरुआत थी , जबकि मृत्यु होने पर , तीसरे के पहले ही , उसके परिजनों को वेलफेयर फंड की राशि घर पर देकर आने की परम्परा क़ायम की गयी थी , तब कोई प्रार्थना पत्र नहीं , कोई अस्पताल के पर्चे नहीं , कोई , मृत्यु प्रमाण पत्र ,, डॉक्टर का प्रमाणपत्र , या प्रार्थना पत्र की आवश्यकता नहीं थी , सही भी है , वकील साथी बीमार है , क्या बीमारी है कहाँ एड्मिट है , कोई भी सदस्य खुद तस्दीक़ कर ले , मृत्यु हुई है ,, जब कंडोलेंस हम ने कर दी , तो फिर उसकी मृत्यु पर संदेह कैसे , हाँ वेलफेयर राशि देते वक़्त विधवा नहीं है ,, और उत्तराधिकारियों में कोई विवाद होता है , तो फिर इंक्वायरी , और सही पात्र उत्तराधिकरी को राशि देने के लिए , कुछ समय लिया जा सकता है , लकिन सामान्य अनुक्रम में तो , तत्काल मदद , ज़रूरत के वक़्त मदद , ही मदद कहलाती है , बार कौंसिल की वेलफेयर परम्परा तो , गज़ब ही है , आवेदन करो , पर्चे लगाओ , फिर बैठक का इन्तिज़ार करो ,फिर बैठक होने पर , बैठक के फैसले के बाद , जब भी फैसला हो जाए तब राशि आयेगी , बार कौंसिल ने एक तो , दो साल से वेलफेयर राशि का मामला अटका रखा है , सरकार पर दबाव बनाकर , उस बिल में , जो भी वेलफेयर राशि की बढ़ोतरी हुई है , उसे लागू करवाने की कोशिशों में कमी है , बेवजह अटकी हुई व्यवस्था को अगर हम सीधी ऊँगली से सही नहीं कर पा रहे है , तो फिर टेडी ऊँगली करने में हमे किसने मना किया ,, हमे हमारा हक़ तो चाहिए न , और बार कौंसिल ही हमारा हक़ दिलवाने के लिए दबाव बनाएगी , संघर्ष की रुपरेखा तय्यार करेगी , खेर , में तो एक बार फिर कहूंगा ,, कोटा अभिभाषक परिषद के पूर्व अध्यक्ष ब्रह्ममनन्द शर्मा ,, महासचिव रघु गौतम के कार्यकाल में ,, यक़ीनन , बिना किसी प्रार्थना पत्र के सुचना मिलते ही , अस्पताल में जाकर , इलाज वेलफेयर राशि और , निवास पर जाकर , मृत्यु वेलफेयर मदद राशि देने की जो शुरुआती परम्परा थी , उसका अनुकरण आज भी , कुछ एक अपवादित मामलों को छोड़ कर , करना चाहिए ,क्योंकि यही व्यवहारिक है , यही वेलफेयर है ,, अस्पताल में अगर वकील साथी को , आर्थिक मदद मिल जाए तो , उसे तत्काल राहत मिलती है , मृत्यु के तुरतं बाद अगर , क्षतिपूर्ति राशि मिल जाए , तो वकील की विधवा , उसके आश्रितों को संबल तत्काल मिलता है,, खेर ऍप्लिक्शन , उसके दस्तावेज , फिर जांच पड़ताल , फिर कमेटी , फिर कमेटी की बैठक , फिर कमेटी के फैसले , फिर कमेटी के फैसले का अनुमोदन , फिर चेक का बनाया जाना , फिर चेक के लिए बुलाकर दिया जाना ,, एक व्यवस्था हो सकती है , लेकिन वेलफेयर के नाम पर , वोह भी से सदस्यों के लिए जिनके दुःख दर्द ,ज़रूरतों , जिनकी बीमारी, जिनकी मृत्यु , उसके कारणों को हम व्यक्तिगत रूप से जानते है , पहचानते है , कंडोलेंस कर दो मिनट का मोन रखते है तो फिर देरी क्यों , बार कौंसिल को भी इस मामले में , मृत्यु और बीमारी के दावों के क्लेम राशि देने में कोई शॉर्टकट रास्ता अपनाना चाहिए ,, ज़िले की अभिभाषक परिषद अध्यक्ष की अनुशंसा पर ही तत्काल राशि स्वीकृत करने का नियम बनाना चाहिए ,,, नहीं तो बाबू राज की तरह , सरकारी सिस्टम की तरह , जो चल रहा है , वही चलाते रहो ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
28 अप्रैल 2021
कोटा अभिभाषक परिषद में , अध्यक्ष पद पर , ब्रह्ममनन्द शर्मा के कार्यकाल में , वेलफेयर फंड की अनुकरणीय मिसाल थी ,, किसी वकील साथी के बीमार होने पर , अस्पताल में ही उसके हक़ की राशि उसे , या उसके परिजनों को तुरंत देना , मृत्यु पर , तीसरे के पहले ही , मृतक के परिजन को वेलफेयर राशि देने की परम्परा यक़ीनन सुखद भी थी , अनुकरणीय भी है
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