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14 अप्रैल 2021

सिंह इस किंग , कहावत ही नहीं हक़ीक़त भी है ,, हाड़ोती के भरत सिंह ,, यक़ीनन सिंह भी है , ,और किंग भी ,

 सिंह इस किंग , कहावत ही नहीं हक़ीक़त भी है ,,  हाड़ोती के भरत सिंह ,, यक़ीनन सिंह भी है , ,और किंग भी ,, ईमानदारी का ताज उनके सर पर है , और भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग की तलवार उन्होंने मियान में से निकाल कर , बेईमानों के खिलाफ जंग का ऐलान किया है , भरत सिंह की यह जंग , ना  काहू से दोस्ती , ना काहू से बेर ,,  की तर्ज़ पर , अपने , पराये का भेदभाव छोड़कर , बदस्तूर जारी है ,, जी हाँ दोस्तों में बात कर रहा हूँ ,,  राजस्थान सरकार में पूर्व मंत्री , सांगोद विधायक भरत सिंह जी की ,, जो वर्तमान में कोटा जिला कांग्रेस कार्यालय के न्यास  चेयरमेन भी हैं ,, कोटा जिला कांग्रेस कार्यालय के रख रखाव ,विस्तार , सभी की ज़िम्मेदारी भी उनके नेतृत्व में है , भरत सिंह हमेशा आपने बयानों , अपने आंदोलन के तोर तरीकों की वजह से सुर्ख़ियों  में रहे  है ,,  चुनाव में किसी के एक रूपये के चंदे का  ,,  या मंत्री विधायक रहते , एक रूपये के भ्रष्टाचार का आरोप भी कोई उन पर आज तक नहीं लगा सका है , उलटे वोह भ्रस्टाचार के मामले में , अपनी ही समर्थित सरकार के मंत्रियों , अधिकारीयों ,, को लगातार प्रश्नगत करते रहे है , इतना ही नहीं , खुद के द्वारा बनाये गये ,  जिला प्रमुख सहित कई पदों पर निर्वाचित लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार के सुबूत मिलने पर ,, भरत सिंह ऐसे अपने पूर्व समर्थकों का बचाव करने की जगह , मुखर होकर उन्हें गिरफ्तार करवाने , उन्हें सज़ा दिलवाने में निष्पक्ष रूप से मुखर रहे है , बस यही पहचान , भरत सिंह की है , और यही पहचान उन्हें , सिंह इस किंग , का दर्जा दिलवा रही है , लोकसभा अध्यक्ष कोटा  सांसद   की  नीतियों को टारगेट कर , नियमित सुझाव के पत्र लिखना ,  उनके विधायकों के खिलाफ आरोप के साथ शिकायतें करना ,, खुद अपनी ही पार्टी के विधायक , मंत्री , सरकार में बैठे अधिकारीयों के भ्रष्ट आचरण के खिलाफ खुल कर , अख़बारों में बयान देना ,, मुख्यमंत्री को पत्र लिखना , विधानसभा में सवाल उठाना , भ्र्ष्टाचार के खिलाफ  उनकी निष्पक्षता ,,  निर्भीकता  साफ दर्शाती है ,   भरत सिंह ..राजस्थान में कोंग्रेस से सांगोद विधानसभा से विधायक है और सरकार में सार्वजनिक निर्माण मंत्री  रहे  है ...आप राजस्थान में घोषित और स्वीकृत एक मात्र ईमानदार मंत्री रहे  लेकिन ,, भरत सिंह राजीव गांधी के गाँव की सरकार को मज़बूत करने के लिए एक मुखर संदेश  देते हुए अपनी ही पंचायत में निर्विरोध पंच  भी बने चुके  है और पुरे ग्यारह पंचो को निर्विरोध जिताकर मिसाल क़ायम की है जबकि इनकी पत्नी मीना कुमारी  घर में और पंचायत दोनों जगह इनकी बॉस हो रही  है वोह अब कुन्दनपुर की सरपंच और भरत सिंह एक वार्ड के पंच रहे  है ,,,,,,,
 .....भरत सिंह राजस्थान सरकार के पूर्व मंत्री जुझार सिंह के पुत्र है जुझार सिंह पहले गैर कोंग्रेसी  विधायक थे फिर कोंग्रेस में शामिल हुए कोंग्रेस के विधायक बने और मंत्री बन गए .....भरत सिंह प्रारम्भ से ही  ईमानदारी के प्रति ज़िद्दी ,,ईमानदारी से ,, कुछ कर गुजरने की तमन्ना रखने वाले  साहसी रहे है ,,,कभी शिकार करने वाले भरत सिंह के दिल में पर्यावरण प्रेम जागा तो फिर भरत सिंह वन्य जीव और पर्यारवरण प्रेमी ही नहीं बल्कि  उनके रक्षक हो गए .....भरत सिंह ने पहले सांगोद से निर्दलीय चुनाव लड़ा फिर जनता दल से चुनाव लड़ा इसके बाद भरत सिंह कोंग्रेस में शामिल हो गए जो झालावाड़ ज़िले के ज़िला अध्यक्ष भी  रहे खानपुर से विधायक बने ,, फिर वसुंधरा सिंधिया के खिलाफ  झालावाड़ लोकसभा क्षेत्र से सांसद का चुनाव लड़ा अब भरत सिंह जी सांगोद से फिर से विधायक है ,, , .इनके चुनाव का भी दिलचस्प क़िस्सा है यह समझोता वादी  नहीं है ...ईमानदार है इसलिए कड़वे तो है ...वाद विवाद में उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने की  घोषणा की  ...सभी सोचते थे के इस बार भरत सिंह नाम का ईमानदार  और मज़बूत काँटा सियासत से निकल गया है लेकिन बिना टिकिट मांगे उन्हें कोंग्रेस ने टिकिट दिया ........भरत सिंह टिकिट मिलते ही शोबाज़ नहीं बने उनका स्वागत सत्कार उन्होंने नहीं करवाया और खुद के गाँव कुंदनपुर से सांगोद में  पदयात्रा करते हुए ,,,आकर नामांकन भरने कि घोषणा कर दी .कोई रेली नहीं ..कोई झंडे बेनर नहीं ...कोई प्रचार प्रसार नहीं ..कोई मनुहार नहीं ..कोई सौदेबाज़ी कार्यकर्ताओं कि खरीद फरोख्त नहीं ..कोई लिफ़ाफ़े वितरण नही बस ,,,, नामांकन भरने अकेले घर से निकले उनके साथ एक फिर दो फिर तीन जुड़े और फिर जब वोह सांगोद पहुंचे तो पन्द्राह किलोमीटर की इस पदयात्रा में भरत सिंह के साथ क़रीब सत्राह अठ्ठारह हज़ार पदयात्रियों का हुजूम था  यह  सभी इनकी विधानसभा क्षेत्र के ,,इनकी गलियों मुहल्लों के थे, जो खुद ब खुद अपने घरों से निकल कर  चुनाव में, इनका साथ देने  बिना इसी प्रतिफल के निकल पढ़े ......सुल्तानपुर के उप प्रधान रईस खान बताते है के भरत सिंह का भाषण मार्मिक और दिल कि गहराइयों को छूने वाला था उनके भाषण में सियासत नहीं स्थानीय लोगों के साथ हमदर्दी थी,,  प्यार था मोहब्बत थी,,  अपनापन था ...भीड़ से भरत सिंह ने निवेदन किया के में चुनाव नहीं लड़ना चाहता था लेकिन पार्टी ने हुक्म दिया है तो मेने नामांकन भरा है लेकिन मेरे पास झंडे बेनर पोस्टर नहीं है,,  गाड़िया नहीं है खर्चा नहीं है यह चुनाव मेरा नहीं ,, यह चुनाव आपका है आप जाने,, आपका काम जाने ,,,,,,उन्होंने अपील  की महरबानी करके,,  झंडे बेनर का चुनाव ना लड़े,,  पोस्टर बनाकर मुझे दीवारों पर ना टाँके ,, मुझे अपने दिलों में रखे ,, आप भी मेरे दिल में है .....भरत सिंह ने कहा के मेरी यह आखरी रेली है ,, में हारूंगा तो तुम हारोगे और जीतूंगा तो तुम जीतोगे ,, उनके इस भावुक अंदाज़ को,,  सांगोद के मतदाता अपने दिलों कि गहराई में उतार चुके थे और हज़ारो हज़ार कि स्थानीय  भीड़ दिल ही दिल में एक बार फिर भरत सिंह को जिताने का संकल्प लेते नज़र आये .,...जिस भरत सिंह के लिए उनके अपने कार्यकर्ता असंतुष्ट होकर कहते थे  के उहोने कार्यकर्ताओ के लिए  कुछ  खास नहीं किया,,  वही कार्यकर्ता वही वोटर्स ,  उनकी ईमानदारी ..साफ गोई और वक़त कि पाबंदी  मिजाज़ में सादगी ..प्यार मोहब्बत के आगे ,, पिघल कर मोम बन गया और भरत सिंह ज़िंदाबाद भरत सिंह ज़िंदाबाद करते हुए उन्हें अधिकतम वोटों से जिताने के संकल्प के साथ बिना किसी लालच,  बिना किसी प्रतिफल के ,, उन्हें जिताने के लिए,,  चुनाव प्रचार में जुट गया ..यह जादू है या चमत्कार, पता नहीं लेकिन कहते है के ईमानदारी सभी बुराइयों पर हावी होती है ,, और भरत सिंह  भरत भी है तो सिंह यानि दहाड़ने वाले जंगल के राजा शेर भी है ,,वोह सर्कस के या फिर चिडियाघर के शेर नहीं ,,सचमुच के शेर है लेकिन निर्मल सरल और सभी का दिल  जीतने वाले भी है ,इसीलिए तो आज उनके विधानसभा क्षेत्र के लोग भरत सिंह ज़िंदाबाद ज़िंदाबाद कह रहे है ....भरत सिंह आज भी विधानसभा में , ज्वंलत सवाल  दागते है , प्रतिपक्ष के न होकर भी , जनहित के मुद्दों पर सरकार को घेरते है ,, अपनी ही सरकार में बैठे अधिकारीयों , उनके दलालों , मंत्रियों , विधायकों के भ्रष्टाचार के क़िस्से उजागर करते है , उन्हें परवाह नहीं , वोह मंत्री बने , या नहीं ,उन परवाह नहीं वोह फिर चुनाव जीतें या नहीं , बस उन्हें परवाह है , कांग्रेस का गांधीवाद ज़िंदा रहे , कांग्रेस की संवेदनशीलता ज़िंदा रहे , कांग्रेस के कार्यकर्ता का मान , सम्मान , स्वाभिमान ज़िंदा रहे ,, उन्हें चिंता है ,, तिरंगा ऊँचा रहे ,, भ्रस्ट लोगों को सज़ा मिले , ईमानदारों को जगह मिले ,, भरत सिंह कांग्रेस कार्यालय में भी एक न्यासी अध्यक्ष होने के नाते , कांग्रेस कार्यालय के किरायेदारों के किराये में वृद्धि , कार्यालय में आवश्यक ज़रूरी निर्माण को विस्तारित करने के प्रयासों में जुटे है ,, अख्तर खान अकेला कोटा

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