जिए तो भी ज़िंदा दिली के साथ और दफन हुए तो भी , अल्लाह के बरकतों के महीने रमज़ानुल मुबारक के साथ , जी हाँ दोस्तों , हाजी रफ़ीक़ अहमद नेशनल प्रॉपर्टी डीलर वालों की ज़िंदगी और ज़िंदगी के आखरी सफर , को लेकर यह कहावत , चरितार्थ होती है , ,रफ़ीक अहमद अंसारी , एक जाना पहचाना नाम , लोगों के दुःख दर्द का साथी ,, यूँ हमें छोड़ कर चला जाएगा यक़ीन नहीं होता ,, रफ़ीक़ अहमद यूँ तो सरकारी सेवा छोड़कर , कोटा में प्रॉपर्टी डीलर के रूप में सबसे पहले निर्विवाद , शख्सियत रहे ,, जिन्होंने प्रॉपर्टी डीलिंग के कारोबार को , ईमानदारी से लोगों को करने की क ख ग सिखाई ,, नेशनल प्रॉपर्टी के नाम से , ,पुराने कोटा सहित , नए कोटा के विस्तार के लिए , कोलोनोलाइज़र व्यवस्था के तहत , बेहिसाब कॉलोनियां बनाई ,, प्रापर्टी का काम और निर्विवाद यक़ीनन नामुमकिन है , लेकिन रफ़ीक़ अहमद ने , यह सब करिश्मा व्यवसाय के प्रति अपने ईमानदारोंना सम्पर्ण से करके दिखाया है , कई नामचीन , करोड़पति , अरबपति , ऐसे प्रॉपर्टी डीलर , या व्यवसायी हैं , जिन्हे इन्होने ऊँगली पकड़कर चलना सिखाया है ,, यारों के यार , ज़रूरतमंदों के हमदर्द ,, कोटा के आधुनिक विकास के प्रति समर्पित , रफ़ीक़ अहमद , गैर सियासी रहकर भी , सभी सियासी लीडरों के विश्वसनीय साथी रहे है , व्यवसाय अपने परिवार के बच्चों में बटवारे के साथ ही ,हाजी रफ़ीक़ साहब , हज के मुक़द्दस सफर को गए , उमराह गए , और अपनी ज़िंदगी को उन्होंने बदल लिया वोह , सामूहिक विवाह सम्मेलन हों , सामाजिक सरोकार से संबंधित कोई भी कामकाज हो , हर तरफ , बंद मुट्ठी की मदद के साथ , पेश पेश रहे है , हर वर्ग , हर समाज के लोगों के अलावा ,, अख़बार के साथियों के साथ भी इनका दोस्ताना सुलूक , सभी वरिष्ठ पत्रकार साथियों को आज भी याद आता है ,, रफ़ीक़ अहमद यूँ तो अस्सी के पार थे , लेकिन कुछ दिनों पहले उनकी तबियत खराब हुई , वोह ज़िंदा दिल शख्सियत ,थी , वोह हमदर्दाना शखिसयत थी ,, खुदा के दरबार में , उनके कर्म ,, बेहतर दर्जे के रहने से , अल्लाह ने उन्हें विसाल भी , दिन जुमेरात , महीना रमज़ान , दूसरे रोज़े का दिया , अल्लाह उनकी मगफिरत करे जन्नतुल फिरदोस में उन्हें आला मुक़ाम अता फ़माये , उनके बेटों , रिश्तेदारों को ,, सब्र ऐ जमील अता फरमाए ,, आमीन , सुम्मा आमीन , अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
15 अप्रैल 2021
जिए तो भी ज़िंदा दिली के साथ और दफन हुए तो भी , अल्लाह के बरकतों के महीने रमज़ानुल मुबारक के साथ
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