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23 अप्रैल 2021

सुप्रीमकोर्ट , राज्यों में पुराने पढ़े मुक़दमों को लेकर चिंतित है

 सुप्रीमकोर्ट , राज्यों में पुराने पढ़े मुक़दमों को लेकर चिंतित है ,, इधर सरकारें है , के जजों के रिक्त पद भर्ती ही नहीं , सुप्रीमकोर्ट को मुखर ,होकर क़ानून का डंडा हाथ में लेकर , , बिना किसी मुरव्वत के यह काम समयबद्ध तरीके से करवाना चाहिए ,, , और इसके लिए चाहे , प्रधानमंत्री जी हो , चाहे क़ानून मंत्री जी हों , चाहे कोलीजेनियम में टांग अड़ाने वाले ,, लोग हो , लापरवाह लोग हों , ,उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही कर , उन्हें पदमुक्त करवाने , उन्हें अदालत के आदेश के बावजूद भी ज़िम्मेदारी नहीं निभाने के मामले में ,अपदस्त , बर्खास्त करने के फैसले भी लेकर , जंगलराज नहीं , क़ानून का राज है , इस तरफ , जनहित में काम करना ही चाहिए ,, क्योंकि , इस नाम पर , सरकार की इस नाकामयाबी के नाम पर ,, अलग अलग हाईकोर्ट में , सेवानिवृत जजों को अतिरिक्त नियुक्त करने के , में और मुझ सहित शायद , सभी बार कॉंसिल्स , बार कौंसिल ऑफ़ इंडिया , वरिष्ठ वकील सभी विरोध करेंगे ,, खाली पदों पर नई नियुक्तियां करवाइये , बेकडोर एन्ट्री स्वीकार नहीं ,,, नियमानुसार , ,वकील कोटे , सर्विस जज कोटे से , इन सभी पदों को , चरणबद्ध कार्यक्रम के तहत नहीं , सिर्फ एक अभियान के रूप में , छह माह की समय सीमा तय कर , नियुक्त करवाइए , अगर सरकारें ऐसा नहीं करती हैं ,, सर्किट बेंचेज़ की ज़रूरत होने पर भी , सरकारें , सर्किट बेंचेज़ नहीं खोलती है , तो सुप्रीमकोर्ट , सुप्रीमकोर्ट है , संविधान की गार्जियन है , देश के क़ानून , देश की जनता की गार्जियन है ,, माई बाप है , भगवान है , वोह अपना डंडा उठाये , और ऐसे नाकारा , प्रधानमंत्री हों , चाहे , क़ानून मंत्री हों ,चाहे वित्त मंत्री हों , चाहे , मुख्यमंत्री हों , चाहे जो भी हो ,सभी के खिलाफ क़ानून का डंडा बजाये ,, क्योंकि अब वोह जज तो रहे नहीं जिनका दम घुटने लगा था ,, जिन जजों नें खुद को असहाय बता कर , प्रेस कॉन्फ्रेंस कराकर , देश की जनता से लोकतंत्र बचाने की अपील की थी , अब तो सभी जज माशा अललाह , हिम्मत वाले है , निर्णायक है ,, वोह असहाय नहीं है , सड़कों पर आकर जनता से , अपनी संवेदनाये कहकर , जनता से लोकतंत्र बचाने की बात करने वाले नहीं हैं , , अभी तो अटॉर्नी जनरल के होते हुए भाजपा के लीगल मामलों म लगातार पेश होने वाले हरीश साल्वे , एमिकस क्यूरी है , यह सभी मर्यादित है , ,देश के प्रति , देश के संविधान , क़ानून के प्रति जवाबदार हैं , इसलिए वोह क़ानून के डंडे से , या कहो ऐसे लापरवाह , मनमौजी करने वाले , जनता की उपेक्षा करने वाले , क़ानून की मंशा , सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवमानना करने वाले , दोषी लोगों पर कोड़े भी बरसाने की हिम्मत रखते है तो इन्तिज़ार है , हमे देश के सभी न्यायालयों के रिक्त पदों को नई नियुक्तियों से भरवाने का ,, सरकारों पर चाहे जो भी वित्तीय भार पढ़े फ़र्क़ नहीं पढ़ता , क्योंकि न्याय एक मंदिर है , और मंदिर से बढे न्याय मंदिर के लिए , सरकार को बजट जो भी हो देना ही ,होगा , सरकारों को , पेंडिग केसेस के निपटारे के लिए रिटायर्ड जजों को नियुक्त कर अतिरिक्त न्यायालयः खोलने का सुझाव ,, लोकतंत्र में असहमति वाला है , नामंज़ूर वाला है , सरकार को उनकी लापरवाही , हिटलरशाही मानसिक्ता को वाक् ओवर देने वाला है ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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