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17 अप्रैल 2021

क़यामत क़रीब आ गयी और चाँद दो टुकड़े हो गया

 सूरए अल क़मर मक्का में नाजि़ल हुआ और इसकी पचपन (55) आयतें हैं
ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
क़यामत क़रीब आ गयी और चाँद दो टुकड़े हो गया (1)
और अगर ये कुफ़्फ़ार कोई मौजिज़ा देखते हैं, तो मुँह फेर लेते हैं, और कहते हैं कि ये तो बड़ा ज़बरदस्त जादू है (2)
और उन लोगों ने झुठलाया और अपनी नफ़सियानी ख़्वाहिशों की पैरवी की, और हर काम का वक़्त मुक़र्रर है (3)
और उनके पास तो वह हालात पहुँच चुके हैं जिनमें काफ़ी तम्बीह थीं (4)
और इन्तेहा दर्जे की दानाई मगर (उनको तो) डराना कुछ फ़ायदा नहीं देता (5)
तो (ऐ रसूल) तुम भी उनसे किनाराकश रहो, जिस दिन एक बुलाने वाला (इसराफ़ील) एक अजनबी और नागवार चीज़ की तरफ़ बुलाएगा (6)
तो (निदामत से) आँखें नीचे किए हुए कब्रों से निकल पड़ेंगे गोया वह फैली हुयी टिड्डियाँ हैं (7)
(और) बुलाने वाले की तरफ़ गर्दनें बढ़ाए दौड़ते जाते होंगे, कुफ़्फ़ार कहेंगे ये तो बड़ा सख़्त दिन है (8)
इनसे पहले नूह की क़ौम ने भी झुठलाया था, तो उन्होने हमारे (ख़ास) बन्दे (नूह) को झुठलाया, और कहने लगे ये तो दीवाना है (9)
और उनको झिड़कियाँ भी दी गयीं, तो उन्होंने अपने परवरदिगार से दुआ की कि (बारे इलाहा मैं) इनके मुक़ाबले में कमज़ोर हूँ (10)

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