ज़िन्दगी में भले एक गर्लफ्रेंड तक ना हो
फिर भी...
जगजीत सिंह की ग़ज़लें सुनने बैठो तो लगता है जैसे 10-12 छोड़ के चली गयी हों...
जगजीत की गजलो को सुनकर
गर्ल फ्रेंड की याद मै एक घंटे रोया..
फिर याद आया
मेरी तो कोई गर्ल फ्रेंड ही नही है..
तो दो घंटे और रोया
फिर ध्यान आया कि
मैं तो शादी शुदा हूं..
चार घंटे फिर रोया..
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