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15 मार्च 2021

गाज़ियाबाद उत्तर प्रदेश के एक मंदिर के श्रंगिनन्दन ,, जो खुद बिहार के है ,, एक आसिफ को मंदिर में पानी पीने जाने पर उसे ,, जिस बेरहमी से ठोका ,, फिर गिरफ्तार हुआ

 गाज़ियाबाद  उत्तर प्रदेश के एक मंदिर के श्रंगिनन्दन ,, जो खुद बिहार के है ,, एक आसिफ को मंदिर में पानी पीने जाने पर उसे ,, जिस बेरहमी से ठोका ,, फिर गिर गिरफ्तार हुआ ,, यह एक नफरत का  क़िस्सा नहीं , यह सिर्फ मानसिक रोग की बिमारी है , जो किसी एक में नहीं , बहुत लोगों में है ,, नफरत के इस रोग के ज़िम्मेदार , कोई  धर्म नहीं ,, ना हिन्दू , ना मुसलमान , ना सिक्ख ,, ना ईसाई ,, इसके लिए ज़िम्मेदार ,आप  ,हम और हमारी राजनीति , वोटों की सियासत में लगे , नेता लोग है , जिन्हे हम तरजीह देते है , उनकी इन नफरत की  कोशिशों को कुचलने की जगह बढ़ावा देते हैं ,, गाज़ियाबाद मंदिर में  पानी पीने पर एक मुस्लिम बच्चे ,, मासूम बच्चे , को पहले विडिओ बनवाने के लिए , एक आदमी नियुक्त करना , हिदायत देना , दोनों की शक्ल आना चाहिए , फिर नाम पूंछना , फिर पानी पीने का कहने पर उस ,, मुस्लिम बच्चे को बेरहमी से पीटना , यह एक हक़ीक़त है , लेकिन ,,  इस मामले , हमारे देश की क़ौमी एकता , नेक दिल हिन्दू , मुस्लिम , सिक्ख , ईसाई मज़हब के इंसानों , , पूरे देश , पुरे हिन्दू समाज को कोसना ,, मज़ाक़ उढाना क़तई गलत है , वोह पानी पीने की कोशिश में ,, पिटाई  करने वाला ,, हिन्दू बाई चांस है ,  लेकिन उसके मज़हब ने उसे , किसी प्यासे को , पीटने की तरबियत नहीं दी है , कोई  भी मज़हब ,, किसी पर भी हमला करना नहीं  सिखाता ,, हर मज़हब में संवेदना है ,, गुस्सा है ,, ,गुस्सा , महाभारत हो , गीता हो , चाहे क़ुरआन हो , चाहे रामायण हो ,, ,, निर्लज , अत्याचारियों ,, के खिलाफ है ,, फिर वोह अत्याचारी ,, भाई हो , रिश्तेदार हो , गुरु हो , कोई भी हो , लेकिन यह सीमित घटनाये , सीमित बातें है , बाक़ी तो हर धर्म हर मज़हब ,, मर्यादाये सिखाता है ,  प्यार सिखाता है ,, मोहब्बत ,, भाईचारा , एक दूसरे की मदद सिखाता है ,, मुझे गर्व है , मेरे हिन्दुस्तान पर , मुझे गर्व है मेरे भारत महान पर , मेरी संस्कृति पर , मेरे हिन्दू भाइयों पर ,मेरे सिक्ख भाइयों , पर जब जब भी   मुस्लिम समाज संकट में हुआ तो ,, इन्ही समाज के लोगों ने खुल कर दरियादिली दिखाई , मदद की है , मुस्लिम समाज ने भी जहां ज़रूरत हुई , हिन्दू  समाज की मदद की है , यह हक़ीक़त है , लेकिन कुछ लोग एक , सनकी मिजाज़ , एक मानसिक रोगी की इस तरह की दास्तान को , लगातार ,, पुरे मज़हब की नफरत से जोड़कर दिखाते है , तो गुस्सा भी आता है , अजीब सा भी लगता है ,, इस घटना को लेकर , मेरे  हिन्दू भाइयों में , इक्का दुक्का इसी तरह के मानसिक रोगियों ने ,अलबत्ता घुमा फिर कर पैरवी करने की कोशिश की हो , लेकिन 99 ,99 प्रतिशत हिन्दू भाइयों ने इस घटना की आलोचना की है ,, इसका मतलब , गिनती के पागल लोग ,  पुरे धर्म के अनुयायी या फिर ठेकेदार नहीं हो सकते ,, जब हम लोकडाउन में थे ,, तब मंदिर , मठ में से आये खाने के पैकेट , मुस्लिम भाइयों में लगातार बांटे गए है ,, गुरुद्वारे के खाने आये है ,, मस्जिद , मदरसों के खाने के पैकेट ,, हिन्दू भाइयों की बस्तियों में बटे है , संकट काल में , एक दूसरे ने एक दूसरे की मदद की है ,, यहाँ तक के नमाज़ के लिए जगह कम पढ़ने पर , हिन्दू भाइयों ने मुस्लिम भाइयों को जगह दी है ,, मंदिरों तक में आश्रय दिया है ,, हिन्दू भाइयों को मस्जिदों में आश्रय दिया है , यह है, मेरा असली भारत , मेरा ओरिजनल हिंदुस्तान , क्योंकि ,, सभी धर्मों को पढ़ने वाले ,, धर्मों को समझने वाले जानते है ,, मज़हब नहीं सिखाता आपस में बेर रखना ,, हिंदी है , हम हिंदुस्तान हमारा है , आज भी एक मंदिर के बाहर ,, मुस्लिम फ़क़ीर डंके की चोट पर अपने लिबास के साथ ,  अल्लाह नाम पर माँगता है , आज भी एक हिन्दू फ़क़ीर ,  डंके की  चोट पर , अपने हुलिए के साथ ,, मस्जिद , ईदगाह के बाहर , डंके की चोट पर , मांगता है , इन लोगों को , धर्म प्रेमी बिना भेदभाव के देते भी है  ,, मदद भी करते है , हिन्दू भाई को , मुस्लिम ,,  मुस्लिम  भाई को हिन्दू ,, कभी खून देकर , कभी मदद करके , बचाता है ,  मंदिरों के लंगरों में मुस्लिम भी खाते है , तो गुरुद्वारे ,, मदरसों के लंगरों में ,, हिन्दू भाई भी खाते है ,, मोहर्रम हो  ,, चेटी चण्ड हो , पूर्णिमा हो ,, कोई त्यौहार हो ,, छबील , प्याऊ , शर्बत की स्टाल पर कोई नहीं पूंछता , तू हिन्दू , तू मुसलमान , सभी एक होते है , सिर्फ  प्यासे , सिर्फ भूखे ,, तो जनाब फिर यह कुछ मानसिक रोगियों की वजह से पुरे , मज़हब के इस प्यार ,, मोहब्बत को हम नकार कैसे दें ,, हाँ हमने चिंतन की ज़रूरत है , हमे मनन की ज़रूरत है ,, इन  मानसिक नफरत रोगियों  को पैदा करने वाली फैक्ट्री को हम नष्ट क्यो नहीं करते , इस मामले में सोचने की ज़रूरत है , अभी अचानक ,  कुछ सालों में , धर्म के नाम पर वोट देने  , वोट नहीं देने ,के प्रचार की सियासत ने  इस देश के भूगोल , को बिगाड़ दिया है , चुनावों में ,भूख की बात नहीं , गरीबी की बात नहीं ,, रोज़गार की बात नहीं ,, राष्ट्र निर्माण की बात नहीं ,,क़ौमी एकता की बात नहीं ,, महंगाई की बात नहीं , सिर्फ सिर्फ , हिन्दू मुस्लिम , हिन्दू मुस्लिम ,मंदिर , मस्जिद , गांय वगेरा  , और मीडिया में तो ,,   भूख गरीबी ,, रोज़गार के मुद्दे , हज़म कर लिए गए है , सिर्फ मंदिर , मस्जिद , हिन्दू ,, मुस्लिम ,, हुलिए ,, वेशभूषा ,,  वगेरा पर ही बहस होती है ,, यह नफरत की फैक्ट्रियां है , जो कुछ लोगों को इधर भी , उधर भी ,, मानसिक रोगी बना रही है ,, यह देश के लिए ,, हमारे अपने लिए , भारत के लिए ,, देश के विकास के लिए , राष्ट्रनिर्माण के लिए घातक है ,, तात्कालिक रूप से , एक वर्ग समूह को मानसिक रोगी बनाकर , वोट लेकर कुर्सी हथियाना अलग बात है , लेकिन सभी को साथ लेकर , चलाना , नामुमकिन सा ऐसे लोगों के लिए हो जाता है ,, क्योंकि  कुर्सी हथियाने का  अब यह नफरत ,  शॉर्टकट हो  गया है , सोशल  मिडिया पर तो , ऐसे ऐसे पढ़े लिखे लोग , सिर्फ नफरत फैलाने ,, दूसरे मज़हब को बुरा कहकर ,शैतानियां करने की , नौकरी , पेड वर्कर के रूप में कर रहे है , उनकी पोस्टें , अगर उनकी माँ  , बहने , बेटियां ,, सुलझे हुए रिश्तेदार देखें , तो वोह खुद सकते में आ जाएँ ,, हमारे देश का क़ानून इस तरह की किसी भी नफरत की  इजाज़त नहीं देता ,, मंदिर में पानी पीने पर धर्म आधारित पिटाई करने वाले को गिरफ्तार किया गया ,, ऐसे ही अगर , सोशल मीडिया हो , मोहल्ला हो ,, विधान सभा हो ,, , लोकसभा हो  ,  राजय सभा हो ,, नगर पालिका हो , पंचायत हो ,, कॉलेज हो , स्कूल हो , समाज हों , संस्थाए हों ,, जहाँ धर्म आधारित प्रचार , धर्म आधारित नफरत  , कुप्रचार हो , वहां ऐसे ज़िम्मेदारों को जेल भेजना ज़रूरी है , लेकिन जब हम , ऐसे लोगों को जेल भेजने की जगह ,, महिमा मंडित करते है , एम एल एल , सांसद का  टिकिट देते है , प्रचारक बनाते है ,, हीरो बनाते है , तब हमे लगता है , के हम इस देश को अब गर्क में धकेल रहे है , हम अब इस देश में जंगलराज ला रहे है , अगर हम सब अपना अपना धर्म पढ़कर , उसकी  ओरिजनल सीख पर , लोट आएं , धर्म के नाम पर नफरत फैलाने , वोट मांगने वाले नेताओं का बाहिष्कार करें , टी वी चेनल्स जो सिर्फ नफरत , हिन्दू ,, मुस्लिम की बात करते है , उन्हें देखना बंद कर दें , तो यक़ीनन , यह  मानसिक रोग जड़ से अगर खत्म नहीं भी  हो , तो कमसे कम , , कोरोना वाइरस की तरह ,, नफरत का यह वाइरस , मल्टीपल  होकर ,, लोगों को बीमार ,, मानसिक रोगी बनाने से तो रोक लेगा ,, मुझे यक़ीन है , मेरी पोस्टों पर , नफरतबाज़ों की एक पेड वर्कर की तरह आकर ,, नफरत की टिप्पणियां करने वाले , मेरे मानसिक रोगी ,भटके हुए भाई भी खुद को बदलेंगे , कुतर्कों से बचेंगे , बात कुछ भी हो , उसमे नफरत का भाव पैदा करने से खुद को रोकेंगे , क्योंकि यह देश ,, हमारा सबका है ,,इसकी , सुख , शांति ,,  की ज़िम्मेदारी हमारी सब की है ,, जुओं के डर से गद्दे नहीं फेंकते ,, नफरत के खिलाफ , मोहब्बत की जंग में , आओ हम सब मिलकर , एक बार फिर सिपाही बनकर , एक जुट होकर , इस जंग को लड़ कर , इस देश को , इस वाइरस , इस नासूर से बचाएं ,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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