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23 फ़रवरी 2021

और ये लोग अपने आज़ा से कहेंगे कि तुमने हमारे खि़लाफ क्यों गवाही दी

और ये लोग अपने आज़ा से कहेंगे कि तुमने हमारे खि़लाफ क्यों गवाही दी तो वह जवाब देंगे कि जिस ख़़ुदा ने हर चीज़ को गोया किया उसने हमको भी (अपनी क़ुदरत से) गोया किया और उसी ने तुमको पहली बार पैदा किया था और (आखि़र) उसी की तरफ़ लौट कर जाओगे (21)
और (तुम्हारी तो ये हालत थी कि) तुम लोग इस ख़्याल से (अपने गुनाहों की) पर्दा दारी भी तो नहीं करते थे कि तुम्हारे कान और तुम्हारी आँखे और तुम्हारे आज़ा तुम्हारे बरखि़लाफ गवाही देंगे बल्कि तुम इस ख़्याल मे (भूले हुए) थे कि ख़़ुदा को तुम्हारे बहुत से कामों की ख़बर ही नहीं (22)
और तुम्हारी इस बदख़्याली ने जो तुम अपने परवरदिगार के बारे में रखते थे तुम्हें तबाह कर छोड़ा आखि़र तुम घाटे में रहे (23)
फिर अगर ये लोग सब्र भी करें तो भी इनका ठिकाना दोज़ख़ ही है और अगर तौबा करें तो भी इनकी तौबा क़़ुबूल न की जाएगी (24)
और हमने (गोया ख़ुद शैतान को) उनका हमनशीन मुक़र्रर कर दिया था तो उन्होने उनके अगले पिछले तमाम उमूर उनकी नज़रों में भले कर दिखाए तो जिन्नात और इन्सानो की उम्मतें जो उनसे पहले गुज़र चुकी थीं उनके शुमूल {साथ} में (अज़ाब का) वायदा उनके हक़ में भी पूरा हो कर रहा बेशक ये लोग अपने घाटे के दरपै थे (25)
और कुफ़्फ़ार कहने लगे कि इस क़़ुरआन को सुनो ही नहीं और जब पढ़ें (तो) इसके (बीच) में ग़ुल मचा दिया करो ताकि (इस तरकीब से) तुम ग़ालिब आ जाओ (26)
तो हम भी काफि़रों को सख़्त अज़ाब के मज़े चखाएँगे और इनकी कारस्तानियों की बहुत बड़ी सज़ा ये दोज़ख़ है (27)
ख़़ुदा के दुशमनों का बदला है कि वह जो हमरी आयतों से इन्कार करते थे उसकी सज़ा में उनके लिए उसमें हमेशा (रहने) का घर है, (28)
और (क़यामत के दिन) कुफ़्फ़ार कहेंगे कि ऐ हमारे परवरदिगार जिनों और इन्सानों में से जिन लोगों ने हमको गुमराह किया था (एक नज़र) उनको हमें दिखा दे कि हम उनको पाँव तले (रौन्द) डालें ताकि वह ख़ूब ज़लील हों (29)
और जिन लोगों ने (सच्चे दिल से) कहा कि हमारा परवरदिगार तो (बस) ख़ुदा है, फिर वह उसी पर भी क़ायम भी रहे उन पर मौत के वक़्त (रहमत के) फ़रिश्ते नाजि़ल होंगे (और कहेंगे) कि कुछ ख़ौफ न करो और न ग़म खाओ और जिस बेहिष्त का तुमसे वायदा किया गया था उसकी खुशियाँ मनाओ (30)

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