गंगा का हमने क्या हाल कर दिया है। नई पीढ़ी तो यही समझेगी की भगीरथ ऐसी ही गंगा धरती पर लाए थे। पत्रकारिता का क्या हाल हो गया। नई पीढ़ी समझेगी पत्रकारिता का मूल स्वरूप यही है। अब टेक्नोलॉजी ने स्वतंत्र पत्रकारिता की राह खोली है तो इसे आगे बढ़ाए। पूंजीपतियों के चंगुल में पत्रकारिता का रूप विकृत हो गया। पूंजीपतियों को पत्रकारिता के मूल्यों को नहीं अपितु अपनी पूंजी बढ़ाने ओर पत्रकारों के शोषण के लिए हर तरह के समझौते मान्य होते है।
राजेन्द्र सिंह जादौन
पत्रकार चंडीगढ़
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)