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26 फ़रवरी 2021

और वह तो (बड़ा) आलीशान (और) बुज़ुर्ग है

 सूरए अश शूरा मक्का में नाजि़ल हुआ और इसकी (53) तिरपन आयतें है
ख़ुदा के नाम से शुरू करता हूँ जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
हा मीम (1)
ऐन सीन काफ़ (2)
(ऐ रसूल) ग़ालिब व दाना ख़़ुदा तुम्हारी तरफ़ और जो (पैग़म्बर) तुमसे पहले गुज़रे उनकी तरफ़ यूँ ही वही भेजता रहता है जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है ग़रज़ सब कुछ उसी का है (3)
और वह तो (बड़ा) आलीशान (और) बुज़ुर्ग है (4)
(उनकी बातों से) क़रीब है कि सारे आसमान (उसकी हैबत के मारे) अपने ऊपर वार से फट पड़े और फ़रिश्ते तो अपने परवरदिगार की तारीफ़ के साथ तसबीह करते हैं और जो लोग ज़मीन में हैं उनके लिए (गुनाहों की) माफी माँगा करते हैं सुन रखो कि ख़़ुदा ही यक़ीनन बड़ा बक्शने वाला मेहरबान है (5)
और जिन लोगों ने ख़़ुदा को छोड़ कर (और) अपने सरपरस्त बना रखे हैं ख़़ुदा उनकी निगरानी कर रहा है (ऐ रसूल) तुम उनके निगेहबान नहीं हो (6)
और हमने तुम्हारे पास अरबी क़़ुरआन यूँ भेजा ताकि तुम मक्का वालों को और जो लोग इसके इर्द गिर्द रहते हैं उनको डराओ और (उनको) क़यामत के दिन से भी डराओ जिस (के आने) में कुछ भी शक नहीं (उस दिन) एक फरीक़ (मानने वाला) जन्नत में होगा और फरीक़ (सानी) दोज़ख़ में (7)
और अगर ख़़ुदा चाहता तो इन सबको एक ही गिरोह बना देता मगर वह तो जिसको चाहता है (हिदायत करके) अपनी रहमत में दाखि़ल कर लेता है और ज़ालिमों का तो (उस दिन) न कोई यार है और न मददगार (8)
क्या उन लोगों ने ख़़ुदा के सिवा (दूसरे) कारसाज़ बनाए हैं तो कारसाज़ बस ख़़ुदा ही है और वही मुर्दों को जि़न्दा करेगा और वही हर चीज़ पर क़ुदरत रखता है (9)
और तुम लोग जिस चीज़ में बाहम एख़्तेलाफ़ात रखते हो उसका फैसला ख़ुदा ही के हवाले है वही ख़ुदा तो मेरा परवरदिगार है मैं उसी पर भरोसा रखता हूँ और उसी की तरफ़ रूजू करता हूँ (10)

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