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01 फ़रवरी 2021

हमने उन लोगों केा एक ख़ास सिफत आख़ेरत की याद से मुमताज़ किया था

  और (ऐ रसूल) हमारे (ख़ास) बन्दे अय्यूब को याद करो जब उन्होंने अपने परवरगिार से फरियाद की कि मुझको शैतान ने बहुत अज़ीयत और तकलीफ पहुँचा रखी है (41)
तो हमने कहा कि अपने पाँव से (ज़मीन को) ठुकरा दो और चश्मा निकाला तो हमने कहा (ऐ अय्यूब) तुम्हारे नहाने और पीने के वास्ते ये ठन्डा पानी (हाजि़र) है (42)
और हमने उनको और उनके लड़के वाले और उनके साथ उतने ही और अपनी ख़ास मेहरबानी से अता किए (43)
और अक़्लमंदों के लिए इबरत व नसीहत (क़रार दी) और हमने कहा ऐ अय्यूब तुम अपने हाथ से सींको का मट्ठा लो (और उससे अपनी बीवी को) मारो अपनी क़सम में झूठे न बनो हमने कहा अय्यूब को यक़ीनन साबिर पाया वह क्या अच्छे बन्दे थे (44)
बेषक वह हमारी बारगाह में बड़े झुकने वाले थे और (ऐ रसूल) हमारे बन्दों में इब्राहीम और इसहाक़ और बेशक वह (हमारी बारगाह में) बड़े झुकने वाले थे और (ऐ रसूल) हमारे बन्दों में इबराहीम और इसहाक़ और याकू़ब को याद करो जो कुवत और बसीरत वाले थे (45)
हमने उन लोगों केा एक ख़ास सिफत आख़ेरत की याद से मुमताज़ किया था (46)
और इसमें शक नहीं कि ये लोग हमारी बारगाह में बरगुज़ीदा और नेक लोगों में हैं (47)
और (ऐ रसूल) इस्माईल और इलियास और जु़लकिफ़ल को (भी) याद करो और (ये) सब नेक बन्दों में हैं (48)
ये एक नसीहत है और इसमें शक नहीं कि परहेज़गारों के लिए (आख़ेरत में) यक़ीनी अच्छी आरामगाह है (49)
(यानि) हमेशा रहने के (बेहिश्त के) सदाबहार बाग़ात जिनके दरवाज़े उनके लिए (बराबर) खुले होगें (50)

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