दिन 12 फरवरी 1948 के दिन शाम 3 बजे महात्मा गांधी की अस्थियां नाव से कोटा चंबल के बीच , रामपुरा महात्मा गांधी स्कूल , पुराना बस स्टैंड महात्मा गांधी आश्रम वर्तमान , विकास भवन में रखकर ,, नदी की धारा में प्रवाहित की गईं। इस दौरान कोटा के पूर्व महाराव भीम सिंह के अलावा हजारों लोग भी घाट पर मौजूद थे। उस दिन कोटा में हालात ये हो गई कि पैर रखने तक की जगह नहीं बची। उस दिन शहर में दुकानें तक नहीं खुली थीं।
शिलालेख का इतिहास
12 फरवरी 1948 को महात्मा गांधी की अस्थियां नाव से चंबल की बीच धारा में प्रवाहित की गईं। इसकी याद में तत्कालीन होम मिनिस्टर राजचंद्र ने यह शिलालेख स्थापित करवाया था।
इतिहास में 12 फरवरी का दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से जुड़ा है. 1948 में इसी दिन उनकी अस्थियों को इलाहाबाद में गंगा नदी सहित कई पवित्र सरोवरों में प्रवाहित किया गया था. इससे 13 दिन पहले, यानी 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे ने गांधी जी की हत्या कर दी थी. उनकी मृत्यु के 13वें दिन एक कलश को इलाहाबाद में गंगा नदी में प्रवाहित किया गया. इस मौके पर दस लाख से अधिक लोगों ने नम आंखों से साबरमती के संत को अंतिम विदाई दी थी.
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