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15 जनवरी 2021

राजस्थान के गाँधीवादी मुख्यमंत्री , भ्रष्टाचार मुक्त राजस्थान , कोरोना मुक्त राजस्थान , पारदर्शिता , संवेदनशीलता में मुखर स्वीकृत प्रबंधन के बाद ,, बालकल्याणकारी व्यवस्थाओं की क्रियन्विति के प्रयासों में भी अव्वलीन हो गए है

 राजस्थान के गाँधीवादी मुख्यमंत्री , भ्रष्टाचार मुक्त राजस्थान , कोरोना मुक्त राजस्थान , पारदर्शिता , संवेदनशीलता में मुखर स्वीकृत प्रबंधन के बाद ,, बालकल्याणकारी व्यवस्थाओं की क्रियन्विति के प्रयासों में भी अव्वलीन हो गए है ,, निराश्रित , अशक्त , विधि के विरूद्ध संघर्षरत बालक ,, सड़को पर उपेक्षित बालकों के लिए , राजस्थान में ,, शिक्षा ,रोज़गार , स्वरोज़गार , उच्च शिक्षा , प्रशिक्षण , संबधित ,विभिन्न व्यवस्थाओं के साथ अतिरिक्त  बजट जारी किया गया है ,, उक्त योजनाओं की क्रियान्विति ,  की ज़िम्मेदारी बालकल्याण आयोग , समाजकल्याण विभाग , जिला कलेक्टर , बालकल्याण समितियां , जिला बाल न्यायालय ,  समाजसेवी संस्थाओं पर है जबकि इनकी निगरानी , विधायक ,समाजसेवक ,, निष्पक्ष पत्रकारों की रिपोर्टिंग पर निर्भर रहेगा ,,, राजस्थान के हर ज़िले में , कस्बे में ,,  अलग अलग जगह पर , चौराहों सहित , विभिन सार्वजनिक स्थानों पर उपेक्षित बच्चे , भीख को रोज़गार के रूप में अंगीकृत कर चुके है  ,, कुछ अपराध में लिप्त होकर , विधि के विरुद्ध संघर्ष कार्यों में लिप्त है ,, तो कुछ अभावों के कारण खुद को स्थापित नहीं कर पा रहे है ,,ऐसे  सभी तरह के बच्चों के लिए ,, अशोक गहलोत सरकार ने ,,, बाल कल्याणकारी क़ानून के तहत ,, विशिष्ठ  मदद शुरू की है ,,, ऐसे बच्चे जो 18 वर्ष तक के उपेक्षित है , निराश्रित है , या फिर उनके माता , पिता , संरक्षक उन्हें उपेक्षित रखते है ,,,उन्हें सभी को , बालकल्याण समिति या फिर ज्वेनाइल बोर्ड , निराश्रित गृह में अगर भेजता है तो ,,ऐसे बच्चों को , बेहतर शिक्षा ,, बेहतर मनोवैज्ञानिक कौन्सिलिंग ,, मनोचिकित्सक इलाज , स्वरोजगार प्रशिक्षण दिलवाया जाएगा , इसके अलावा सभी ऐसे बच्चों के खाते में , दो हज़ार रूपये  प्रति माह ,, पृथक से उनके निजी खर्च में जमा होंगे , स्कूल यूनिफॉर्म , किताबें वगेरा सब सरकार की तरफ से होगी ,, इसी तरह 18 साल से 21 साल के इसी तरह के बच्चों को ,, पेइंग गेस्ट के रूप में रखा जायेगा जिन्हे जो भी उन्हें रखेगा , उसे 4500 रूपये प्रति बच्चे के हिसाब से ,, रहने खाने का , और दो हज़ार रूपये ,, पृथक से बच्चे के खाते में उसके निजी आवश्यक खर्च के लिए जमा होंगे , इसके अलावा चिकित्सा परामर्श , मनोचिकित्सा परामर्श ,, कौन्सिलिंग ,, वगेरा के अलग से खर्च दिए जाएंगे ,, ऐसे सभी बच्चों को उनकी इच्छानुसार , उच्च शिक्षा के लिए सभी खर्च , सरकार वहन करेगी ,, जबकि बच्चों को स्वरोजगार स्वावलंबन के लिए ,, स्वरोजार प्रशिक्षण अलग से सरकारी खर्च पर मिलेगा , इतना ही नहीं ,, ऐसे सभी बच्चे जो ,, प्रशिक्षण के बाद अपना रोज़गार करना चाहते हैं , उन्हें प्रारम्भिक तोर पर दस हज़ार रूपये सरकार की तरफ से अनुदान राशि भी मिलेगी ,, ऋण योजनाओं में भी उनकी मदद होगी ,,, ऐसे में स्पष्ट है ,कि गांधीवादी अशोक गहलोत ने , राजस्थान के सभी उपेक्षित , निराश्रित , ज़रूरतमन्द बच्चों के भविष्य को सुरक्षित कर , उन्हें शिक्षा , रोज़गार से जोड़ने के लिए , दिल फरियादी दिखाई है ,, लेकिन अब , सड़कों पर घूमने वाले आदतन भिखारी बनाये गये बच्चे , लावारिस बच्चे ,, गरीब लोगों के शिक्षा , स्वरोजगार योजनाओं के प्रयासों में जुटे उपेक्षित बच्चे ,, तलाशना , उन्हें सड़कों से भीख मांगते हुओं को उठाकर ,, ऐसे निराश्रित ग्रह , या पेइंग गेस्ट हाउस में  पहुंचाने की ज़िम्मेदारी  , राज्य बाल आयोग ,, जिला कलेक्टर , समाज कल्याण विभाग , जिला बाल कल्याण समितियां ,, स्काउट , गाइड , समाजसेवी संगठन , ज्वेनाइल पुलिस यूनिट , चाइल्ड हेल्प लाइन ,,की ज़िम्मेदारी है ,, इन लोगों की लापरवाही के कारण सड़कों पर भीख मांगते लावारिस बच्चों , या खुद उनके माँ बाप द्वारा भीख मंगवाने वाले बच्चों को ऐसे सुधार गृह में नहीं पहुंचाने पर ,, इनके कान उमेठने का काम पत्रकारों का है ,जो उन्हें करना ही चाहिए ,,, वर्तमान हालातों में ,, जिला बाल कल्याण समितियां , चाइल्ड हेल्प लाइन ,, ज्वेनाइल पुलिस यूनिट , इस उम्र के बच्चों को , चाय , की दूकान ,होटल ,, रेस्तरां या कहीं महंनत कर पेट पालते दिखने पर ,, तो पकड़ कर ले जाते है ,, अजीब बात है , जो बच्चे  मेहनत कर ,आत्मनिर्भर बन रहे है उन्हें ,तो पकड़ रहे हो , नियोक्ताओं को परेशांन  कर रहे हो ,, लेकिन जो माँ बाप , अपने मासूम बच्चों को ,, विधि के विरुद्ध संघर्ष में शामिल कर रहे  है , उनके प्रति उपेक्षित रुख अपना रहे है ,, ऐसे बच्चों से योजनाबद्ध तरीके से ,, भीख मंगवाकर , उनको रोज़गार के रूप में आदतन भिखारी बना रहे है , उनके खिलाफ कार्यवाही में , इन सभी सरकारी संस्थाओं के पैरों में मेहंदी लग जाती है ,,, इनकी क़लम की सियाही सूख जाती है ,  इनकी ज़ुबानी हलक़ में अटक जाती है , अफसरों की अफसरशाही ऐसे उपकेशित कृत्यों की निगरानी में , खामोशी इख़्तियार कर लेते है , कई जिला बालकल्याण समितियां तो ,, वाद विवाद का अखाड़ा बनी है ,,एक दूसरे को नीचा , दिखाने की कोशिशों में लगी है ,, ऐसे में पत्रकारों को ही निष्पक्ष निगराकर बनकर ,, ऐसी कलम चलाना होगी , ऐसी इलेक्ट्रॉनिक जीवंत रिपोर्टिंग करना होगी ,,, जो गाँधीवादी मुख्यमंत्री  अशोक गहलोत की बच्चों के कल्याण ,शिक्षा ,स्वरोजगार प्रशिक्षण , स्वरोजगार आर्थिक मदद की यह ,, चाचा नेहरू , योजनाए , ऐसे बच्चों के लिए उपयोगी हो , और राजस्थान जो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में ,, कोरोना संरकमण नियंत्रण व्यवस्था में अव्वल रहा है , ऐसे ही ऐसे उपेक्षित , लावारिस ,, बच्चों के कल्याण ,शिक्षा ,स्वरोजगार , स्वास्थ्य परीक्षण ,, आर्थिक मदद मामले में , राजस्थान देश भर में अव्वल रहे ,, लेकिन इसके लिए नौकरशाहों और ज़िम्मेदार बाल आयोग , समितियों पर कढ़ी निगरानी रखकर उन्हें उनके कर्तव्यों की पूर्ति करने के लिए बाध्य करना होगा ,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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